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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रास्थानाङ्गसूत्र सानुवाद ॥ १३२॥ XKKKXXXXXX जंबुद्दीवे दीवे भरहेरवएसु वासेसु एगसमये एगजुगे दो अरिहंतवंसा उप्पजिंसु वा उपजंति वा उप्पजिसंति वा ८, एवं चक्कवहिवंसा ९, दसारवंसा १०, जंबूभरहेरवएसु एगसमते दो अरहंता उप्पजिसु वा उप्पजंति वा उप्पजिस्संति वा ११, एवं चक्कबहिणो १२, एवं बलदेवा एवं वासुदेवा (दसारवंसा) जाव उप्पजिंसु वा उप्पजंति वा उप्पजिस्संति वा १३, जंबू० दोसु कुरासु मणुआ सया | सुसमसुसममुत्तमिड्डिं पत्ता पच्चणुब्भवमाणा विहरंति, तं०-देवकुराए चेव उत्तरकुराए चेव १४, जंबुहीवे दीवे दोसु वासेसु मणुया सया सुसमुत्तमं इडि पत्ता पचणुब्भवमाणा विहरंति, तं०-हरिवासे | चेव रम्मगवासे चेव १५, जंबू० दोसु वासेसु मणुया सया सुसमदुसमुत्तमामहि पत्ता पञ्चणुब्भ- 3 वमाणा विहरंति.तं-हेमवए चेव एरन्नवए चेव १६, जंबुद्दीव दीवे दोसु खित्तेसु मणुयासया दूसमसुसममुत्तममिड्डि पत्ता पञ्चणुब्भवमाणा विहरंतितं०-पूव्वविदेहे चेव अवरविदेहे चेव १७, जंबूदीवे दीवे दोसु वासेसु मणुया छव्विहंपि कालं पच्चणुब्भवमाणा विहरंति, तं०-भरहे चेव एरवते चेव १८। सू०८९ ४ मूलार्थ:-जंबूद्वीप नामना द्वीपमा भरत अने ऐवत क्षेत्रने विषे अतीत उत्सर्पिणीमां सुषमषम नामना (चोथा) आरानो xxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx २ स्थान काध्ययने उद्देशः ३ सुषमादृष मादिस्वरूपम् ८९सूत्रम् KKKKKKKKKKKKKKKKKKAKK X| १३२॥ For Private and Personal Use Only
SR No.020691
Book TitleSthanang Sutram Sanuvadasya
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorAbhaydevsuri
PublisherAbhaydevsuri
Publication Year
Total Pages377
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size19 MB
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