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-प्रमाणे-मधु (मध), मांस, मदिरा अने माखण.(सू०२७४) चार प्रकारे कूट-शिखरना आकार जेवा घरो कहेला छे, ते आ प्रमाणे
कोई एक गढ विगेरेथी वीटायेलं गुप्तघर अने बंध वारणावाळु छे १, कोईएक घर गुप्त पण बार[ खुल्लुं छे २, कोईक घर प्रगट छ पण बंध वारणावालं छे ३, अने कोईक घर प्रगट छे अने बार[ पण खुल्लुं छे ४.आ दृष्टांत प्रमाणे चार प्रकारना पुरुषो कहेला छे, ते आ प्रमाणे-कोईएक पुरुष गुप्त. (वस्त्रादिवडे ढांकेल) छे अने इंद्रियोबडे पण गुप्त छ-गुप्तेंद्रिय १, कोईएक वस्त्रादिवडे ढांकेल छे अने इंद्रियोबडे अगुप्त-अगुप्तेंद्रिय छे २, कोईएक वस्खादिवडे अगुप्त-खुल्लो छे पण गुप्तेंद्रिय छे ३ अने कोईएक वस्त्रादिवडे अगुप्त-प्रगट अने इंद्रियोवडे पण अगुप्तेंद्रिय छे ४. चार कूटागार-शिखरना जेवा आकारवाली शाळा (घर विशेष) कहेली छे, ते आ प्रमाणे-एक शाळा गुप्त अने गुप्त (बंध) दरवाजावाली छे, एक शाळा गुप्त पण दरवाजो अगुप्त (खुल्लो) छे, एक शाळा अगुप्त पण दरवाजो गुप्त (बंध) छे अने एक शाळा अगुप्त अने दरवाजो पण अगुप्त छे. ए दृष्टांते चार प्रकारनी स्वीओ कहेली छे, ते आ प्रमाणे-कोईक स्त्री गुप्त-घरमा ज रहेनारी अने गुप्त-सुशीला छे १, कोईएक स्त्री गुप्त-घरमां ज रहेनारी पण अगुप्त-सुशीला नथी २, कोईक स्त्री अगुप्त-घरमां नहि रहेनारी पण सुशीला छे ३ अने कोईक अगुप्त-घरमां नहिं रहेनारी अने दुःशीला पण छे ४ (सू० २७५) चार प्रकारे अवगाहना-जेमां जीव रहे ते अर्थात् काया-कहेली छे, ते आ प्रमाणे-द्रव्यअवगाहना ते अनंत द्रव्यवाळी, क्षेत्रअवगाहना ते असंख्यात प्रदेशना अवगाह( आश्रय )वाळी, कालअवगाहना ते असंख्यात समयनी स्थितिवाळी अने भावअवगाहना ते वर्णादि अनंतगुणवाळी छे, (मू० २७६) चार प्रज्ञप्तीओ (अंगबाह्यसूत्ररूप) कहेली छे, ते आ प्रमाणे-चंद्रप्रज्ञप्ति, सूर्यप्रज्ञप्ति, जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति अने द्वीपसागरप्रज्ञप्ति.
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