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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra श्रीस्थानाङ्गसूत्र सानुवाद ॥ ३९४ ॥ www.kobatirth.org कथा - मगघादि देशनी रचना विगेरेनी कथा, देशविकल्पकथा-अमुक देशमां अमुक धान्य घणुं थाय छे विगेरे, देशच्छंदकथाअमुक देशमा अमुक गम्य अने अमुक अगम्य छे इत्यादि, देशनेपथ्यकथा-स्त्री-पुरुषोना वेशनी कथा ३, राजकथा चार प्रकारे कहेली छे, ते आप्रमाणे - राजाना अतियान- नगरप्रवेशनी कथा, राजाना निर्याननी कथा - नगर बहार सवारी नीकळवानी कथा, राजाना बल अने वाहननी कथा अने राजाना भंडार तथा कोठार त्रिगेरेनी कथा. चार प्रकारनी धर्मकथा कहेली छे, ते आ प्रमाणेजेनावडे श्रोताने मोहथी खेंचीने तत्र प्रत्ये लई जवाय छे ते आक्षेपणी, श्रोताने कुमार्गमांथी सन्मार्गमां अथवा सन्मार्गमांथी कुमार्गमा लई जवाय छे ते विक्षेपणी, श्रोताने वैराग्य उत्पन्न करावनारी ते संवेदनी अने श्रोताने संसारमांधी उदासीनता करावनारी ते निर्वेदनी कथा. आक्षेपणी कथा चार प्रकारे कहेली छे, ते आ प्रमाणे- साधुना लोच विंगेरे आचारने प्रकाश करनारी कथा ते आचारआक्षेपणी, दोष टालवा माटे प्रायश्चित्तने प्रकाशनारी कथा ते व्यवहारआक्षेपणी, संशयवाळा श्रोताने मधुर वचनोवडे समजावनारी जे कथा ते प्रज्ञप्तिआक्षेपणी, श्रोतानी अपेक्षावडे नयने अनुसारे सूक्ष्म तच्चोनुं कथन करनारी कथा ते दृष्टिवादआक्षेपणी. १, विक्षेपणी कथा चार प्रकारे कहेली छे, ते आ प्रमाणे- स्वसमय (सिद्धांत) ना गुणोने कहींने पछी परसमयना दोषोने देखाडे छे, परसमयने कहीने स्वसमयनुं स्थापन करे छे, परसमयमां पण जे सम्यग्वाद छे तेने कहे छे, सम्यग्वादने कड़ने मां जे मिथ्यावाद छे तेना दोषने बतावे छे तेमज परसमयमा जे मिथ्यावाद छे तेने कहींने सम्यग्वादमां स्थापना थाय छे. २, संवेगनी कथा चार प्रकारे कहेली छे, ते आ प्रमाणे-आ लोकसंवेदनी- मनुष्य जीवन विगेरेनुं असारपशुं बताने वैराग्य उत्पन्न करावनारी कथा, परलोकसंवेगनी - देवादिनुं असारवणुं चतावनारी कथा, अमारुं शरीर अशुचिमय छे इत्यादिस्वरूप बजावनारी For Private and Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir **************** ***** ४ स्थान काध्ययने उद्देशः २ कथाः सू० २८२ ★ ।। ३९४ ॥
SR No.020755
Book TitleSthanang Sutra Ppart 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevchandra Maharaj
PublisherMundra Ashtkoti Bruhadpakshiya Sangh
Publication Year1943
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size20 MB
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