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काळ बे कोडाकोडी सागरोपम प्रमाण हतो. (१), एवी रीते आवर्तमान अवसर्पिणीमां सुषमदुष्षम नामना (त्रीजा) आरानो काळ बे कोडाकोडी सागरोपम प्रमाण कहेल छे. (२), एवी रीते आगामी उत्सर्पिणीमां सुषमदुष्पम नामना (चोथा) आरानो काळ पूर्व प्रमाणे थशे. (३), जंबूद्वीप नामना द्वीपमा भरत अने ऐवत क्षेत्रने विवे अतीत उत्सर्पिणीना सुषम नामा (पांचमा) आरामां मनुष्यो वे गाउनी ऊंचाईवाळा तेमज (४),बे पल्योपमना आयुष्यने पाळनारा हता. (५), एवीरीते आ अवसर्पिणीमां सुषम नामना (बीजा) आरामां बे पल्योपमना आयुष्यने भोगवनारा हता. (६), एवी रीते आगामी उत्सपिगीमां सुषम नामना (पांचमा) आरामां बे पल्योपमना आयुष्यने पाळनारा थशे. (७), जंबूद्वीप नामना द्वीपमा भरत अने ऐवत क्षेत्रने विषे एक युगना एक समयमां वे अरिहंतना वंश उत्पन्न थया छे, उत्पन्न थाय छे अने उत्पन्न थशे.(८), एवीरीते वे चक्रानिा वंश (९), बे दशार-चासुदेवना वंश उपज्या छे, उपजे छे अने उपजशे. (१०), जंबूद्वीपना भरत अने ऐवत क्षेत्रने विवे वे अरिहंत उत्पन्न थया छे, उत्पन्न थाय छे अने उत्पन्नथशे. (११), एवी रीते वे चक्रवर्ती उपज्या छे, उपजे छ अने उपजशे. (१२), एवीरीते वे बलदेव अने वे वासुदेव उत्पन्न थया छे, उत्पन्न थाय छे अने उत्पन्न थशे. (१३), जंबुद्धीपना वे कुरुक्षेत्रने विवे मनुष्यो सदा सुषमसुषम (पहेला)
आरानी उत्तम ऋधिने पामीने भोगवता थका विचरे छे ते क्षेत्रो देवकुरु अने उत्तरकुरु (१४), जंबूद्वीप नामना द्वीपमा वे वने विषे मनुष्यो सदा सुषम नामना (बीजा) आरानी उत्तम ऋद्धिने पामीने भोगवता थका विचरे छे, ते वर्षक्षेत्रो हीि अने रम्यकवर्ष (१५), जंबूद्वीपना बे क्षेत्रोमां मनुष्यो सदा सुषमदुष्पम नामना (त्रीजा) आरानी उत्तम ऋद्धिने पामीने भोगवता थका विचरे छे, ते क्षेत्रो हैमवत अने हैरण्यवत (१६), जंबूद्वीप नामना द्वीपमा बे क्षेत्रने विषे मनुष्यो सदा दुष्पमसुपम
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