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शुद्धिकौमुदी- ले.- गोविन्दानन्द। 2) ले.- सिद्धान्तवागीश भट्टाचार्य । शुद्धिकौमुदी- ले.- महेश्वर। विषय- सहगमन, अशौच, सपिण्डतानिरूपण, गर्भस्रावाशौच सद्यःशौच, शवानुगमनाशौच, अन्त्येष्टिविधि, मुमूर्षकृत्य, अस्थिसंचयन, उदकादिदान, पिण्डोदकदान, वृषोत्सर्ग, प्रेतक्रियाधिकारी, द्रव्यशुद्धि । शुद्धिचन्द्रिका - 1) ले.- कालिदास। 2) ले.- नन्दपण्डित । ई. 16-17 वीं शती। यह कौशिकादित्यकृत षडशीति या अशौचनिर्णय नामक ग्रंथ पर टीका है। शुद्धिचिन्तामणि- ले.- वाचस्पति मिश्र। शुद्धितत्त्वम् - ले.- रघु। जीवानन्द द्वारा प्रकाशित । टीका1) बांकुडा में विष्णुपुर के निवासी राधावल्लभ के पुत्र काशीराम वाचस्पति द्वारा, कलकत्ता में 1884 एवं 1907 ई. में मुद्रित। 2) ले.- गुरुप्रसाद न्यायभूषण भट्टाचार्य । 3) राधामोहन शर्मा द्वारा कलकत्ता में 1884 एवं 1907 में मुद्रित । शुद्धितत्त्वकारिका - ले.- हरिनारायण। रघु के शुद्धितत्त्व पर आधृत ग्रंथ। शुद्धितत्त्वार्णव - ले.- श्रीनाथ । समय - 1475-1525 ई.। शुद्धिदर्पण - ले.- अनन्तदेव याज्ञिक। इसमें शुद्धि की परिभाषा यह दी हुई है- "विहितकर्हित्वप्रयोजको धर्मविशेषः शुद्धिः"। गोविन्दानन्द की शुद्धिकौमुदी के ही विषय इसमें प्रतिपादित है।
4) ले.- वाचस्पति मिश्र। शुद्धिप्रकाश - ले.- भास्कर । पिता- आप्पाजी भट्ट । त्र्यम्बकेश्वर के निवासी। ई. 1695-96 में प्रणीत । 2) ले.- कृष्ण शर्मा। पिता- नरसिंह। घोटराय के आदेश से लिखित। शुद्धिप्रदिप - ले.- केशवभट्ट। शुद्धिप्रदीपिका- ले.- कृष्णदेव स्मार्तवागीश। शुद्धिप्रभा- वाचस्पति द्वारा। शुद्धिमकरन्द- ले.- सिद्धान्त वाचस्पति। शुद्धिमयूख- ले.- नीलकण्ठ। आर. घारपुरे द्वारा मुंबई में प्रकाशित। शुद्धिमुक्तावली - ले. म.म. भीम। बंगाल के कांजीवल्लीयकुलोत्पन्न । विषय- अशौच। शुद्धिवचोमुक्तागुच्छक- ले.- माणिक्यदेव। (अग्निचित् एवं पण्डिताचार्य उपाधिधारी) विषय- अशौच, आपद्धर्म, प्रायश्चित्त आदि। शुद्धिविवेक - ले.- 1) रुद्रधर लक्ष्मीधर के पुत्र एवं हलधर के अनुज। 2) ले.- श्रीनाथ। श्रीशंकराचार्य के पुत्र। 1475-1525 ई.। 3) अनिरुद्ध की हारलता का एक अंश । 4) ले.- शूलपाणि । शुद्धिव्यवस्थासंक्षेप- ले.- गौडवासी चिन्तामणि न्यायवागीश। स्मृति व्यवस्थासंक्षेप का एक अंश। (1688-89 ई.) लेखक ने तिथि, प्रायश्चित्त, उद्वाह, श्राद्ध एवं दाय पर भी ग्रंथ लिखे हैं। शुद्धिरत्नम्- ले.- दयाशंकर। अनूपविलास से उद्धृत । 2) ले.- मणिराम। पिता- गंगाराम । शुद्धिरत्नाकर- ले.- मथुरानाथ चक्रवर्ती ।
शुद्धिदीप- (या प्रदीप) ले.- केशवभट्ट। गोविन्दानन्द की शुद्धिकौमुदी के विषयों का ही विवेचन है। शुद्धिदीपिका- ले.- दुर्गादत्त। प्रयोगसार से संगृहीत। शुद्धिदीपिका - ले.- श्रीनिवास महीन्तापनीय। ई. 12 वीं शती। विषय- ज्योतिःशास्त्र की प्रशंसा एवं राशिनिर्णय, ताराशुद्धिनिर्णय, विवाहनिर्णय, जातकनिर्णय, नामादिनिर्णय और यात्रानिर्णय नामक आठ अध्यायों में प्रतिपादित। लगभग 1159-60 ई. में प्रणीत। टीका- 1) प्रभा-कृष्णाचार्य द्वारा। (2) प्रकाश-राघवाचार्य द्वारा। कलकत्ता में सन 19011 में मुद्रित। (3) अर्थकौमुदी-गणपतिभट्ट के पुत्र गोविन्दानन्द कविकंकणाचार्य द्वारा। कलकत्ता में सन 1901 में मुद्रित । (4) दुर्गादत्त द्वारा। (5) नारायण सर्वज्ञ द्वारा। (6) केशव भट्ट कृत (7) मथुरानाथ शर्मा द्वारा। शुद्धिनिबंध- ले.- मुरारि । रुद्रशर्मा के पुत्र । ई. 15 वीं शती। लेखक- के पितामह हरिहर मिथिला के भवेश के ज्येष्ठ पुत्र देवसिंह के मुख्यन्यायाधीश थे। शुद्धिनिर्णय- 1) ले.- गोपाल। 2) ले.- उमापति। 3) ले.- दत्त उपाध्याय। ई. 13-14 वीं शती।
शुद्धिसार - ले.- कृष्णदेव स्मार्तवागीश । 2) ले.- गदाधर। 3) ले.- श्रीकण्ठ शर्मा। शुद्धिसेतु-ले.- उमाशंकर। शुभकर्मनिर्णय- ले.- मुरारि मिश्र। विषय- गोभिल के अनुसार गृह्य कृत्य। ई. 15 वीं शती। शुल्बसूत्रम् - कल्पसूत्र (वेदांग) का एक भाग। वैदिक कर्मकांड कल्पसूत्रों का मुख्य विषय है जिसके तीन प्रकार हैंगृह्यसूत्र, श्रौतसूत्र एवं धर्मसूत्र । कर्मकांड से संबंधित रहने से यजुर्वेद की शाखाओं में ये उपलब्ध हैं। कात्यायन शुल्बसूत्र शुक्ल यजुर्वेद से सम्बद्ध है। बौधायन, आपस्तंब, सत्याषाढ, मानव, वाराह एवं वाघूल शुल्बसूत्र कृष्णयजुर्वेद से सम्बद्ध है।
बोधायन सबसे बड़ा एवं सबसे प्राचीन है। इसमें 525 सूत्र हैं। विविध परिमाण, वेदी की निर्मिति के लिये आवश्यक रेखागणित के नियम आदि विषय इसमें हैं।
372/ संस्कृत वाङ्मय कोश - ग्रंथ खण्ड
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