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समखी-पंचागम् - रुद्रयामल के अन्तर्गत। श्लोक 4401 विषय- इसमें पंच अंगों में सुमुखी स्तोत्र नहीं है। शेष चारसुमुखी कल्प, सुमुखीकवच, सुमुखी सहस्रनाम तथा सुमुखीहृदय
सुभद्राहरणम् - ले.-नारायण। पिता- ब्रह्मदत्त। 20 सर्गयुक्त महाकाव्य। अन्य रचना धातुकाव्यम् है जिसमें धातुपाठ के उदाहरण हैं। सुभद्राहरणम् - ले.-माधवभट्ट। ई. 16 वीं शती। श्रीगदित कोटि का उपलब्ध एकमेव एकांकी उपरूपक। प्रथम अभिनय श्रीपर्वत पर श्रीकण्ठ के प्रीत्यर्थ। प्रधान रस शृंगार। हास्य
और वीर अंगभूत रस के रूप में। कथासार - वसन्तोत्सव मनाने सखियों के साथ उपवन गई हुई सुभद्रा का अर्जुन हरण करते हैं। राजा उग्रसेन अर्जुन पर आक्रमण करने का आदेश देते हैं परंतु श्रीकृष्ण बात सम्हाल लेते हैं और दोनों का परिणय करा देते हैं। काव्यमाला में 1888 ई. में प्रकाशित । चौखम्बा विद्याभवन से 1962 में पुनः प्रकाशित। सुभद्राहरणम् (एकांकी) - ले.- ताम्पूरन (केरलवासी) ई. 19 वीं शती। सुभद्राहरणम् (काव्य) - ले.-हेमचन्द्रराय कविभूषण। (जन्म 1882 ई.)। सुभद्राहरण-चम्पू - ले.नारायण भट्टपाद । सुभाषचन्द्र बोस चरितम् - ले.-वि.के. छत्रे। कल्याण-निवासी। 16 सर्गयुक्त महाकाव्य। सुभाषचन्द्रोदयम् - ले.- राजनारायण प्रसाद मिश्र (नूतन) दिल्लीनिवासी। अनुवादक- डॉ. शम्भुशरण शुक्ल। 1987 में प्रकाशित। सुभाषसुभाषम् (नाटक) - ले.-यतीन्द्रविमल चौधुरी। नेताजी सुभाष द्वारा विदेश जाकर भारत की स्वतन्त्रता हेतु शक्ति संघटन की कथा। आजाद हिन्द सेना, झांसी-रानी वाहिनी आदि का चित्रण। भारतीय वीरता के गौरव का वर्णन। अंकसंख्या छः। सुभाषितकौस्तुभ - ले.-वेंकटाध्वरी । सुभाषित-रत्न-भाण्डागारम्- संपादक काशीनाथ पाण्डुरंग परबपणशीकर शास्त्री द्वारा सुधारित प्राचीन कवियों के सुभाषितों का बृहत्तम संग्रह। इसकी आठ आवृत्तियां अभी तक प्रकाशित हो चुकी हैं। सुभाषितरत्नसंदोह - ले.-अमितगति (द्वितीय) ई. 10-11 वीं शती। जैनाचार्य। सुभाषितशतकम् - ले. रंगनाथाचार्य। पिता- कृष्णम्माचार्य।
सुमुखीपटलम् - रुद्रयामल से उद्धृत। विषय- उच्छिष्टमातंगी, बगलामुखी तथा श्रीविद्या की पूजा । सुमतीन्द्रजयघोषणा - ले.-वेंकटनारायण। इस काव्य में कवि के गुरु, विद्वान् जैन मुनि सुमतीन्द्र भिक्षु का चरित्र वर्णन है। गुरु- तंजावर अधिपति शहाजी राजा की सभा में थे। सुरखोत्सवम्- ले.-सोमेश्वर दत्त। ई. 13 वीं शती। सुरभारती - सन 1959 में काशी हिन्दू विश्वविद्यालयीन संस्कृत महाविद्यालय की मुखपत्रिका के रूप में इस हस्तलिखित पत्रिका का प्रकाशन हुआ। सम्पादक-विश्वनाथ शास्त्री थे। कुल दो सौ पृष्ठों वाली इस पत्रिका में रेखा-चित्र, प्राध्यापकों के निबन्ध एवं छात्रों की रचनाएं प्रकाशित होती थी। इसकी केवल पाच प्रतियाँ ही निकलती थीं। अर्थाभाव के कारण इसका मुद्रण संभव नहीं हो पाया। ___"सुरभारती" नाम से एक अन्य पत्रिका 1962 में बडोदा
से प्रकाशित हुई जो वटोदर संस्कृत महाविद्यालय की मुखपत्रिका है। पचास पृष्ठों की इस पत्रिका में छात्रों और प्राध्यापकों की रचनाएं प्रकाशित होती हैं। सुरभारती - 1947 में श्री गोविन्दवल्लभ शास्त्री के सम्पादकत्व में, 116 भुलेश्वर (मुंबई) से इस पत्रिका का प्रकाशन आरंभ हुआ। बत्तीस पृष्ठों वाली इस पत्रिका का वार्षिक मूल्य चार रुपये था। सुरेन्द्रचरितम् - ले.- शिवराम । इस काव्य का वर्ण्य विषय रामचरित्रान्तर्गत “अहिल्योद्धार" है। सुरेन्द्रसंहिता - उमा-महेश्वर संवादरूप। 14 पटलों में पूर्ण । विषय- श्यामला के विभिन्न मन्त्र और उनकी पूजा का प्रतिपादन । सुलतानचरितम् - ले.-छज्जूरामजी। दिल्ली निवासी। काव्य अनुप्रासयुक्त तथा कल्पकतापूर्ण है। सुवर्णातन्त्रम् - शिव-परशुराम संवादरूप। खण्ड-2। पटल17 में पूर्ण। श्लोक 3681 विषय- तांबे और पारे को सुवर्ण बनाने की विधि। सुवर्णप्रभासूत्रम् - ले.-अज्ञात। यह महायानसूत्र बौद्ध जगत् में भारत तथा बौद्धधर्मी अन्य देशों में विशेष लोकप्रिय है। इस में तथागत के धर्मकाय की प्रतिष्ठापना है, यह ग्रंथ मूल रूप से शरद्शास्त्री तथा शरद्दास बहादुर द्वारा प्रकाशित है। जपान से बी. नांजियों द्वारा 1931 में प्रकाशित। 15 परिवर्त विद्यमान, जब कि राजेन्द्रलाल मित्र ने 21 परिवर्तों की सूची दी है। प्रथम परिवर्त में कौण्डिन्य को सर्वलोकप्रिय प्रियदर्शन का उत्तर है जिसमें बुद्ध धर्मकाय होने की चर्चा है। अन्य
सुभाषित-सुधानिधि - ले.-सायणाचार्य। ई. 13 वीं शती । विविध विषयान्तर्गत सुभाषितों का संग्रह। सुमतिशतकम् - अनुवादक- चिट्टीगुडूर वरदाचारियर। मूल तेलगु काव्य। सुमनोंजलि - (सिद्धान्तकौमुदी की टीका) ले. तिरुमल द्वादशाहयाजी।
संस्कृत वाङ्मय कोश - ग्रंथ खण्ड /415
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