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व्याकरणकारिका- श्रीहरिपद दत्त । सारस्वतशतकम् - जीव न्यायतीर्थ । सुरवागविलापम् - दीपक घोष। स्मृतिसारसंग्रह - कैलाससचन्द्र स्मृतितीर्थ । स्मृतिरत्नहार (कालपरिच्छेदमात्र) - बृहस्पति रायमुकुट । श्रीरामविलाप (खंडकाव्य) - ले.- कृष्णप्रसादशर्मा घिमिरे । (नेपाली) "काव्यप्रासाद" (टंकालगिरी धारा, काठमांडू, (नेपाल) द्वारा सन् 1980 में प्रकाशित। इसके पूर्वार्ध में 81 और उत्तरार्ध में 89 श्लोक वसंततिलका वृत्त में है। विषय - पंपा पुष्करिणी को देख कर सीता का तीव्र स्मरण होने के कारण प्रभुरामचंद्र ने किया हुआ विलाप।
मध्यप्रदेश
अग्निशिखा - डॉ. पुष्पा दीक्षित। बिलासपुर । अजातशत्रु - डॉ. श्रीनाथ श्रीपाद हसूरकर । इन्दौर निवासी। अजाशती (खण्डकाव्य) - डॉ. भास्करचार्य त्रिपाठी । भोपाल।
अष्टांगहृदयस्य सांस्कृतिकम् अध्ययनम् - व्ही. के. कान्हे। रायपुर- निवासी। अहल्याप्रशस्ति - श्री. शैलेन्द्रनाथ सिद्धनाथ पाठक। तराना-निवासी। आंग्लसाम्राज्यम्- डॉ. हरिहर त्रिवेदी। इन्दौर-निवासी। आहार-योजना - डॉ. रामनिहाल शर्मा। रायपुर निवासी। विषय- आहारविज्ञान। इन्दुमती (नाटिका) - पं. सुधाकर शुक्ल । दतिया-निवासी। उज्जयिनीमहिमा - श्री. रमेशकुमार पांडेय। गुना-निवासी। करकमलानि (काव्यसंकलन) - गजानन शास्त्री करमलकर। इन्दौर- निवासी। कंसवधम् (खडकाव्य) - डॉ. राजाराम तिवारी। जबलपुर-निवासी। कादम्बरीहर्षचरितयोःविकारसंग्रह - डॉ. रामनिहाल शर्मा । रायपुर-निवासी। विषय-आयुर्वेद । गणाभ्युदयम् (नाटक) - डॉ. हरिहर त्रिवेदी । इन्दौर-निवासी। गांधियुगागम - श्रीबद्रीनारायण पुरोहित । इन्दौर निवासी। गान्धि सौगन्धिकम् (20 सर्ग) - पं. सुधाकर शुक्ल। दतिया-निवासी। गायत्रीलहरी - डॉ. रुद्रदेव त्रिपाठी। मन्दसौर-निवासी। चन्द्रगुप्तमहाकाव्यम्- डॉ. हरिहर त्रिवेदी। इन्दौर-निवासी। चेन्नमा - डॉ. श्रीनाथ श्रीपाद हसूरकर । इन्दौर-निवासी। जगदीशशतकम् - रघुराजसिंह । जागरणम् - (गीतसंग्रह) डॉ. शिवशरण शर्मा।
(ग्वालियर-निवासी)। जन्तुविज्ञानम् - डॉ. रामनिहाल शर्मा। रायपुर-निवासी। विषय-वस्त्रविज्ञान। दावानल (उपन्यास) - डॉ. श्रीनाथ श्रीपाद हसूरकर । देवदूतम् (खण्डकाव्य) - पं. सुधाकर शुक्ल । दतिया-नविासी। देवव्रतीयम् (महाकाव्य) - डॉ. बच्चूलाल अवस्थी। सागर-निवासी। देव्यहल्याश्रद्धांजलि . शैलेन्द्रनाथ सिद्धनाथ पाठक। तराना-निवासी। द्वा सुपर्णा (उपन्यास) - डॉ. रामजी उपाध्याय । सागर-निवासी। पंचवटी (हिन्दी काव्य का अनुवाद) - डॉ. राधावल्लभ त्रिपाठी। सागर-निवासी। पंचाशदेकांकि-नाटकनां मुक्तावली - लेखिका- डॉ. वनमाला भवालकर व डॉ. स्मृति जोगलेकर।। पत्रदूतम् - डॉ. रुद्रदेव त्रिपाठी। मन्दसौर-निवासी। पद्मपद्माकरम् - गजानन शास्त्री करमलकर। इन्दौर-निवासी। पाथेय (उपन्यास) - डॉ. रामजी उपाध्याय । सागर-निवासी। पाददण्ड (नाटक) - डॉ. श्रीमती वनमाला भवालकर । पादुकापंचकम् (अमरनाम-गुरुतत्त्वम्) - पंचवक्र शिवोक्तम्। इस पर कालीचरण की अमला नामक टीका है। श्रीकृष्णानंद बुधोलिया की हिंदी व्याख्या सहित पीताबंरा संस्कृत परिषद् (दतिया, मध्यप्रदेश) द्वारा सन् 1985 प्रकाशित । शक्तिसाधना में इस रहस्यमय स्तोत्र का विशिष्ट स्थान माना जाता है। प्रतिज्ञापूर्ति - श्रीनाथ श्रीपाद हसूरकर । इन्दौर-निवासी। प्रेमपीयूषम् (नाटक) - डॉ. राधाविल्लभ त्रिपाठी। सागर-निवासी। भारतवर्षम् - गजानन शास्त्री करमलकर। इन्दौर-निवासी। भारतस्य सांस्कृतिको निधिः - डॉ. रामजी उपाध्याय। सागर निवासी। भारतीस्वयंवरम् (12 सर्ग)- सुधाकर शुक्ल । दतिया-निवासी। महाकवि-कण्टक - (आख्यायिका) डॉ. राधावल्लभ त्रिपाठी। सागर-निवासी। महात्मगान्धिचरितम् (6 सर्ग) - राजवैद्य वरिन्द्र। इन्दौर-निवासी। माहिष्मतीवर्णनम् - श्री. राजाराम पवार । मैकबेथम् (मैकबेथ नाटक का अनुवाद) - मोहन गुप्त । भोपाल-निवासी। यंत्रशक्तिविज्ञानम् - डॉ. रुद्रदेव त्रिपाठी। मन्दसौर-निवासी। युगप्रतिवेदनम्- डॉ. कामताप्रसाद त्रिपाठी । राजनांदगाव-निवासी। राजयोगिनी (खण्डकाव्य) - डॉ. प्रभाकर नारायण कवठेकर ।
जासहा
444 / संस्कृत वाङ्मय कोश - ग्रंथ खण्ड
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