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हरिशब्द के (?) अर्थ होते है
630 अमरकोश के अनुसार 'योग' शब्द के (?) अर्थ होते है
631 अमरकोश के अनुसार गोशब्द (?) अर्थो में प्रयुक्त होता है
632 पंचाग पुस्तकों में संवत्सरफल जिस
'कल्पलता' ग्रंथ से उद्धृत किया जाता है, उसके रचयिता (?) है633 कृष्ण यजुर्वेद की काठक संहिता का प्रथम प्रकाशन (?) ने किया
635 कातंत्र व्याकरण के लेखक (2) माते है
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640 कविचन्द्र कृत कुमारहरण
(?) प्रकार का नाटक है 641 जयशंकर प्रसादकृत सुप्रसिद्ध कामायनी महाकाव्य के अनुवादक (?)
642 तंत्रशास्त्र के लेखक (?) नहीं है
634 चालकसंहिता में कुलमंत्र - 15/17/18/19 !
संख्या (?) हजार है
643 कालीकुलार्णवतंत्र में
भैरव को (?) कहा है
22 / संस्कृत वाङ्मय प्रश्नोत्तरी
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2/4/5/71
636 गुप्तकालीन बौध्द समाज - कातंत्र । पाणिनीय।
चान्द्र । सारस्वत ।
में (?) व्याकरण का अधिक प्रचार था
637 कात्यायन श्रौतसूत्र (?)
वेद से संबंधित है638 श्रीशंकराचार्यका तत्त्वज्ञान (?) वाद पर अधिष्ठित है
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10/11/12/13 1
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शंकर मिश्र । सोमदैवज्ञ । रामदेव । नृसिंहशास्त्री ।
पं. सातवळेकर। श्रोडर । मैक्समूलर एफ. डब्ल्यू. थॉमस
639 हरिदास सिध्दान्तवागीशने 15 16 17 18 |
कंसवध नाटक लिखा
तब उनकी आयु (?) वर्ष थी
1/2/3/41
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ऋक् । शुक्ल यजुस् । कृष्ण यजुस् । साम । परिणामवाद । विवर्तवाद । विकारवाद | आरंभवाद ।
कूडियट्टम् । आंकियानाट। कीर्तनिया । आटभागवतम् भगवद्दत्त। रेवाप्रसाद द्विवेदी पांडुरंगराव रसिकबिहारी जोशी ।
अभिनवगुप्तपाद विमलबोधपाद । प्रेमनिधि पन्त । गागाभट्ट काशीकर । विश्वनाथ | वीरनाथ 1 क्षेत्रपाल । कालरुद्र |
644 तंत्रशास्त्र में निर्दिष्ट (?) भाव नहीं है
645 भगवद्गीता के (2) अध्याय को एकाध्यायी गीता कहते है
646 समस्यापूर्तिकाही प्रकाशन करनेवाली मासिकपत्रिका काव्यकादम्बिनी (?) से प्रकाशित होती थी647 भङ्गतीत अभिनव
गुप्ताचार्य के (?) थे648 भट्टतौत (?) रस को सर्वश्रेष्ठ मानते थे649 औचित्यविचार चर्चा के लेखक (?) थे
650 वामनाचार्य झळकीकर ने अपनी काव्यप्रकाशटीका बालबोधिनी में (?) टीकाकारों के सन्दर्भ उत किए है
651 काव्यप्रकाशपर (2) से अधिक टीकाएँ लिखी गयी
652 काव्यप्रकाशकी सर्वप्रथम टीका संकेत के लेखक (?) थे
657 मीमांसा शास्त्र के
'अधिकरण' में (?) अंग होते है658 काव्यमीमांसा ग्रंथ के लेखक राजशेखर (?) के निवासी थे659 काव्यमीमांसा ग्रंथ के
(?) अध्याय आज उपलब्ध है
660 विद्यास्थानों के अन्तर्गत
(?) की गणना नहीं होती
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वीरभाव। दिव्यभाव । पशुभाव । व्यभिचारीभाव 2/12/15/18 1
बडोदा । इन्दौर। ग्वालियर । जोधपुर।
शिष्य गुरु श्वशुर। मामा।
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भक्ति। शांत करुण । अद्भुत ।
हेमचन्द्र । क्षेमेन्द्र |
माणिक्यचंद्र । देवनाथ
तर्कपंचानन । 45/46/47/ 48 1
75/80/ 85/100!
माणिक्यचंद्र सोमेश्वर । सरस्वतीतीर्थ । श्रीवत्सलांछन
3/4/5/61
वत्सगुल्म / प्रतिष्ठान । अचलपुर। कुष्ठिनपुर।
15/18/20/25 1
661 चार विद्याओं में (?) की आन्वीक्षिकी। वार्ता ।
गणना नहीं होती
662 यज्ञ के पंच अग्नि में
(?) नहीं माना जाता
4 वेद। 7 वेदांग 18 पुराण 2 मीमांसा /
दण्डनीति | साहित्यविद्या ।
दक्षिणाग्नि । गार्हपत्य । आहवनीय। वडवाग्नि ।