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भीस्थानागपत्र सानुवाद ॥ ३८१॥
देवना इंद्रनी चार अग्रमहिषीओ छे. (४) अतिकाय नामना महोरगना इंद्रनी चार अग्रमहिषीओ कहेली छे, ते आ प्रमाणे-भुजगा, भुजगवती, महाकच्छा अने स्फुटा. एवी रीते महाकाय नामना महोरगना इंद्रनी चार अग्रमहिषीओ कहेली छे. गीतरति नामना गंधर्बना इंद्रनी चार अग्रमहिषीओ कहेली छे, ते आ प्रमाणे-सुघोषा, विमला, सुस्वरा अने सरस्वती. एवी रीते गीतयश नामना गंधबेंद्रनी चार अग्रमाहीओ छे.आ दक्षिण अने उत्तर दिशाना मली सोल व्यंतरेंद्रनी अग्रमहिपाओगें वर्णन करेल छे. दक्षिण अने उत्तर दिशानी अग्रमहिपीओना नामो समान छे. (५) चंद्र नामना ज्योतिषना इंद्र-ज्योतिषना राजानी चार अग्रमहिषीओ कहेली छे, ते आ प्रमाणे-चंद्रप्रभा, ज्योत्स्नाभा, अश्चिमाली अने प्रभंकरा. एवी रीते सूर्यनी पण चार अग्रमहिपीओ छे. विशेष ए के-सूर्यप्रभा, ज्योत्स्नाभा, अचिमाली अने प्रभंकरा नाम छे. अंगारक (मंगल) नामना महाग्रहनी चार अग्रमहिपीओ कहेली छे, ते आ प्रमाणे-विजया, वैजयंती, जयंती अने अपराजिता. एवी रीते वधा य महाग्रहोनी यावत् भावकेतु नामना छेल्ला ग्रहनी चार अग्रमहिषाओ छे. (६) शुक्र नामना देवना इंद्र-देवना राजाना सोम नामना महाराजा( लोकपाल )नी चार अग्रमहिपीओ कहेली छे, ते आ प्रमाणे-रोहिणी, मदना, चित्रा अने सोमा. एवी रीते यावत् वैश्रमण नामना लोकपालनी चार अग्रमहिपीओ छे. ईशान नामना देवना इंद्र-देवना राजाना [लोकपाल] सोम नामना महाराजानी चार अग्रमहिषीओ कहेली छे, ते आ प्रमाणेपृथ्वी, रात्री, रजनी अने विद्युत्, एवी रीते यावत् वरुण नामना लोकपालनी चार अग्रमहिषाओ छे. (स० २७३) चार गोरस (गाय प्रमुख) संबंधी रसरूप चार विकृतिओ-विगयो कहेली छे, ते आ प्रमाणे-दूध, दहि, धी अने माखण, चार स्निग्ध (चीकणी) विगयो कहेली छे, ते आ प्रमाणे-तेल, घृत, वसा (चरबी) अने माखण. चार महाविगयो कहेली छे, ते आ
४ स्थानकाध्ययने उद्देशः १ अग्रमहिष्यः विकृतयः कूटागाराः सू०२७३
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