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संस्कारसागर - ले.-नारायणभट्ट। विषय- स्थालीपाक। संस्कारामृतम् - ले.- सिद्धेश्वर । दामोदर के पुत्र । लेखक ने अपने पिता के व्रतनिर्णयपरिशिष्ट का उल्लेख किया है।। संस्कारोद्योत (दिनकरोद्योत का एक अंश)। संस्कृतम् - सन 1930 में अयोध्या से पं. कालीप्रसाद त्रिपाठी के संपादकत्व में इस साप्ताहिक पत्र का प्रकाशन आरंभ हुआ। इसका प्रकाशन प्रति मंगलवार होता था। वार्षिक मूल्य सात रुपये था। इस पत्र में समाचारों के अलावा धार्मिक सामाजिक, राजनैतिक और देश-विदेश की गतिविधियों का तथा लघु, निबन्ध और बाल-साहित्य का भी प्रकाशन किया जाता है। इसमें प्रकाशित श्रीकरशास्त्री के प्रकृतिवर्णनात्मक गीत विशेष उल्लेखनीय हैं। इसके हर अंक के मुखपृष्ठ पर निम्नांकित आदर्श श्लोक प्रकाशित किया जाता था। :
"यावत् भारतवर्ष स्याद् यावद् विन्ध्य-हिमाचलौ।
यावद् गंगा च गोदा च तावदेव हि संस्कृतम् ।। संस्कृतकामधेनु - "धुंडिराजशास्त्री के सम्पादकत्व में वाराणसी से संस्कृत -हिंदी में इस मासिक पत्रिका का प्रकाशन सन 1879 में आरंभ हुआ। इसमें कामधेनु नामक धर्मशास्त्र ग्रंथ का प्रकाशन किया गया। संस्कृत-गाथासप्तशती - अनुवादक- भट्ट मथुरानाथ । हालकृत सुप्रसिद्ध महाराष्ट्री प्राकृत काव्य का संस्कृत रूपान्तर । संस्कृतगीतमाला - ले.-वासुदेव द्विवेदी। वाराणसी -निवासी। स्त्रीगीतों का संग्रह। संस्कृत-चन्द्रिका - ले.-1893 में कलकत्ता से सिद्धान्तभूषण जयचन्द्र भट्टाचार्य के संपादकत्व में इस मासिक पत्रिका का प्रकाशन आरंभ हुआ। चार वर्षों के बाद यही पत्रिका
आप्पाशास्त्री राशिवडेकर के संपादकत्व में कोल्हापुर से प्रकाशित होने लगी। "संस्कृत चन्द्रिका' की यह विशेषता थी कि इसके प्रथम भाग में गद्य, पद्य और द्वितीय भाग में काव्य ग्रंथों का समालोचन, तृतीय भाग में धार्मिक निबन्धों का
आकलन, चतुर्थ में चित्रात्मक कविताएं तथा अन्य सूचनाएं, पंचम भाग में वार्तासंग्रह और षष्ठ भाग में पत्र प्रकाशित होते थे। साहित्य-समालोचना, इतिहास, समाजशास्त्र आदि विविध विषयों के अनुसंधानपूर्ण लेख भी इसमें प्रकाशित होते
थे। इस पत्रिका के प्रकाशन से 19 वीं शती में संस्कृत पत्र-पत्रिकाओं के स्वर्णयुग का प्रारंभ हुआ, ऐसा माना जाता है। अम्बिकादत्त व्यास, कृष्णंमाचारी, अन्नदाचरण तर्कचूडामणि, महेशचन्द्र, आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी आदि उच्चकोटि के विख्यात लेखकों की रचनाएं इसमें प्रकाशित होती थीं। संस्कृतटीचर - ले.-सन 1894 में गिरगांव (मुंबई) से संस्कृत-अंग्रेजी में यह पत्र प्रकाशित किया जाता था। संस्कृतरंग- ले.-सन 1958 से डॉ. वे. राघवन् के सम्पादकत्व
