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काशी-माहात्म्य,काशीवासनियमविधि, ज्ञानवापी की प्रशंसा मुक्तिमण्डपाख्यान, वीरेश्वर का इतिहास, पशुपतीश्वर का इतिहास, दक्षिण-कैलास का वर्णन, वृद्धाचल की महिमा इ.। शिवराजविजयम् - ले.- अम्बिकादत्त व्यास। समय1858-1900 ई.। प्रौढ, प्रगल्भ तथा समासप्रचुर गद्य शैली में लिखित शिवाजी महाराज का उपन्यासात्मक चरित्र । प्रस्तुत ग्रंथ का संशोधन तथा मुद्रण पं. जितेन्द्रियाचार्य ने किया। 16 आवृत्तियां प्रकाशित। शिवराज्याभिषेकम् (नाटक) - ले.-डॉ. श्रीधर भास्कर वर्णेकर। शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक त्रिशताब्दी महोत्सव निमित्त महाराष्ट्र शासन के अनुदान से प्रकाशित सात अंकी नाटक। राज्याभिषेक की महत्वपूर्ण घटना को इसमें प्राधान्य से चित्रित किया है। प्रकाशक- वसंत गाडगील, पुणे। शिवराज्याभिषेक प्रयोग - ले.- गागाभट्ट काशीकर । ई. 17 वीं शती। छत्रपति शिवाजी महाराज के वैदिक राज्याभिषेक महोत्त्सव निमित्त लिखित । पुणे में प्रकाशित। मराठी अनुवादश्रीधर भास्कर वर्णेकर द्वारा । मुंबई विद्यापीठ के शिवराज्याभिषेक ग्रंथ (कॉरोनेशन व्हॉल्यूम) में प्रकाशित । शिवराज्योदयम् - ले.- डॉ. श्रीधर भास्कर वर्णेकर। नागपुर निवासी। छत्रपति शिवाजी महाराज का प्रारंभ से उनके राज्याभिषेक महोत्सव तक का चरित्र 68 सों के प्रस्तुत महाकाव्य में प्राचीन महाकाव्य की परम्परानुसार वर्णित किया है। समग्र श्लोकसंख्या 4 हजार। अनुष्टुप्, उपजाति वृत्तों के अतिरिक्त रथोद्धता, वियोगिनी, शार्दूलविक्रीडित आदि विविध वृत्तों का भी उपयोग प्रस्तुत महाकाव्य में हुआ है। पुणे की शारदा पत्रिका में यह महाकाव्य क्रमशः प्रकाशित हुआ। इस महाकाव्य को सन 1973 में साहित्य अकादमी का पुरस्कार प्राप्त हुआ। डॉ. गजानन बालकृष्ण पलसुले ने प्रस्तुत महाकाव्य की विस्तृत प्रस्तावना लिखी है। शिवाराधनदीपिका - ले.- हरि। शिवलिंगप्रतिष्ठाविधि - ले.- अनन्त । (2) ले.- रामकृष्णभट्ट । पिता- नारायणभट्ट। शिवलिंगसूर्योदयम् - ले.- मल्लारि आराध्य। ई. 18 वीं । शती। विषय- वीरशैव सम्प्रदाय का श्रेष्ठत्व। शिवलीलार्णव- रचयिता- नीलकण्ठ दीक्षित। ई. 17 वीं शती। 22 सर्ग के इस महाकाव्य का वर्ण्य विषय है मदुरै के हालास्यनाथ का आख्यान । शिववाक्यावली - ले.- चण्डेश्वर। पिता- वीरेश्वर। शिवविद्याप्रकाश - श्लोक- 350। प्रकाश- 3| विषयभगवान् शिव का श्रेष्ठत्व। शिवविलासचम्पू - ले.- विरूपाक्ष । शिवविवाहम् - ले.- पं. अम्बिकादत्त व्यास । ई. 19 वीं शती।
शिवशतकम् - ले.- बाणेश्वर विद्यालंकार। ई. 17-18 वीं शती। (2) ले.- राम पाणिवाद । ई. 18 वीं शती। (3) ले.- राजशेखर। (4) ले. वासिष्ठ गणपति मुनि। ई. 19-20 वीं शती । कर्नाटक निवासी । पिता- नरसिंह । माता- नरसांबा । शिवशान्तस्तोत्रतिलकम् - ले.- श्रीधर स्वामी। 1908-1973 । रामदासी संप्रदाय के महाराष्ट्रीय तपस्वी । शिवसमयांकमातृका - ले.- श्रीशिंगक्षितिपति । विषय- शक्ति
की पूजा से संबद्ध आवश्यक विविध विषयों का प्रतिपादन । शिवसहस्रनाम - स्कंद-सदाशिव संवादात्मक। शिवरहस्य के सप्तमांशान्तार्गत। शिवसहस्रनाम - 125 श्लोक। महाभारत के अनुशासन पर्व एवं शांतिपर्व में ये सहस्रनाम हैं। शिव, लिंग एवं वामन पुराण में भी शिवसहस्रनाम हैं। ये शिवसहस्रनाम शिवोपासना पर साहित्यिक निधि ही हैं। विष्णु सहस्रनाम के उल्लेख प्राचीन साहित्य में मिलते हैं। उस तुलना में यह बाद में निर्मित लगता है। शिवसहस्रनामस्तोत्रम् - (नामान्तर- परमशिवसहस्रनाम । रुद्रयामलान्तर्गत, हर-गौरी संवादरूप। शिवसहस्रनामावलि - रुद्रयामलान्तर्गत यह स्तोत्र गद्यमय है। इसमें चतुर्थ्यन्त शिव नाम “नमः' शब्द के कारण कहे गये हैं। शिवसंहिता - रामभक्तिशाखा का एक ग्रंथ। इस ग्रंथ में बीस अध्याय हैं। शिवपार्वती तथा अगस्त्य-हनुमान् संवादों में संतसमागम की महिमा, श्रीरामचंद्रजी के अनेक गुणों एवं विभूति का वर्णन, वनदर्शन, वनक्रीडा आदि का वर्णन है। भागवत की रासलीला के आधार पर राम-सीता की विलास लीला का वर्णन किया गया है। अंतर्दृष्टि खुलने पर ब्रह्मांड ही अयोध्यारूप दिखाई देने लगता है, इस भांति वर्णन है। शिवसंहिता - शिव-नन्दी संवादरूप । श्लोक-2511 । परिच्छेद41। विषय- प्रकृति, पुरुष, आदि का निरूपण। विष्णु, महादेव
आदि के शरीर पदार्थो का निरूपण। प्राकृत जीवों के देह में स्थित प्राण आदि का वर्णन। ब्रह्मचर्य आदि आश्रम और उनके धर्मों का प्रतिपादन। जीवात्मा और परमात्मा का परस्पर तादात्म्य इ.। शिवसिद्धान्तमंजरी - ले.- भडोपनामक काशीनाथ। पिताजयरामभट्ट। विषय- विविध ग्रंथों तथा मुख्यतया पुराणों के उद्धरणों द्वारा शिवाजी की श्रेष्ठता। शिवसूत्रम् (या स्पन्दसूत्रम्) - ले.- वसुगुप्त । शिवसूत्रवार्तिकम् - ले.- भास्कराचार्य । शिवसूत्रविमर्शिनी - ले.- क्षेमराज। शिवसूत्र का व्याख्यान । श्लोक लगभग 898।। शिवस्वरोदय - प्राणशक्ति के निरोध पर आधारित स्वरोदय
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संस्कृत वाङ्मय कोश - ग्रंथ खण्ड / 369
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