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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org किंचित् विशेषणवडे आवा प्रकारना अन्य ज्ञातभेदो पण संभवे छे, परंतु ते वित्रक्षित नथी अथवा गुरुओवडे कथंचित् अंतर्भाव विवक्षित छे. परंतु अमे तेने सम्यग जाणता नथी. ५. हवे ज्ञात पछी दृष्टांतवाळा हेतुने साध्यसिद्धिनुं अंग होवाथी तेना भेदोने 'हेड' इत्यादि त्रण सूत्रबडे कहे छे आ स्पष्ट छे. विशेष एके - ' हिनोति - ज्ञेय वस्तुने जगावे छे माटे हेतुः अन्यथा अनुपपत्ति लक्षणरूप छे. कधुं छे के - " अन्यथा हेतुनुं अनुपपत्तिरूप लक्षण कहेल छे तेनी अप्रसिद्धि, संदेह अने विपर्यासवडे हेत्वाभासपणुं कहेल छे. " (१) पूर्व कहेल हेतु प्रश्नना उत्तररूप उपपत्ति (युक्ति) मात्र छे. अने आ ' हेतु ' तो साध्य प्रत्ये अन्य अने व्यतिरेकवाळो छे. तेवा प्रकारना दृष्टांतवडे तद्भावनुं स्मरण थाय छे ते एक लक्षणवाको छे, परंतु किंचित् विशेषथी चार प्रकारे छे. 'जावए ति० वादीने काळनी यापना- बिलंब करावे छे. जेम कोईक असती स्त्री एकेक रूपीआवडे एकेक उंटनुं लीं देवु ' एवी रीते पतिने शिखामण आपीने ते लींडांने वेचवा माटे उज्जयनीमां मोकलवाना उपायवडे विट (उल्लंठ) पुरुषनी सेवामां काळनी यापना करती हती, आ १ यापकहेतु छे. कधुं छे के "उन्भामिया य महिला, जावगहेउम्मि उहलिंडाई " उक्तार्थ छे. अहिं वृद्धोए व्याख्यान कर्यु छे के-प्रतिवादीने जाणीने तेवा तेवा विशेषण बहुल हेतु करवा योग्य छे के जेथी काळनी यापना (विलंब) थाय छे अने वादी प्रकृत विषयने जाणतो नथी. ते संभावना आवा प्रकारे कराय छे-पवनो चेतनवाळा छे. अन्यवडे प्रेरणा थये छते तिरछो अने अनियतपणाए गायना शरीरनी जेम गतिमान् होय छे. आ हेतु, विशेषणनी बहुलताए बीजाने दुःखपूर्वक जाणवारूप होवाथी वादीने काळनी यापना करे छे. हेतुना स्वरूपने न जाणतो थको वादी जल्दीथी For Private and Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
SR No.020755
Book TitleSthanang Sutra Ppart 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevchandra Maharaj
PublisherMundra Ashtkoti Bruhadpakshiya Sangh
Publication Year1943
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size20 MB
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