SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 301
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyarmandie KKKKKKOKOKKKK) KKKKKKKKKXXXXXXXXXXXXXXXXKKKKKKKy अने महाघोष (१०), उपरोक्त दश भुवनपति देवोना क्रमशः दक्षिण अने उत्तरदिशाओना मळी वीश इंद्रो छे. वे पिशाचना इंद्रो कहेला छे, तेना नाम-काल अने महाकाल (१), बे भूतोना इंद्रो कहेला छे, ते आ-सुरूप अने प्रतिरूप (२), बे यक्षोना इंद्रो कहेला छे, ते आ-पूर्णभद्र अने माणिभद्र (३), वे राक्षसोना इंद्रो कहेला छे, ते आ-भीम अने महाभीम (४), चे किन्नरोना इंद्रो कहेल छे, ते आ-किन्नर अने किंपुरुष (५), बे किंपुरुषोना इंद्रो कहेला छे, तेना नाम-सत्पुरुष अने महापुरुष (६), बे महोरगोना इंद्रो कहेला छे, तेना नाम-अतिकाय अने महाकाय (७), बे गंधर्वोना इंद्रो कहेल छे, ते आ-गीतरति अने गीतयशा (८). (आठ आठ व्यंतरजातिना क्रमशः दक्षिण अने उत्तरना इंद्रो छे) [२] वे अणपन्नी देवोना इंद्रो कहेल छे, ते आसन्निहित अने सामानिक (९), बे पणपन्नी देवोना इंद्रो कहेला छे, ते आ-धाता अने विधाता (१०), वे ऋषिवादी देवोना इंद्रो कहेला छे, ते आ-ऋषि अने ऋषिपालित (११), वे भूतवादी देवोना इंद्रो कहेला छे, ते आ-ईश्वर अने महेश्वर (१२), ये कंदी देवोना इंद्रो कहेला छे, ते आ-सुवत्स अने विशाळ (१३), बेमहाकंदी देवोना इंद्रो कहेला छे, ते आ-हास्य अने हास्यरति (१४), बे कुंभड (कोहंड) देवोना इंद्रो कहेला छे, ते आ-श्वेत अने महाश्वेत (१५), वे पतंगदेवोना इंद्रो कहेला छे, ते आ-पतंग अने पतंगपति (१६), बे ज्योतिष्क देवोना इंद्रो कहेला छे, ते आ-चंद्र अने सूर्य [३]. सौधर्म अने ईशान देवलोकने विषे बे इंद्रो १. आ आठ व्यंतरदेवो रत्नप्रभाना हजार योजनना तला मां नीचे उपर सो-सो योजन छोडीने शेष आठ सो योजना रहे छे. २ अणपन्नो वगेरे आठ वाणव्यंतरदेवो रत्नप्रभा पृथ्वीना उपरना सो योजनमा नोचे उपर दश-दश योनन छोडीने शेष ऐसी योजनमा रहे छे. ३ ज्योतिप्कोना असंख्य चंद्र अने असंख्य सूर्य होवाथो असंख्य इन्द्रो छे, तथापि जातिनी अपेक्षाए सामान्यथी बे इन्द्रो कहेल छे. For Private and Personal Use Only
SR No.020691
Book TitleSthanang Sutram Sanuvadasya
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorAbhaydevsuri
PublisherAbhaydevsuri
Publication Year
Total Pages377
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy