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ध्यान-सत्र पडिक्कमामि चउहि झाणेहि
अट्टणं झाणेणं रुदेणं झाणेणं धम्मेणं झाणेणं सुक्केणं झाणेणं ।
शब्दार्थ पडिकमामि-प्रतिक्रमण करता हूँ रुद्दण रौद्र चउहि =चारों
झाणेण= ध्यान से झाणेहि = ध्यानों से
धम्मेणधर्म श्रणात
माणेण ज्यान से झाणेण = ध्यान से
सुक्केण = शुक्र
झाणेण= ध्यान से
भावार्थे पातं ध्यान, रौद्र भ्यान, धर्म ध्यान और शुक्र-ध्यान-इन चारों ध्यानों से अर्थात् भात, रौद्र ध्यान के करने से तथा धर्म, शुक्र ध्यान के न करने से जो भी अतिचार नगा हो, उसका प्रतिक्रमण करता हूँ।
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