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नवभारतपुराणम् - ले.- रमेशचन्द्र शुक्ल । इसमें 14 अध्यायों में आधुनिक भारत की महत्त्वपूर्ण बातों का निवेदन किया है जिस में स्वतंत्रतायुद्ध, समाजवाद, धर्मनिरूपण जैसे विषयों का अन्तर्भाव हुआ है। देववाणी परिषद्, (दिल्ली) द्वारा सन् 1985 में प्रकाशित। नर्मसप्तशती - डॉ. भगीरथप्रसाद त्रिपाठी (1984) पूर्णकुम्भ - ले.- विष्णुकान्त शुक्ल। विश्वसंस्कृतम्, स्वरमंगला, संवित् इत्यादि संस्कृत पत्रिकाओं में प्रकाशित दस ललित गद्य लेखों का संग्रह। सन् 1982 में देववाणी परिषद् (दिल्ली) द्वारा प्रकाशित। बदरीश-तरंगिणी - ले.- सुंदरराज। पिता राघवाचार्य। लेखक रसायन शास्त्र में एम.एस.सी. तथा आई.ए.एस. उपाधिधारी एवं भारतसरकार के उच्च अधिकारी हैं। इस काव्य में कुल 110 श्लोकों में बदरीनाथ क्षेत्र का माहात्म्य वर्णन किया है। अंग्रजी अनुवाद सहित देववाणी परिषद् दिल्ली, द्वारा सन् 1983 में प्रकाशित । बदरीशसुप्रभभातम् (स्तोत्रकाव्य) - ले.- डॉ. शास्त्रपुरम् रामकृष्णस्वामिनाथन्। पचास श्लेकों में बदरीनारायण क्षेत्र की महिमा का वर्णन इसमें किया है। प्रत्येक श्लोक के अन्त में "श्रीनाथ ते बदरिकेश्वर सुप्रभातम्" यह पंक्ति आती है। डॉ. एन. रघुनाथ अय्यर द्वारा लिखित सुबोध व्याख्या के साथ सन् 1983 में देववाणी परिषद् (दिल्ली) द्वारा इसका प्रकाशन हुआ। बल्लवदूतम् - बटुकनाथ शर्मा। भक्तिरसविमर्श - डॉ. कपिलदेव ब्रह्मचारी । वाराणसी (1980) भाति मे भारतम् - ले. डॉ. रमाकांत शुक्ल। दिल्ली विश्वविद्यालय राजधानी कॉलेज में हिंदी विभाग के प्राध्यापक। स्रग्विणी वृत्त में देशभक्ति पर 108 पद्यों का संग्रह। सन् 1980 में देववाणी परिषद् (दिल्ली) द्वारा हिंदी तथा अंग्रेजी अनुवादों के साथ प्रकाशित। इस काव्य के प्रत्येक पद्य के अन्त में "भूतले भाति मेंऽनारतं भारतम्" -- यह पंक्ति है। भावांजलि - डा. श्रीमती नलिनी शुक्ला। कानपुर में प्रकाशित (1979)। मधुमयरहस्यम् (गीतिसंग्रह) - डॉ. परमहंस मिश्र । वाराणसी। मनोविज्ञानमीमांसा - विश्वेश्वर सिद्धान्त शिरोमणि। (आत्माराम एण्ड सन्स, दिल्ली- 1959)। महर्षिज्ञानानन्दचरितम् (महाकाव्य-23 सर्ग) - विन्ध्येश्वरी प्रसाद शास्त्री। शास्त्र प्रकाशन विभाग, भारतधर्म महामंडल (वाराणसी) द्वारा, सन् 1969 में प्रकाशित । मानसभारती (रामचरितमानस का अनुवाद) - डॉ. जनार्दन गंगाधर रहाटे। वाराणसी निवासी। भुवनवाणी ट्रस्ट लखनऊ द्वारा प्रकाशित।
