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चार प्रकाशना हस्ती कहेल छे, ते आ प्रमाणे-भद्र, मंद, मृग अने संकीर्ण, आ दृष्टांते चार प्रकारना पुरुषो कट्टेला छे, ते आ प्रमाणे- भद्र, मंद, मृग अने संकीर्ण. चार प्रकारना हस्ती कट्टेल छे, ते आ प्रमाणे - कोईएक हाथी जाति अने आकारथी भद्र (प्रशस्त) छे अने भद्रमनवाळो धैर्यवाळो छे, कोईक जाति विगेरेथी भद्र छे अने मंद मनवाळो छे-अतिधीर नहि, कोईक जाति विगेरेथी भद्र अने मृगमनवाळो बीकण छे तेमज कोईक जाति विगेरे थी भद्र अने संकीर्ण मनवाळो - विचित्र स्वभाववालो छे. आ दृष्टांते चार प्रकारना पुरुषो कहेला छे, ते आ प्रमाणे-कोईक पुरुष जाति विगेरेथी उत्तम छे अने धैर्य मनत्राको छे, कोईक जाति विगेरेथी भद्र छे पण मंद मनवाळो छे अर्थात् बहु धैर्यवाळो नथी, कोईक जाति विगेरेथी भद्र छे पण मृगमनवाळो भीरु छे तेमज कोईक जातिथी भद्र छे पण विचित्र मनवाळो छे. चार प्रकारना हस्ती कहेला छे, ते आ प्रमाणे-कोईएक हस्ती जातिथी मंद पण भद्रमनवाळो छे, कोईएक जातिथी मंद अने मंद मनवाळो छे, कोईएक जातिथी मंद पण मृग (भीरु) मनवाळो छे तेमज कोईक हाथी जातिथी मंद पण संकीर्ण मनवाळो छे. आ दृष्टांते चार प्रकारना पुरुषो कडेला छे, ते आ प्रमाणे-कोईएक पुरुष जातिथी मंद पण भद्र मनवाळो छे. हस्तीनी माफक पुरुषमां पण चार भांगा कहेवा. चार प्रकारना हाथी कहेला छे, ते आ प्रमाणेकोई एक हाथी जातिथी मृग पण भद्रमनवाळो छे-धीर छे, कोईक जातिथी मृग अने मंद मनवाळो छे, कोईक जातिथी मृग अने मृग मनवाळो (भीरु) छे तेमज कोईएक हाथी जातिथी मृग पण संकीर्ण (विचित्र) मनवाळो छे. आ दृष्टांते चार प्रकारता पुरुषो कला छे, ते आप्रमाणे - कोईएक पुरुष जातिथी मृग पण भद्र मनवाळो छे, एवी रीते हाथीनी माफक चार भांग पुरुषमां पण कहेवा. चार प्रकारना हाथी कहेला छे, ते आ प्रमाणे- कोईएक हाथी जातिथी संकीर्ण पण भद्र मनवाळो छे, कोईएक
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