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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 長表表表黑素素墓赛表赛赛赛裁兼集来着。 धूम्रशिखा वाम भागमा जनारी छे पण दक्षिण-जमणा आवर्तवाली छे, कोईक धूम्रशिखा दक्षिण भागमा जनारी छे पण डावा आवर्तवाली तेमज कोईक धूम्रशिखा दक्षिण भागमा जनारी अने दक्षिण आवर्तवाळी छे (१०), ए दृष्टांत चार प्रकारनी स्त्रीओ कहेली छे, ते आ प्रमाणे-कोईक स्त्री प्रतिकूल स्वभाववाली अने प्रतिकूल वर्तनवाली छे, कोईक स्त्री प्रतिकूल |x स्वभाववाली छे पण अनुकूल वर्तनवाली छे, कोईक स्त्री अनुकूल स्वभाववाली छे पण प्रतिकूल वर्तनवाली छे तेमज कोईक स्त्री अनुकूल स्वभाव अने अनुकूल वर्तनबाली छ (११), चार प्रकारनी अग्निशिखाओ कहेली छे, ते आ प्रमाणेकोईएक अग्निशिखा वाम भागमा जनारी अने वाम आवत्तवाळी छे, कोईक अग्निशिखा वामभागमां जनारी अने दक्षिण आवर्तवाळी छे. एवी रीते धूम्रशिखानी माफक चोभंगी समजवी (१२), आ दृष्टांते चार प्रकारनी स्त्रीओ कहेली छे, ते आ प्रमाणे-प्रतिकूल स्वभाववाळी अने प्रतिकूल वर्तनवाळी, एम चार भांगा अगियारमा सूत्र प्रमाणे समजवा (१३), चार प्रकारे वातमंडलिका कहेली छे, ते आ प्रमाण-कोईक वायुनी मंडलिका (घूमरीबडे वायु ऊंचो चडवो ते ) वामभागमा छे अने वाम आवर्तवाळी छे, एम पूर्वनी माफक चोभंगी जाणवी (१४), आ दृष्टांत चार प्रकारनी स्त्रीओ कहेली छे, ते आ प्रमाणे-काईक स्त्री प्रतिकूल स्वभाव अने प्रतिकूल वर्तनवाली छे. एवी रीते पूर्वनी माफक चतुभंगी जाणवी (१५), चार प्रकारना वनखंडो कहेला छे, ते आ प्रमाणे-कोईक वनखंड वाम (डाबा) भागमा छे अने वाम आवर्तवाळो-वायुथी उपर दिशा सन्मुख वळे छे. एंवी रीते पूर्वनी माफक चतुभंगी समजवी (१६), आ दृष्टांत चार प्रकारना पुरुषो कहेला छे, ते आ प्रमाणे-कोईक पुरुष प्रतिकूल स्वभाववाको अने प्रतिकूळ वर्तनवाळो छे, कोईक प्रतिकूल स्वभाववाळो छे पण अनुकूल वर्तनवाळो छ, कोईक अनुकूल KXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX For Private and Personal Use Only
SR No.020755
Book TitleSthanang Sutra Ppart 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevchandra Maharaj
PublisherMundra Ashtkoti Bruhadpakshiya Sangh
Publication Year1943
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size20 MB
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