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नथी, केम के स्वार्थ परमार्थमां शून्य होय छे. कोईक पुरुष पोतानो विश्वास करे छे पण बीजानो करतो नथी इत्यादि चतुर्भगीनी व्याख्या करवी. 'पतियं पवेसेमि' ति० आ पुरुष मारा उपर प्रीति अथवा विश्वास करे छे, आ प्रमाणे बीजाना चितमां हुं ठसा खात्री करावं. एवी रीते परिणामवाळो थयो थको तेज प्रमाणे बीजाना चित्तमां प्रीति के विश्वासने करावे छे. araj (त्रण भंग ) सूत्र अने अनंतर सूत्र पूर्वनी जेम जाणवुं. ( सू० ३१२ )
चत्तारि रुक्खा पं० तं०-पतोत्रए पुष्कोव फलोत्रए छायोत्रए, एवामेव चतारि पुरिसजाया पं० नं० - पत्तो वाक्समाणे पुप्फोत्रा रुक्ख समाणे फलोवारुत्रख समागे छातोवारुकख समागे । सू० ३१३, भारपणं वहमाणस्स चत्तारि आसासा पं० तं० - जत्थ णं असातो अंसं साहरइ तत्थविय से एगे आसासे पगते १, जत्थविय णं उच्चारं वा पासवणं वा परिद्वावेति तत्थविय से एगे आसासे पण्णत्ते २, जत्थविय णं णागकुमारात्रासंसि वा सुत्रन्नकुमारावासंसि वा वासं उवेति तत्थविय से एगे आसासे पन्नत्ते ३, जत्थत्रिय णं आवकधाते चिट्ठति तत्थविय से एगे आसासे पन्नते ४, एवामेव समणोवास गस्स चत्तारि आसासा पं० तंत्र - जत्थ णं सीलव्वतगुणव्व तवेरमणपच्चक्खाणपोस होववासाइं पडिवज्जेति तत्थविय से एगे आसासे पण्णत्ते १, जत्थत्रिय णं सामाइयं
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