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मदुरै।
चक्रों में (?) अन्तभूत वीरचक्र/धर्मचक्र/
नहीं है959 दक्षिणभारत में संगीत - वेंकटमखीकृत चतुर्दण्डि
विषयक अत्यंत प्रसिद्ध प्रकाशिका/ अप्पातुलसी ग्रंथ (?) है
कृत रागकल्पद्रुम/ सोमनाथकृत रागविबोध/अहोबल
कृत संगीतपारिजात। 960 चतुर्भाणी ग्रंथ में - उभयाभिसारिका/पद्मप्राभूतक
(?) का अन्तर्भाव नहीं धूर्तविटसंवाद/मुकुन्दानन्द
होता961 मातृचेटकृत चतुःशतकम् - टामसन्/ कीथ/
नामक बौध्दस्तोत्र का मैक्समूलर/ डॉ. राधाकृष्णन् अंग्रेजी अनुवाद (?) ने
किया है962 शौनककृत चरणव्यूह में - वेद/ उपवेद/पुराण/
(?) के विषय में भरपूर उपपुराण ।
सामान्य जानकारी दी है963 चान्द्रव्याकरण में (?) - कृदन्त/ तध्दित/ समास/ __का विवेचन नहीं है- वैदिकी स्वरप्रक्रिया। 964 -चित्सुखाचार्य के (?) - तत्त्वप्रदीपिका/ ग्रंथ कों 'चित्सुखी' कहते भावप्रकाशिका/ अभिप्राय
प्रकाशिका/ भावतत्त्व
प्रकाशिका 965 बिल्हण की चोरपंचाशिका - गणपतिशर्मा/ रामोपाध्याय/
पर (?) की टीका नहीं बसवेश्वर/ मल्लिनाथ।
नाटक के रचयिता कृष्णदेव राय (?) के
अधिपति थे972 पंचमजार्ज विषयक - लालमणिशर्मा/
काव्यों के लेखकों में महालिंगशास्त्री/ शिवराम (?) नहीं है
पांडे/ जग्गू बकुलभूषण। 973 प्रतीक नाटकों में (?) - जीवन्मुक्तिकल्याणम्/ प्रथम विरचित है- प्रबोधचन्द्रोदय/संकल्प
सूर्योदय/ अनुमिति-परिणय। 974 महालिंगशास्त्रीकृत - हैमलेट/ मैकबेथ/
जीवयात्रा, शेक्सपीयर के मर्चट आफ व्हेनिस/
(?) नाटक का अनुवाद है- किंग लियर । 975 आनंदारायमखी के - भक्तियोग/ अद्वैत वेदान्त/
जीवानन्दनम्-नामक आयुर्वेद/ तर्कशास्त्र । प्रतीक नाटक का विषय
976 सामवेदीय जैमिनिशाखा - तमिळनाडु/ सौराष्ट्र।
का विशेषप्रचार (?) है- कर्णाटक/ विदर्भ। 976 जौमरव्याकरण का विशेष - पश्चिमबंगाल/ दक्षिणआन्ध्र
प्रचार (?) प्रदेश में है- पूर्वी उत्तरप्रदेश/ उत्तरभारत ।
से हुआ
966 'सर्वं खल्विदं ब्रह्म'- यह - छान्दोग्य/ ऐतरेय/
महावाक्य (?) उपनिषद् - बृहदारण्यक/माण्डूक्य ।
में है967 सत्यकाम जाबालि की - द्वितीय/तृतीय/ चतुर्थ/
सुप्रसिद्ध कथा छान्दोग्य पंचम। उपनिषद् के (?)
अध्याय में है968 अमृतलहरी काव्य में - गंगा/ यमुना/ लक्ष्मी/
पंडितराज जगन्नाथ ने विष्णु।
(?) की स्तुति की है969 संस्कृत का प्रथम दैनिक - लाहोर/ कलकत्ता/ मैसूर
पत्र जयन्ती (?) से त्रिवेन्द्रम।
प्रकाशित होता था970 तांत्रिकों के पांचरात्र - 115/215/315/4151
साहित्य के अन्तर्गत संहिताओं की संख्या
977 व्याकरणशास्त्र में - पाल्यकीर्तिकृत जैन
प्रक्रियानुसारी ग्रंथों की शाकटायन व्याकरण/ रचना का सूत्रपात (?) देवनन्दीकृत जैनेन्द्र व्याकरण/
बोपदेवकृत मुग्धबोध/ अनुभूतिस्वरूपाचार्यकृत
सारस्वत व्याकरण। 978 नागपुर में प्रकाशित - डॉ. मिराशी/ डॉ. रघुवीर/
जैमिनीय ब्राह्मण का डॉ. करंबेळकर/ सरस्वती
संपादन (?) ने किया- प्रसाद चतुर्वेदी/ 979 विद्यानन्दनाथ देवकृत . वामकेश्वर/ संमोहन/ भैरव/
ज्ञानदीपविमर्शिनी (?) योगार्णव/
तंत्रपर आधारित है980 विविध तांत्रिक संहिता के - 20/60/64/100/
अनुसार तंत्रों की संख्या
981 सम्मोहनतंत्र के अनुसार - 32/75/50/30/
वैष्णवतंत्रों की संख्या
982 संमोहन तंत्र में प्रतिपादित - शैव/ वैष्णव/गाणपत्य/
चार तंत्रप्रकारों में (?) बौध्द/
नहीं है983 महाभारत वनपर्वमें - 62/72/82/92 ।
यक्षप्रश्नों की संख्या (?) हैं।
971 जाम्बवतीकल्याणम्
- वरंगळ/ मैसूर/ विजयनगर
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