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पिल्ले। (1974) श्रीशारदादेवीचरितसंग्रह- श्रीमती देवकी मेनन । श्रीरामकृष्णाश्रम (मद्रास) द्वारा प्रकाशित (1998) श्रीशोणाद्रीशस्तव - डॉ. पी. के. नारायण पिल्ले (1975) शबरीगिरितीर्थाटनम् - (स्तोत्र) डॉ. पी. के. नारायण पिल्ले। (1975) सारसंग्रह-प्रणति - श्रीमंक ताम्पुरान्। त्रिपुणिथुरै निवासी - (1967) साहित्यकौतुकम् (अष्टकसंग्रह) - ले.टी.वी. परमेश्वर अय्यर । देववाणीपरिषद्, दिल्ली, द्वारा सन् 1983 में प्रकाशित। इसमें विविध विषयों पर (जिनमें सैनिक, भोजन, गान्धी, दयानंद, चलचित्र, हंस, सिंह, गर्दभ, दान, धर्म, मोक्ष जैसे विषय आये हैं) 34 अष्टक कवि ने प्रदीर्घ वृत्त में लिखे हैं। इन अष्टकों का विभाजन 8 स्तबकों में किया है।
काव्य) - ई. व्ही. रामन् नम्पुतिरी। त्रिवेंद्रम में प्रकाशित (1947)। महात्यागी (ख्रिस्तचरित्रविषयक काव्य)- ओ. एन. अय्यर। मातृपरिदेवनम् - अच्युत पोतुवल। त्रिपुणिथुरै में प्रकाशित (1961) मीमांसान्यायप्रकाश- कारिकावली (दर्शन) - श्री. व्ही. पी. नम्पुतीरी। त्रिवेंद्रम निवासी। (1962) मंगलम् - मंक तांपुरान् (1967) येसुचरितम् - के.पी. उरुमील मास्टर। एर्नाकुलम में प्रकाशित (1957)। राधाकृष्णरसायनम् - ले.- ओट्टर उण्णि नम्बूतिरीपाद । जन्मसन 1904। केरलनिवासी। कृष्णभक्तिपर विविध काव्यों का यह संग्रह सन 1982 में देववाणी परिषद् द्वारा प्रकाशित हुआ। वातालयेश-स्तवमंजरी - व्ही. रामकुमार । विवेकानन्दम् - ओडुर उन्नी नम्बुतीरीपाद । विशुद्धनबीचरितम् (काव्य)- के.एस. नीलकान्तन् उनी। (मोहम्मद नबी का चरित्र) विश्रुतचरितम् (काव्य)- व्ही.जी.नम्बूतिरी । त्रिवेंद्रम में प्रकाशित (1963) विश्वभानुः (महाकाव्य)- श्री. पी. के. नारायण पिल्ले। (1979) साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त। विषय- स्वामी विवेकानन्द का चरित्र। वेदान्तदर्शनम्- डॉ. आर. करुणाकरन् (1980) वेदान्तवेदनम् (वेदान्तप्रशंसा)- के.जी.केशव पणिक्कर । संस्कार केरलम् द्वारा प्रकाशित। शरणागति- श्रीमंक ताम्पूरान्। त्रिपुणिथुरैनिवासी। (1967)। श्रीगुरुगीता (लघुकाव्य)- पी.के.के.गुरुकुल । तेल्लिचेरी निवासी (1977) श्रीनारायणविजयम् (महाकाव्य) - प्रा. बलराम पणिक्कर । त्रिवेन्द्रम निवासी (1971)। श्रीपादसप्तति - ले.- नारायण भट्टपाद। ई. 16 वीं शती। तिरुनावाय (केरल) निवासी। अपरनाम मेप्पतूर-भट्टतिरी। इस लेखक का नाराणीयम् नामक सहस्रश्लोकी भागवत सुप्रसिद्ध है। कहते हैं कि नारायणीयम् की रचना समाप्त होने पर गरुवायर क्षेत्र के भगवान ने लेखक को मस्कथल नामक महिषासुरमर्दिनी के मंदिर में आराधना करने का आदेश दिया। तदनुसार आराधना निमित्त यह 70 श्लोकों का स्तोत्र रचा गया। डॉ. स्वामिनाथ कृत श्रीपादपरागव्याख्या के साथ देववाणी परिषद (दिल्ली) द्वारा सन् 1983 में प्रकाशित । श्रीरामकृष्णकर्णामृतम् - ओटूर उन्नी नम्बुतिरिपाद । श्रीवल्लभेश-सुप्रभातम् (स्तोत्र)- डॉ. पी. के. नारायण
सीताविचारलहरी (अनूदितकाव्य) - श्री. गोपाल पिल्ले। केरलप्रतिभाद्वारा प्रकाशित (1965) सुप्रभातम् (स्तोत्र) - श्रीमंक ताम्पुरान् (1967) संगीतचन्द्रिका - ओट्टर कृष्ण पिशरोटी। सन्ध्या (अनूदित नाटक)- प्रा. एस. नीलकंठ शास्त्री। हरिनामकीर्तनम् (अनूदित काव्य)- एन. डी. कृष्णन् उन्नी।
पंजाब
कालिदासदर्शनम्- शिवप्रसाद भारद्वाज । जवाहर-वसन्तसाम्राज्यम्- जयरामशास्त्री (1951) जवाहरजीवनम्नेपालसाम्राज्योदयम्- पशुपति झा (1980) प्रस्तारतरंगिणी - चारुदेव शास्त्री। (1950)। भक्तसिंहचरितम् - श्यामप्रकाश शर्मा (1978) । संस्कृतसाहित्येतिहासः - डॉ. हंसराज अग्रवाल (1951)
पश्चिमबंगाल
चन्द्रमहीपति (उपन्यास)- श्रीनिवासशास्त्री । कलकत्ता निवासी । न्यायवैशेषिक-सम्मतज्ञानविमर्श - मधुसूदन आचार्य । प्राचीनभारतीय-मनोविज्ञानम् - दिनेशचन्द्र भट्टाचार्य। नागेन्द्र प्राज्ञ मंदिर, कलकत्ता (1972) भूतनाथ (उपन्यास) - श्रीनिवासशास्त्री। कलकत्ता । यज्ञोपवीतत्त्वम् - भूतेशचन्द्र । वेदार्थविचार - म.म.सीताराम शास्त्री।
संस्कृत वाङ्मय कोश - ग्रंथ खण्ड / 443
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