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हरिसलिला ६ सीयोया ७. सत्तया होंति दाहिणओ ॥ ६४ ॥ सीया य १ नारिकांता २, नरकांता चेव ३ रुप्पकूला ४ य ।
सलिला सुवण्णकूला ५, रत्तवती ६ रत्त ७ उत्तरओ ॥६५॥ मेरुनी] दक्षिण दिशामां गंगा, सिंधु, तथा रोहितांशा, रोहितनदी, हरिकांता, हरितसलिला अने शीतोदा-आ सात नदीओ होय छे. शीता, नारीकांता, नरकांता, रूप्यकूला, सुवर्णकूला, रक्तवती अने रक्ता-आ सात नदीओ मेरुनी उत्तर दिशामां होय छे. जंबूद्वीपना अधिकारथी अने क्षेत्रवडे कथन करवा योग्य पुद्गल धर्मना अधिकारथी जंबद्वीपना भरतादि संबंधी काल, लक्षण, पर्यायधर्मोंने अनेक प्रकारे अढार सूत्रवडे कहे छे
जंबुद्दीवे २ भरहेरवएसु वासेसु तीताए उस्सप्पिणीए सुसमदूसमाए समाए दो सागरोवमकोडाकोडीओ काले होत्था १, एवमिमीसे ओसप्पिणीए जाव पन्नते २, एवं आगमिस्साए उस्सप्पिणीए जाव भविस्सति ३, जंबूदीवे दीवे भरहेरवएसु वासेसु तीताए उस्सप्पिणीए ससमाए समाए मणुया दो गाउयाई उर्दू उच्चत्तेणं होत्था ४,दोन्नि य पलिओवमाई परमाउं पालडत्था ५, एवमिमीसे ओसप्पिणीए जाव पालयित्था ६, एवमागमेस्साते उस्सप्पिणीए जाव पालिस्संति ७.
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