________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
४ स्थान
काध्ययने
श्रीस्थानाङ्गसूत्र सानुवाद 1.३९०
xxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx
बन्नेथी संपन्न छ तेमज कोईक जाति अने बल बन्नेथी संपन्न नथी.४,आ दृष्टांते चार प्रकारना पुरुषो कहेला छे,ते आ प्रमाणे कोई एक पुरुष जातिसंपन्न छे पण बलसंपन्न नथी एवी रीते जाति अने वल शब्दथी चतुभंगी करवी ४-३, चार प्रकारना वृषभो कहेला छे, ते आ प्रमाणे-कोई एक वृषभ जातिसंपन्न छे पण रूपसंपन्न नथी, कोईएक रूपसंपन्न छ पण जातिसंपन्न नथी, कोईक जाति अने रूप बन्नेथी संपन्न छ तेमज कोईक बनेथी संपन्न नथी ४, आ दृष्टांते चार प्रकारना पुरुषो कहेला छे, ते आ प्रमाण-कोई एक पुरुष जातिसंपन्न छ पण रूपसंपन्न नथी, एवी रीते जाति अने रूप शन्दनी चतुर्भगी करवी ४-४, चार प्रकारना वृपभो कहेला छे, ते आ प्रमाणे-कोईक वृषभ कुलसंपन्न छे पण बलसंपन्न नथी, कोईक कुलसंपन्न नथी पण बलसंपन्न छे, कोईक कुल अने बल बनेथी संपन्न छ तेमज कोईक ते बनेथी संपन्न नथी. आ दृष्टांते चार प्रकारना पुरुषो कहेला छे,ते आ प्रमाणे-कोईक पुरुष कुलसंपन्न छ पण बलसंपन्न नथी एवी रीते कुल अने बल शब्दनी चतुर्भगी करवी ४-५. चार प्रकारना वृषभो कहेला छे ते आ प्रमाणे-कोईक वृषभ कुलंसंपन्न छे पण रूपसंपन्न नथी, कोईक कुलसंपन्न नथी पण रूपसंपन्न छे,कोईक कुल अने रूप बनथी संपन्नतेमज कोईक ते बन्नेथी संपन्न नथी.ए दृष्टांते चार प्रकारना पुरुषो कहेला छे. ते आ प्रमाणे-कोईक पुरुष कुलसंपन्न छे पण रूप संपन्न नथी एवी रीते कुल अने रूप शब्दनी चोभंगी करवी ४-६ चार प्रकारना वृषभो कहेला छे ते आ प्रमाणे-कोईक वृषभ बलसंपन छे पण रूपसंपन्न नथी, कोईक बलसंपन्न नथी पण रूपसंपन्न छ, कोईक बल अने रूप बन्नेथी संपन्न छ तेमज बन्नथी संपन्न नथी. आ दृष्टांत चार प्रकारना पुरुषो कहेला छे, ते आ प्रमाणे-कोईएक पुरुष बलसंपन्न छे पण रूपसंपन्न नथी. एवी रीते बल अने रूपशब्दवडे चतुर्भगी करवी. ४-७
उद्देशः २ आर्यादि
प्रकारा: वृषभहस्ति
दृष्टान्ताः सू०२८०
८१
KXXXXXX
॥ ३९०।।
For Private and Personal Use Only