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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 21 पटलों में पूर्ण विषय- मन्दिरों के जीर्णोद्धार की विधि । शिव तथा अन्यान्य देवदेवी मूर्तियों की पुनः प्रतिष्ठाविधि । प्रयोगमंजरीसंहिता ले. श्रीकण्ठ । प्रयोगमणि ले. केशवभट्ट अभ्यंकर। पिता नारायणभट्ट । प्रयोगमुक्तावलि ले. वीरराघव । प्रयोगरत्नम् 1) ले. नारायणभट्ट । ई. 16 वीं शती। पितारामेश्वरभट्ट | 2 ) ले. हरिहर । 3) ले अनन्त । पिता- विश्वनाथ । ग्रंथ का अपर नाम है स्मार्तानुष्ठानपद्धति । अश्वलायन के अनुसार 25 संस्कारों का विवेचन इसमें है। 4) ले. अनन्तदेव । पिताविश्वनाथ । हिरण्यकेशीयशाखा के लिए। 5 ) ले. केशव दीक्षित । पिता - सदाशिव । 6 ) ले प्रेमनिधि पन्त । 7 ) ले. नृसिंहभट्ट । पिता - नारायणभट्ट । ई. 16 वीं शती । विषय- आश्वलायन एवं शौनक के अनुसार है। 8) ले. महेश। पिता - महादेव वैशम्पायन । विषय- संस्कार, शान्ति एवं श्राद्ध । काशी में ग्रंथ का लेखन हुआ । १) ले. महादेव। (हिरण्यकेशीय) । प्रयोगरत्नभूषा - ले. रघुनाथ नवहस्त । - - प्रयोगरत्नमाला 1) ले. वासुदेव । पिता आपदेव भट्ट । महाराष्ट्रीय चित्तपावन ब्राह्मण। ई. 17-18 वीं शती । विषयदेवप्रतिष्ठा ग्रंथ के अपरनाम हैं- वासुदेवी और प्रतिष्ठारत्नमाला । 2) पुरुषोत्तम विद्यावागीश। 3) ले. चौण्डप्पाचार्य । 1 प्रयोगरत्नसंस्कार ले. प्रेमनिधि पन्त । प्रयोगरत्नाकर 1 ) ( नामान्तर भक्तव्रातसंतोषक) ले. प्रेमनिधि पन्त । पिता उमापति। 9 रत्न (अध्याय) । 2) ले. श्रीवासुदेव । पिता- गौतमगोत्री गौतमगोत्री कविता स्वयंवरपति श्रीकण्ठकाव्य । श्लोक- 3450। विषय- वशीकरण आदि 10 तान्त्रिक कर्मों का प्रतिपादन । 3) मैत्रायणीयों के लिए) ले. यशवन्तभट्ट । www.kobatirth.org - प्रयोगरत्नावली- ले. परमानन्द धन । चिदानन्द ब्रह्मेन्द्र सरस्वती के शिष्य । प्रयोगलाघवम् ले. विठ्ठल । महादेव के पुत्र । - - प्रयोगसंग्रह ले रमानाथ - । प्रयोगसरणि ले. नागेश। श्लोक 2001 प्रयोगसागर ले. नारायण आरडे । समय- 1650 के उपरान्त । इसे गृह्यानिग्नसागर भी कहा जाता है। प्रयोगसार (कात्यायनीय) 1) ले. देवभद्र पाठक बलभद्र के पुत्र । गंगाधर पाठक, भर्तृयज्ञ, वासुदेव, रेणु, कर्क, हरिस्वामी, माधव, पद्मनाभ, गदाधर, हरिहर, रामपद्धति, (अनन्तकृत) का उल्लेख इसमें है । श्रौत संबंधी विषयों पर विवेचन है। 2) ले नारायण लक्ष्मीधर के पुत्र । यह गुह्यग्निसागर ही है 3) ले गागाभट्ट पिता दिनकरभट्ट । ई. 17 वीं शती । 4) ले निजानन्द । 5) ले बालकृष्ण । 206 / संस्कृत वाङ्मय कोश ग्रंथ खण्ड गोकुल ग्राम के निवासी । दाक्षिणात्य । 