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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Koxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx) कर्म पण नथी अने परिज्ञातसंज्ञ पण नथी. (१०) चार प्रकारना पुरुषो कहेला छे, ते आ प्रमाणे-१ कोईक परिजातकर्मसावद्यकार्यथी करण, करावण अने अनुमतिथी निवृत्त थयेल छे पण गृहवासने छोडेल नथी-शिवकुमारवत् . २ कोईक गृहवासने छोडेल छ पण सावद्यकार्यने छोडल नथी-दुष्प्रव्रजित(दुष्ट साधु)वत्, ३ कोईक गृहवासने छोडेल छे अने सावद्यकार्यने छोडेल छे-ते सुसाधु, ४ कोईक गृहवासने छोडेल नथी अने सावद्यकार्यने पण छोडेल नधी-ते असंयत.(११) चार प्रकारना पुरुषो कहेला छे, ते आ प्रमाणे-१ कोईक आहारादि संज्ञाने छोडेल छे पण गृहवासने छोडेल नथी, २ कोईक गृहवासने छोडेल छे पण आहारादि संज्ञाने छोडेल नथी, ३ कोईक गृहवासने छोडेल छे अने आहारादि संज्ञाने पण छोडेल छे, ४ कोईक आहारादि संज्ञाने छोडेल नथी अने गृहवासने पण छोडेल नथी. (१२) चार प्रकारना पुरुषो कहेला , ते आ प्रमाणे-१ कोईक आ लोकना-मनुष्य संबंधी सुखनो अर्थी छे पण परलोकना सुखनो अर्थी नथी-ते अज्ञानी, २ कोईक परलोकना सुखनो अर्थी छे छ पण आ लोकना सुखनो अर्थी नथी-ते साधु, ३ कोईक आलोक अने परलोक बभेना सुखनो अर्थी छे-ते श्रावक, ४ कोईक आलोक अने परलोक बन्नेना सुखनो अर्थी नथी-ते मूर्ख मनुष्य.(१३)चार प्रकारना पुरुषो कहेला छे,ते आ प्रमाणे-१ कोईक.एकथीश्रुतज्ञानथी वृद्धि पामे छे पण सम्यग्दर्शनथी हीन थाय छ, २ कोईक एकथी-श्रुतज्ञानथी वृद्धि पामे छे पण वेथी-सम्यग्दर्शन अने विनयथी हीन थाय छे, ३ कोईक बेथी-श्रुतज्ञानथी अने अनुष्ठान-क्रियाथी वृद्धि पामे छे पण एकथीसम्यग्दर्शनथी हीन थाय छे, ४ कोईक बेथी-श्रुतज्ञानथी अने अनुष्ठानथी वृद्धि पामे छे पण बेथी-सम्यग्दर्शन अने विनयथी हीन थाय छे. (१४) चार प्रकारना जातिविशेष अश्वो कहेला छे, ते आ प्रमाणे-१ कोईक पहेला पण आकीर्ण-वेग विगेरे गुण xxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx For Private and Personal Use Only
SR No.020755
Book TitleSthanang Sutra Ppart 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevchandra Maharaj
PublisherMundra Ashtkoti Bruhadpakshiya Sangh
Publication Year1943
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size20 MB
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