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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भीस्था नाकपत्र गानुवाद ॥४७६॥ xxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx वाळो अने पछी पण आकीर्ण छे, २ कोईक प्रथम आकीर्ण पण पछीथी खलुंक-गळीओ (अविनीत) छे, ३ कोईक प्रथम खलुंक ४ स्थानअने पछीथी आकीर्ण, ४ कोईक प्रथम खलंक अने पछी पण खलुक छे. (१५) आ दृष्टांते चार प्रकारना पुरुषो कहेला छे, | काध्ययने ते आ प्रमाणे-१ कोई पुरुष प्रथम शांति वगेरे गुणवाळो अने पछी पण गुणवाळो छे, २ कोईक प्रथम गुणवाळो पण | उद्देशः ३ पछीथी अविनीत, ३ कोईक प्रथम अविनीत अने पछीथी गुणवाळो छ, ४ कोईक प्रथम पण अविनीत अने पाछळथी पण आत्मभरिअविनीत छे. (१६) चार प्रकारना जातिविशेष अश्वो कहेला छे, ते आ प्रमाणे-१ कोईक अश्व आकीर्ण-वेगादि गुणवाळो छ Xत्वादि चतुअने विनय, वेगादिथी चाले छे, २ कोईक अश्व आकीर्ण छ पण मार्गमां चडावना दोषथी अविनीतपणाए चाले छे, ३ कोईक भङ्ग्यः अविनीत छे पण स्वारना गुणथी विनीतपणाए चाले छे, ४ कोईक अविनीत छे अने अविनीतपणाए चाले छे.(१७) आ दृष्टांत | स०३२७ प्रमाणे चार प्रकारना पुरुषो कहेला छे, ते आ प्रमाणे-१ कोईक पुरुष विनयादि गुणवाळो छे अने विनयादिपणाए प्रवर्ते छ इत्यादि चार भांगा जाणवा. (१८) चार प्रकारना अश्वो कहेला छे, ते आ प्रमाणे-१ कोईक अश्व जातिसंपन्न छ पण कुलसंपन्न नथी, २ कोईक कुलसंपन्न छ पण जातिसंपन्न नथी, ३ कोईक उभयसंपन्न छ अने ४ कोईक उभयसंपन्न नथी. (१९) आ दृष्टांते चार प्रकारना पुरुषो कहेला छे, ते आ प्रमाणे-१ कोईक पुरुष जातिसंपन्न छे पण कुलसंपन्न नथी विगेरे चार भांगा जाणवा.(२०) चार प्रकारना अश्वो कहेला छे, ते आ प्रमाणे-१ कोईक अश्व जातिसंपन्न छे पण बलसंपन्न नथी, एम चार भांगा जाणवा.(२१)ए दृष्टांते चार प्रकारना पुरुषो कहेला छे, ते आ प्रमाणे-१ कोईक पुरुष जातिसंपन्न छ पण बलसंपन्न नथी, एम चार भांगा जाणवा.(२२) चार प्रकारना अश्वो कहेला छे, ते आ प्रमाणे-१ कोईक अश्व जातिसंपन्न छ पण रूपसंपन्न नथी, xn४७६॥ xxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxy XXX For Private and Personal Use Only
SR No.020755
Book TitleSthanang Sutra Ppart 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevchandra Maharaj
PublisherMundra Ashtkoti Bruhadpakshiya Sangh
Publication Year1943
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size20 MB
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