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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir एकमात्र देवता की स्तुति 602 मण्डल व्यवस्था के - 14/15/16/17। अनुसार ऋग्वेद में 1 सहस्र से (?) अधिक सूक्त है603 ऋग्वेद की कुल शब्द - 25/26/26/28 | संख्या 1 लक्ष, 53 हजार, आठसौ से (?) अधिक 615 कठोपनिषद (?) वेद से - ऋक् । शुक्लयजुस्। संबंधित है कृष्णयजुस्।अथर्वागिरस्। 616 कठोपनिषद् कृष्णयजुर्वेद - आपस्तम्ब । हिरण्यकेशी। की (?) शाखा से काठक। कपिष्ठल-कठ। संबंधित है617 कठोपनिषद् के रथरूपक - घोडे । रथ । सारथि । रथी। में बुद्धि (?) है618 कथासरित्सागर के - काश्मीर । कामरूप। लेखक सोमदेव (?) के कर्णाटक । केरल। निवासी थे619 कथासरित्सागर में (?)- 114/124/134/1441 तरंग है 604 ऋग्वेद की कुल - 30/31/32/33 | अक्षरसंख्या 4 लक्ष से (?) अधिक हजार है605 ऋग्वेद के सूक्त, ऋचाएँ, - कात्यायन । सायण । शब्दों एवं अक्षरों की वेदव्यास । पैल। गणना (?) ने की606 ऋग्वेद के दार्शनिक सूक्तों - नासदीय । पुरुष । हिरण्यगर्भ में (?) सूक्त का - उषा। अन्तर्भाव नहीं होता607 नागार्जुनकृत एकालोक - तिब्बती । चीनी । जापानी। शास्त्र (?) अनुवाद से सिंहिली। संस्कृत में पुनः अनुवादित हुआ608 ऐतरेय आरण्यक के - महिदास । आश्वलायन । संकलकों में (?) नहीं है शौनक । शाकल। 609 ऐतरेय आरण्यक का - मैक्समूलर । कीथ । अंग्रेजी अनुवाद (?) मेक्डोनेल । राजेन्द्रलाल द्वारा आक्सफोर्ड में मित्र। प्रकाशित हुआ610 ऐतरेय आरण्यक (?) - ऋक् । यजुस्। साम । अथर्व . वेद से संबधित है611 'प्रज्ञानं ब्रह्म' (?) - मुण्ड । माण्डुक्य । तैतिरीय । उपनिषद् का महावाक्य है ऐतरेय ।। 612 चारलु भाष्यकार कृत - 5/7/64/128। कंकणबन्धरामायण के एक मात्र श्लोक से (?) अर्थ निकलते है613 कंकालमालिनीतंत्र का - पूर्व । पश्चिम । दक्षिण। तंत्रशास्त्र के (?) उत्तर। आम्नाय में अन्तर्भाव होता 620 ऋग्वेद के कथासूक्तों में - मत्स्य । कूर्म । वामन। (?) विष्णु-अवतार की नरसिंह । कथा आयी है621 कपिलगीता के वक्ता - पिता । माता । पुत्र । मित्र । कपिल ने (?) को उपदेश दिया622 कपिलगीता (?) ग्रंथ के- रामायण । भागवत । अन्तर्गत है महाभारत । हरिवंश। 623 स्वातंत्र्यवीर सावरकर के - ग.बा.पळसुले। सुप्रसिद्ध कमलाकाव्य श्री.भि.वेलणकर । श्री.भा. का अनुवाद (?) वर्णेकर । व.त्र्यं.शेवडे। किया है624 तिलकयशोर्णव के - पंजाब । बिहार । मध्यप्रदेश लेखक लोकनायकबापूजी उत्तरप्रदेश। अणे (?) प्रांत के राज्यपाल थे625 गाधी सूक्तिमुक्तावली के - शिक्षा । गृह । अर्थ । संरक्षण लेखक श्री. चिंतामणराव देशमुख केन्द्रशासन में (?) विभाग के मंत्री थे626 चिन्तामणराव देशमुख ने - संस्कृत । अंग्रेजी। हिंदी। अमरकोश की व्याख्या मराठी। (?) भाषा में लिखी है627 संस्कृत भाषा के संघटित - बापूजी अणे । काकासाहेब प्रचार का प्रयास गाडगीळ । कन्हैयालाल करनेवाले राज्यपाल (?) मुनशी। थे पट्टाभिसीतारामय्या। 628 अंग्रेजी शासन कालमें - आर्यसमाज । रामकृष्ण संस्कृत प्रचार का आश्रम । राष्ट्रीय स्वयंसेवक सर्वाधिक कार्य (?) संघ । अरविंद आश्रम। संस्थाने किया629 अमरकोश के अनुसार - 12/16/18/20 । 614 यमराज द्वारा नचिकेत - ईश/केन/ कठ/ प्रश्न । को ब्रह्मविद्या का निरूपण (?) उपनिषद में है संस्कृत वाङ्मय प्रश्नोत्तरी / 21 For Private and Personal Use Only
SR No.020650
Book TitleSanskrit Vangamay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreedhar Bhaskar Varneakr
PublisherBharatiya Bhasha Parishad
Publication Year1988
Total Pages638
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size30 MB
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