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यह वेद की प्रशंसा याज्ञवल्क्य।
(?) ने की है575 अरेबियन् नाइटस् का - जगबंधु । विश्वबंधु ।
संस्कृत अनुवाद (आरज्य कृष्णशास्त्री चिपळणकर। यामिनी) (?) ने गुंडेराव हरकारे।
किया है576 ज्योतिषशास्त्र के विश्व- - आर्यभट्टप्रकाश।
विख्यात ग्रंथ आर्यभटीय आर्यसिद्धान्त।
का अपरनाम (?) था आर्यसद्भाव । ग्रहलाघव । 577 हालकविकृत प्राकृत - गोवर्धनाचार्य । विश्वेश्वर
'सत्तसई' काव्य का प्रथम पाण्डेय । राम वारियर । संस्कृत रूपांतर (आर्या अनन्तशर्मा ।
सप्तशती) (?) ने किया 578 आर्षेय ब्राह्मण (?) - ऋकू । यजुस्। साम।
वेद से संबंधित है- अथर्वांगिरस्। 579 ऋग्वेद की (?) शाखा - आश्वलायन । शाखायन ।
की संहिता उपलब्ध है- माण्डूकेय । शाकल। 580 इन्दुदूत काव्य में (?) - शृंगारिक । नैतिक ।प्राकृतिक
विषय की प्रधानता है- तात्त्विक।
बताया है589 उज्ज्वलनीलकमणिकार - पुत्र । भातृपुत्र । शिष्य।
रूप गोस्वामी के जीव मित्र ।
गोस्वामी (?) थे590 नाट्यशास्त्र के - दक्षिण । शठ। अनुकूल।
अनुसार (?) नायक का खल।
प्रकार नहीं है591 नाट्यशास्त्र के अनुसार - स्वीया । परकीया।
(?) नायिका का प्रकार साधारणी। खण्डिता। नहीं है
581 इन्दुमतीपरिणय नामक - कोल्हापूर । सातारा । तंजौर ।
यक्षगानात्मक नाटक के रायगड । रचयिता शिवाजी (?)
के नरेश थे582 इन्दुमतीपरिणय के - 16/17/18/19।
लेखक शिवाजी महाराज
(?) शती में हुए 583 आस्तिक दर्शनों के प्रणेता - गौतम । कणाद । कपिल।
ओं मे (?) माने नहीं शंकराचार्य।
जाते 584 आस्तिक दर्शनों के - पाणिनि । ईश्वरकृष्ण ।
प्रणेताओं में (?) माने जैमिनि । आत्माराम ।
जाते है585 शुक्ल यजुर्वेद की - ईश तैत्तिरीय/छान्दोग्य/
वाजसनेयी संहिता का ऐतरेय । 40 वा अध्याय (?)
उपनिषद् है586 ईशावास्योपनिषद् की - 16/18/20/24।
कुल मंत्रसंख्या (?) है587 काश्मीरी शैव संप्रदाय का- ईश्वरसंहिता । ईश्वरस्वरूपम्।
सुप्रसिद्ध ग्रन्थ (?) है- ईश्वरप्रत्यभिज्ञा ।ईश्वरदर्शनम् 588 शैवागम के अनुसार 60 - उग्ररथ । भीमरथ । दशरथ ।
वर्षों की आयु पूर्ण होने सुरथ । पर (?) शान्तिविधि
592 सर्पसत्र करनेवाले - अभिमन्यु । उत्तर । परीक्षित
जनमेजय महाराज (?) आस्तिक।
के पुत्र थे593 जैन मान्यता के अनुसार - महायोगी। महाराजा।
प्रत्येक तीर्थंकर पूर्वजन्म महापंडित । महावीर ।
में (?) थे594 जैन मतानुसार श्रीकृष्ण - मित्र । बन्धु । शिष्य ।
को, तीर्थंकर नेमिनाथ प्रतिस्पर्धी ।
का (?) माना जाता है595 जैन संप्रदाय के 24 - जिनसेन । गुणभद्र ।
पुराणों में ज्ञानकोष माना सकलकीर्ति । रविषेण गया उत्तर पुराण (?)
द्वारा लिखा गया596 समुद्रपर्यटन के कारण - उध्दारकोश । उध्दारचन्द्रिका
परधर्म में प्रवेशित हिंदुओं देवलस्मृति । सत्यव्रतस्मृति का स्वधर्म में प्रवेश (?)
ग्रंथ में प्रतिपादित है597 उद्धारचन्द्रिका के लेखक - काशीचन्द्र । दक्षिणामूर्ति ।
देवल । शंख। 598 सामवेद की कौथुम - यास्क । पाणिनि ।
शाखा के, ऋक्तंत्र शाकटायन । शाकल्य नामक प्रातिशाख्य के
लेखक (?) है599 ऋग्वेद के आठ अष्टकों - 48/56/64/72 ।
में कुल अध्यायों की
संख्या (?) है600 अष्टक व्यवस्था के - 5/6/7/8/
अनुसार ऋग्वेद के 64 अध्यायों में, कुल वर्गसंख्या दो सहस्रसे
(?) अधिक है601 ऋग्वेद के नौवे मण्डल - उषा । सोम । वरुण । अग्नि ।
के सारे सूक्तोंमें (?)
20 / संस्कृत वाङ्मय प्रश्नोत्तरी
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