में यह पत्र प्रकाशित हो रहा है। इसमें डॉ. राघवन् के नाटक
और डॉ. कुंजूंनी राजा, सी.एम. सुन्दरम् आदि के लेख प्रकाशित होते रहे। संस्कृत-निबन्धचंद्रिका - ले.-शिवबालक द्विवेदी। कानपुर के डी.ए.वी. कॉलेज में प्राध्यापक । छात्रोपयोगी पुस्तक। प्रकाशकग्रंथम्, रामबाग कानपुर । संस्कृतनिबन्धप्रदीप - ले.-प्रा. हंसराज अगरवाल । लुधियाना-निवासी। 400 पृष्ठ । प्रथम प्रदीप प्रबन्धकला- 6 निबन्ध । द्वितीय प्रदीप साहित्यिक, सामाजिक विषय- 32 निबंध । तृतीय प्रदीप वर्णनपर- 8 निबन्ध। चतुर्थ प्रदीप आख्यानात्मक 11 निबन्ध । पंचमप्रदीप विविध विषय- 24 निबन्ध। अन्त में निबन्धोपयुक्त सुभाषित संग्रह । यह छात्रोपयोगी पुस्तक है। संस्कृतनिबन्धमंजूषा - ले.-डॉ. कैलाशनाथ द्विवेदी। विविध विषयों पर लिखे हुए 60 निबंधों का संग्रह । छात्रोपयोगी ग्रंथ । संस्कृतनिबन्धरत्नाकर - ले.-शिवबालक द्विवेदी। कानपुर के डी.ए.वी. कॉलेज में प्राध्यापक । दार्शनिक, आध्यात्मिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक विषयों पर लिखे हुए निबंधों का संग्रह । प्रकाशक-ग्रन्थम् रामबाग, कानपूर। संस्कृतपत्रिका - 1896 में पदुकोटा (कुम्भकोणम्) से इस मासिक पत्रिका का प्रकाशन प्रारंभ हुआ। इसे पदुकोटा के महाराज से अनुदान प्राप्त होता था। इसके सम्पादक आर.कृष्णंमाचारी तथा सह सम्पादक बी.वी. कामेश्वर अय्यर थे। वार्षिक मूल्य 3 रु. था। संस्कृतपद्यगोष्ठी - सन 1926 में कलकत्ता से इस पत्रिका का प्रकाशन आरंभ हुआ। यह संस्थागत पत्रिका होने के कारण संस्था द्वारा आयोजित कवि सम्मेलनों में पठित रचनाओं
का प्रकाशन तथा पत्रिका के नियम, आवेदन आदि सभी पद्य .. में प्रकाशित किये जाते थे। गद्य के लिये इसमें कोई स्थान नहीं था। पत्रिका के सम्पादक कालीपद तर्काचार्य और भुवनमोहन सांख्यतीर्थ थे। संस्कृतपयवाणी - सन 1934 में कलकत्ता से महामहोपाध्याय कालीपद तर्काचार्य से सम्पादकत्व में यह पत्रिका तीन वर्षों तक प्रकाशित हुई। इस पत्रिका में पद्यात्मक निबन्ध, अर्वाचीन साहित्य, चित्रबन्ध, प्रहेलिका, इन्दुमती आदि विविध प्रकार के पद्य-काव्यों का प्रकाशन हुआ। संस्कृतप्रचारकम् - सन 1950 से रामचंद्र भारती के सम्पादकत्व में दिल्ली से इस पत्रिका का प्रकाशन प्रारंभ हुआ। संस्कृतप्रतिभा - सन 1951 में अपारनाथ मठ (वाराणसी) से रामगोविन्द शुक्ल के सम्पादकत्व में इसका प्रकाशन आरंभ हुआ। कुल दस पृष्ठों वाली इस पत्रिका का प्रकाशन केवल डेढ वर्ष हुआ। इसका वार्षिक मूल्य दो रुपये था। संस्कृतप्रतिभा (षण्मासिकी पत्रिका) - सन 1959 में
संस्कृत वाङ्मय कोश - ग्रंथ खण्ड /401
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