6 ) ले. विश्वेश्वर भट्ट (गागाभट्ट) । दिनकर के पुत्र) । विषय- पुण्याहवाचन, गणपतिपूजन आदि 7) ले गोविन्द ग्रंथ पूर्व और उत्तर दो भागों में विभक्त है। दोनों में 27-27 पटल हैं। 8) ले. शिवप्रसाद 9 ) ले केशवस्वामी (बोधायनीय) विषय वैदिक यज्ञ समय ई. 12 वीं शती। 10) ले. कृष्णदेव स्मार्तवागीश । नारायण के पुत्र । इसे कृत्यतत्त्व या संवत्सरप्रयोगसार भी कहा जाता है। 11) ले. गंगाभट्ट (आपस्तम्बीय ) । प्रयोगसारपीयूषम् - ले. कुमारस्वामी विष्णु । विषय- परिभाषा, संस्कार, आह्निक, प्रायश्चित्त इत्यादि । | प्रयोगादर्श ले. कनकसभापति मौद्गल गोत्री बैद्यनाथ के पुत्र । यह लेखक की कारिकामंजरी पर टीका है । प्रवचनसारीका ले. अमृतचंद्रसूरि । जैनाचार्य । ई. 10-11 वीं शती । प्रवचनसारसरोजभास्कर (प्रवचनसारव्याख्या (ले. प्रभाचन्द्र जैनाचार्य । समय दो मान्यताएं 1) 18 वीं शती । 2) ई. 11 वीं शती । प्रवरकाण्डम् ले. टी. नारायण । (आश्वलायनीय) गोत्रप्रवर-निबन्धकदम्बक में पी. चेन्तसालराव द्वारा मुद्रित मैसूर, ई. 1900 1 प्रवरखण्ड (आपस्तम्बीय) ले. टी. कपर्दिस्वामी । कुम्भकोणम् में 1914 में, एवं मैसूर में 1900 ई. में प्रकाशित । प्रवरदर्पण - ले. कमलाकर। इसे गोत्रप्रवरनिर्णय भी कहा जाता है। पी. चेन्नसालराव द्वारा सम्पादित गोत्रप्रवरनिबंधक में सन 1900 में प्रकाशित । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रवरदीपिका ले. कृष्णशैव प्रवरमंजरी, स्मृतिचन्द्रिका का । उल्लेख इसमें है । 1250 ई. के उपरान्त लिखित । प्रवरनिर्णय प्रकाशित । ले. भास्कर त्रिकाण्डमण्डन। टी. रामनंदी द्वारा - - - For Private and Personal Use Only प्रवरनिर्णय ( नामान्तर- गोत्रप्रवरनिर्णय) ले. भट्टोजी । प्रवरनिर्णयवाक्यसुधार्णव ले. विश्वनाथ देव । प्रवराध्याय 1) ले. पशुपति । लक्ष्मण सेन के मन्त्री । समय ई. 12 वीं शती । 2) ले. भृगुदेव। 3 ) ले. विश्वनाथ कवि । 4) लौगाक्षि । यह कात्यायन का 11 वां परिशिष्ट है। प्रवालवल्ली अनुवादक- श्रीनिवासाचार्य मूल कथा तामिल भाषा में है। - प्रवासकृत्यम् ले. गंगाधर । रामचन्द्र के पुत्र । स्तम्भतीर्थ ( आधुनिक खम्भात) में प्रणीत । (1606-70 ) । जीविका के लिए विदेश में निर्गत साग्निक ब्राह्मणों के कर्तव्यों पर यह निबंध है । प्रशान्त- रत्नाकरम् ले. कालीपद (1888-1972) संस्कृत साहित्य परिषद् के सदस्यों द्वारा अभिनीत । विषय- बंगाली में कृत्तिवास रचित रामायण पर आधारित वाल्मीकि का जीवन - -
SR No.020650
Book TitleSanskrit Vangamay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreedhar Bhaskar Varneakr
PublisherBharatiya Bhasha Parishad
Publication Year1988
Total Pages638
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size30 MB
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