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केदारनाथ शर्मा सारस्वत के संपादकत्व में कुछ काल तक प्रकाशित होने के बाद दिल्ली से महामहोपाध्याय परमेश्वरानंद शास्त्री के संपादकत्व में प्रकाशित होने लगा। बाद में यह पत्र दिल्ली से ही गोस्वामी गिरिधारीलाल के सम्पादकत्व में प्रकाशित होता रहा। इसमें विविध विषयों से संबंधित निबंध, कविताएं, सरस कहानियां और संस्कृत शिक्षा विषयक निबन्धों का प्रकाशन होता है। संस्कृतवाक्यप्रबोध - ले.-स्वामी दयानन्द सरस्वती (आर्य समाज के संस्थापक) छात्रों की भाषण क्षमता में वृद्धि हेतु यह बालबोध पुस्तक स्वामीजी ने लिखी थी। संस्कृतवाग्विजयम् (नाटक) - ले.-प्रभुदत्त शास्त्री। सन 1942 में दिल्ली से प्रकाशित। अंकसंख्या- पांच। अनेक दृश्यों में विभाजित। प्राकृत के स्थान में हिन्दी का प्रयोग। विषय- पाणिनिकालीन संस्कृत, भोजकालीन संस्कृत तथा आधुनिक संस्कृत की उच्चावचता का विश्लेषण। विदूषक तथा विदूषिका द्वारा हास्यनिर्मिति। संस्कृतवाणी - सन 1958 में राजमहेंद्री (आंध) से इस पत्रिका का प्रकाशन आरंभ हुआ। इसकी सम्पादिका श्रीमती एन.सी. जगन्नाथम् थीं। पत्रिका का वार्षिक मूल्य दस रु. था। इसमें तेलगु भाषीय लेख भी प्रकाशित होते थे।
साहित्य अकादमी दिल्ली से डॉ. वे. राघवन् के संपादकत्व में इसका प्रकाशन प्रारंभ हुआ। लगभग 100 पृष्ठों वाली इस पत्रिका में अर्वाचीन खण्डकाव्य, गद्य-प्रबंध, रूपक, अनुवाद तथा शोधनिबन्धों का प्रकाशन होता है। संस्कृतप्रभा - सन 1960 में मेरठ से आचार्य द्विजेन्द्रनाथ शास्त्री के सम्पादकत्व में इस पत्रिका का प्रकाशन प्रारंभ हुआ। यह भारती प्रतिष्ठान की अनुसंन्धान प्रधान पत्रिका थी किन्तु इसका प्रकाशन प्रथम वर्ष में ही स्थगित हो गया। संस्कृतबोधव्याकरणम् - ले.-रजनीकान्त साहित्याचार्य। ई. 19 वीं शती। संस्कृतभवितव्यम् - ले.-संस्कृत भाषा प्रचारिणी सभा नागपुर द्वारा संचालित साप्ताहिक वृत्तपत्र । प्रथम संपादक डॉ. श्री.भा. वर्णेकर। 1950 से नियमित प्रकाशन हो रहा है। इसके कुछ विशेषांक महत्त्वपूर्ण हैं। सन 1954 में यूनेस्को की योजनानुसार हुई अखिल भारतीय संस्कृत कथास्पर्धा संस्कृतभवितव्यम् द्वारा संगठित हुई। इस स्पर्धा में पारितोषिक प्राप्त पांच कथाओं का संग्रह प्रकाशित हुआ है। संस्कृतभारती - सन 1918 में वाराणसी से कालीप्रसन्न भट्टाचार्य, रमेशचन्द्र विद्याभूषण और उमाचरण बन्दोपाध्याय के सम्पादकत्व में इस त्रैमासिक पत्रिका का प्रकाशन आरंभ हुआ। इसमें साहित्य, दर्शन, विज्ञान आदि विषयों से सम्बन्धित निबन्ध, समालोचनाएं आदि प्रकाशित होती थीं। इसका वार्षिक मूल्य पांच रुपये था। रवीन्द्रनाथ टैगोर की गीतांजलि का संस्कृत अनुवाद इसमें क्रमशः प्रकाशित हुआ। संस्कृतभास्कर - मथुरा से प्रकाशित पत्रिका। संस्कृतमहामण्डलम् - सन 1919 में कलकत्ता से महामहोपाध्याय श्री. लक्ष्मणशास्त्री द्रविड के संपादकत्व में इस पत्रिका का प्रकाशन आरंभ हुआ। बहुविध विषयों से संबंधित यह पत्रिका एक वर्ष से अधिक काल तक नहीं चल सकी। भुवनमोहन सांख्यतीर्थ इसके सहायक सम्पादक थे। संस्कृतरत्नाकर - सन 1904 से जयपुर से संस्कृत साहित्य सम्मेलन की ओर से इस पत्रिका का प्रकाशन प्रारंभ हुआ। दो वर्ष बाद इसके सम्पादन का भार भट्ट मथुरानाथशास्त्री पर आया। १ वर्षों बाद संपादन का दायित्व माधवप्रसाद पर आया। दसवे वर्ष इसका प्रकाशन अवरुद्ध हो गया। 1932 में यह पत्र पुनः श्री पुरुषोत्तमशर्मा चतुर्वेदी और महामहोपाध्याय गिरिधरशर्मा चतुर्वेदी के सम्पादकत्व में जयपुर से ही प्रकाशित होने लगा। इसमें अनेक उच्च कोटि के विषयों से परिपूर्ण वेद, दर्शन, आयुर्वेद, विषयक विशेषांक प्रकाशित किये गये। कुछ समय पश्चात् पत्र का प्रकाशन पुनः स्थगित हो गया। ___ यह पत्र कुछ समय के लिए वाराणसी से महादेवशास्त्री के सम्पादकत्व में प्रकाशित हुआ। इसके बाद कानपुर से
संस्कृतशिशुगीतम् - विद्वानों की भाषा होने के कारण संस्कृत के साहित्य में शिशुगीत जैसे वाङ्मय प्रकार नहीं हैं। जयपुरनिवासी डॉ. सुभाष तनेजा ने बालकमंदिर में पढनेवाले शिशुओं पर संस्कृतवाणी के संस्कार करने के उद्देश्य से प्रस्तुत 30 गीतों का संग्रह लिखा है। महाकविःकल्हणःतस्य राजतरंगिणी, कल्हणस्य राजतरंगिण्यां चित्रिता भारतीयसंस्कृतिः, महाराणाप्रतापचरितम् इत्यादि डॉ. सुभाष तनेजा की संस्कृत पुस्तकें, अलंकार प्रकाशन, जयपुर द्वारा, प्रकाशित हुई हैं। वेदालंकार तनेजा भरतपुर के महारानी श्रीजया महाविद्यालय में संस्कृत विभागाध्यक्ष हैं। संस्कृतश्तबोध - ले.-हषीकेश भट्टाचार्य। संस्कृतसंजीवनम् - सन 1940 में पटना से बिहार संस्कृत संजीवन समाज के प्रधान पत्र के रूप में इसका प्रकाशन प्रारंभ हुआ। संपादक मंडल में केदारनाथ ओझा, भवानीदत्त शर्मा, चन्द्रकान्त पांडे, त्रिगुणानंद शुक्ल, रामपदार्थ शर्मा आदि विद्वान् थे। संस्कृत शिक्षाप्रणाली का परिष्कार करने के उद्देश्य से 1887 में अम्बिकादत्त व्यास द्वारा उक्त संस्था की स्थापना की गई थी। संस्था की इस पत्रिका का वार्षिक मूल्य छः रु. था। संस्कृतसन्देश - सन 1940 में वाराणसी से रामबालक शास्त्री के सम्पादकत्व में विशेष रूप से छात्रों के लिये इस पत्रिका का प्रकाशन प्रारंभ हुआ किन्तु इसका प्रकाशन तीसरे वर्ष में स्थगित हो गया।
402 / संस्कृत वाङ्मय कोश - ग्रंथ खण्ड
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