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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रीस्थानाङ्गमूत्र सानुवाद २ स्थानकाध्ययने उद्देशः ३ XXXXXXXXXXXxxxx वर्णनम् ९४ सूत्रम् इंदा पं० तं०-सके चेव ईसाणे चेव, एवं सणंकमारमाहिदेंसु कप्पेसु दो इंदा पं० तं०-सणंकुमारे चेव माहिदे चेव, बंभलोगलंतएसु णं कप्पेस दो इंदा पं०तं-बंभे चेव लंतए चेव, महासुक्कसहस्सारेसु णं कप्पेसु दो इंदा पं० तं०-महासुक्के चेव सहस्सारे चेव, आणयपाणतारणच्चुतेसु णं कप्पेसु दो इंदा पं० तं०-पाणते चेव अच्चुते पेव, महासुक्कसहस्सारेसु णं कप्पेसु विमाणा दुवण्णा पं० तं०-हालिद्दा चेव सुकिला चेव, गेविज्जगाणं देवा णं दो रयणीओ उड्डमुच्चत्तणं पन्नत्ता । सू० ९४, द्वितीयस्थाने तृतीयोद्देशकः समाप्तः २-३। मूलार्थ:-चे असुरकुमार देवोना इंद्रो कहेला छे, तेना नाम-चमरेंद्र अने बलीन्द्र (१), बे नागकुमार देवोना इंद्रो कहेल छे, तेना नाम-धरणेंद्र अने भूतानेंद्र (२), बे सुपर्णकुमार देवोना इंद्रो कहेल छे, ते आ-वेणुदेवेंद्र अने वेणुदारींद्र (३), बे विद्युत्कमार देवोना इंद्रो कहेल छ, ते आ-हरींद्र अने हरिस्सहेंद्र (४), बे अग्निकुमार देवोना इंद्रो कहेल छे, ते आ-अग्निशिख अने अग्निमाणव (५), बे द्वीपकुमारदेवोना इंद्रो कहेल छे, ते आ-पूर्ण अने वशिष्ट (६), ये उदधिकुमार देवोना इंद्रो कहेला छे, ते आ-जळकान्त अने जळप्रभ (७), बे दिक्कुमार देवोना इंद्रो कहेल छे, ते आ-अमितगति अने अमितवाहन (८), बे वायुकुमार देवोनां इंद्र कहेल छे, ते आ-लंब अने प्रभंजन (९), वे स्तनित( मेघ )कुमार देवोना इंद्रो कहेल छे, ते आ-घोष XXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX *XXXXXXXXX For Private and Personal Use Only
SR No.020691
Book TitleSthanang Sutram Sanuvadasya
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorAbhaydevsuri
PublisherAbhaydevsuri
Publication Year
Total Pages377
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size19 MB
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