मारुतिचरितम् (गीतिकाव्य) - रमाशंकर मिश्र। प्रतापगढ़ निवासी। (1977)। मृवीका (गीतिकाव्य) - अभिराजेन्द्र मिश्र । वैजयन्त प्रकाशन, (इलाहाबाद) द्वारा प्रकाशित। मीमांसादर्शनम् - डॉ. मण्डन मिश्र। दिल्ली। मायाविषये भारतीयदृष्ट्या पर्यालोचनम्- डॉ. कु. शशिबाला। मृद्वीका - डा. जगन्नाथ पाठक। गंगानाथ झा विद्यापीठ।
यूथिका (मूललेखक- शेक्सपीयर) नाटक - डॉ. रेवाप्रसाद द्विवेदी (सनातन)। रघुनाथ-तार्किकशिरोमणि-चरितम् - वसंत त्र्यंबक शेवडे । रसदर्शनम् (साहित्यशास्त्रीय प्रबन्ध) - ले.- आचार्य रमेशचंद्र शुक्ल। देववाणी परिषद्, दिल्ली-6 वाणी विहार, नई दिल्ली59, द्वारा सन् 1984 में प्रकाशित । इस प्रबन्ध में 43 प्रकरणों में काव्यगत रस का सर्वकष विवेचन लेखक ने किया है। प्रबन्ध में सर्वत्र प्राचीन साहित्य शास्त्रीय ग्रंथों के वचन उद्धृत किये हैं। रामायणसोपानम् (8-सर्ग) - रामचंद्र शास्त्री। विन्सेंट स्कूल, राजघाट, वाराणसी- 1976। राष्ट्रगीतांजलि - डॉ. कपिलदेव द्विवेदी। विश्वभारती अनुसंधान परिषद्, वाराणसी द्वारा- 1978 में प्रकाशित। रुक्मिणीहरणम् (21 सर्गात्मक महाकाव्य) - श्री. काशीनाथ द्विवेदी। मोतीलाल बनारसीदास प्रकाशन- 1966 ई.। वाग्वधूटी (गीतिकाव्य) - डॉ. अभिराज राजेन्द्र मिश्र । वैजयन्त प्रकाशन, इलाहाबाद । विक्रमाङ्कदेवचरितम् - रामकुबेर मालवीय, वाराणसी-निवासी। विन्ध्यवासिनीविजय (महाकाव्य) - वसन्त त्र्यंबक शेवडे। चौखम्बा प्रकाशन- 1985। सन् 1985 में साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कार प्राप्त। वृत्तमंजरी - वसन्त त्र्यंबक शेवडे। वेदार्थपारिजात - ले.- स्वामी करपात्रीजी महाराज। ई. 20 वीं शती। वैदिक संस्कृति का परंपरानुसार प्रतिपादन करने वाले तथा पाश्चात्य विचारधारा का खंडन करने वाले विविध ग्रंथ हिंदी भाषा में लिखने के बाद जीवन की अंतिम अवस्था में स्वामीजी ने वेदभाष्य का लेखन किया। प्रस्तुत ग्रंथ उसी वेदभाष्य की भूमिका है। इसके प्रथम खंड में प्रमाणविषयक मार्मिक विवेचन किया है। द्वितीय खंड में मॅक्यमूलर, मॅक्डोनेल प्रभृति पाश्चात्य, एवं दयानन्द सरस्वती सदृश भारतीय विद्वानों के वेदविषयक मतों का सप्रमाण खंडन किया है। दो हजार पृष्ठों के इस महान् ग्रंथ में सहस्रावधि प्रमाणवचन उद्धृत होने के कारण यह ग्रंथ कोशस्वरूप हुआ है। 20 वीं शती के श्रेष्ठ संस्कृत ग्रंथों में वेदार्थपारिजात की गणना होती है। प्राप्तिस्थान-धानुका प्रकाशन संस्थान, वृन्दावन विहारीभवन,
440 / संस्कृत वाङ्मय कोश - ग्रंथ खण्ड
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