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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra भाषाओं में अत्यंत सर्वमान्य हुए हैं। उन प्रदेशों की जनता के अन्तःकरण पर रामचरित्र विषयक ग्रंथ के समान अन्य किसी भी ग्रंथ का प्रभाव नहीं पड़ा। ये सारे प्रादेशिक रामचरित्रकार महाकवि वाल्मीकि के "अवतार" ही मानने योग्य सत्कवि थे । यूरोपीय भाषाओं में भारतीय भाषाओं के समान वाकीकि रामायणपर आधारित काव्यग्रंथ निर्माण नहीं हुए परंतु वाल्मीकि रामायण के कुछ उल्लेखनीय अनुवाद हुए अंग्रेजी :ग्रिफिथकृत छंदोबद्ध अनुवाद, एम. एन. दत्त कृत गद्यानुवाद ( 7 खंड), रोमेशचंद्र दत्त कृत संक्षिप्त पद्यानुवाद ( रामायण, द एपिक ऑफ राम रेंडर्ड इन् टु इंग्लिश व्हर्स) । जैसे इतालियन :- जी गोरेसी कृत, 4 विभाग, पैरिस में सन 1847-58 में प्रकाशित। ए. रौसेलकृत 3 विभाग पॅरिस में सन् 1903-9 में प्रकाशित । जर्मन : एफ् रुकर्ट कृत संक्षिप्त पद्यानुवाद, रामायण विषयक शोध प्रबंध- ए वेबर ( उबेर डास रामायण), एच्. . याकोबी (डास रामायण) लुडविग ( उबेर डास रामायण), ए बामगार्टनेर ( डास रामायण), जे.सी. ओमन (दि ग्रेट इंडियन एपिक्स), हॉपकिन्स (दि ग्रेट एपिक ऑफ इंडिया), विंटरनिट्स् (दि हिस्टरी ऑफ इंडियन लिटरेचर) इन विद्वानों द्वारा लिखे इन प्रबंधों में राम कथा विषयक तथा रामायण काल विषयक जो अकल्पित तर्क उपस्थित किए गये, उनके कारण गत शताब्दी में रामायण के विषय में अनेक विद्वत्तापूर्ण शोध प्रबंध भारत में लिखे गये। अभी कुछ वर्ष पूर्व ब्रह्मीभूत श्रीकरपात्री महाराजद्वारा लिखित हिंदी प्रबंध सर्वत्र सम्मनित हुआ। रामायण विषयक परंपरावादी भारतीय दृष्टिकोण का समर्थ प्रतिपादन श्रीकरपात्रीजी ने किया है। संस्कृत भाषा में वाल्मीकि रामायण के अतिरिक्त अन्य रामायण भी लिखे गए जैसे अगस्त्य - रामायण, अध्यात्मरामायण अद्भुत रामायण, आदिरामायण, आनंद-रामायण, चांद्ररामायण, भुशुडीरामायण, मंजुलरामायण, मंत्ररामायण, मैदरामायण, सुब्रहारामायण, सुवर्थसरामायण, सौपद्मरामायण (या अत्रिरामायण) तीर्थरामायण, सौहार्द -रामायण स्वायंभुवरामायण, और हेतुरामायण । इनमें रामकथा का स्वरूप अन्यान्य प्रकार का दिखाई देने के कारण कुछ विवाद अवश्य निर्माण हुए, परंतु जनता की रामभक्ति अविचल रही। आज भी कुछ श्रद्धाहीन लेखक रामायण के विषय में उलटी सीधी बाते मासिक पत्रिकाओं में लिखते हैं परंतु भारतीय जनता की रामभक्ति पर उसका विपरीत परिणाम नहीं हुआ और आगे भी नहीं होगा । 7 रामायणीय साहित्य रामायणसारसंग्रह रामायणतात्पर्यनिर्णय रामायणतात्पर्यसंग्रह संस्कृत साहित्य में रामचरित्र पर आधारित महाकाव्य, नाटक, चम्पू स्तोत्र इत्यादि काव्य प्रकारों में अन्तभूर्त ग्रंथों का प्रमाण बहुत ही बड़ा है। संपूर्ण ग्रंथों की सूची यहां देना उचित नहीं, फिर भी संस्कृत वाङ्मय के केवल आधुनिक कालखंड में (अर्थात् 17 वीं शती के उपरांत) लिखित ग्रंथों में कुछ उल्लेखनीय ग्रंथों की सूची यहाँ देते हैं, जिस से रामकथा का आकर्षण संस्कृत साहित्यिकों को कितनी अधिक मात्रा में अखंड रहा है इसका अनुमान हो सकेगा। रामायणीय ग्रंथ ग्रंथकार अप्पय दीक्षित रामायणसारस्तव रामायणसारसंग्रह रामायणकाव्य मंजुभाषिणी रामयमकार्णव रामचंद्रोदय चित्रबंधरामायण जानकीपरिणय सीतादिव्यचरित गद्यरामायण रघुवीरविजय रामायणसंग्रह - 3 : www.kobatirth.org : रघुनाथ नायक : ईश्वर दीक्षित : मधुरवाणी राजचूडामणि दीक्षित (इसमे संपूर्ण रामकथा श्लेष गर्भ भाषा में लिखी है) श्रीनिवासपुत्र वेंकटेश : वेकटकृष्ण (चिदंबर निवासी) : : वेंकटमखी : चक्रकवि : श्रीनिवास श्री निवासपुत्र वरदादेशिक For Private and Personal Use Only रामकुतूहल रामचरित उदारराघव कल्याणरामायण भद्रादिरामायण रामकथा-सुधोदय Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दशाननवध रघुवीरचरित सीतारामविहार रामगुणाकर रामविलास 11 रामचंद्रकाव्यम् प्रसन्नरामायण : गोविंदसुत रामेश्वर : रघुनाथ : रामामृतम् यादवराघवीय : नरहरि रघुवीरवर्यचरित विश्वक्सेन चण्डीसूर्य : शेषकवि : वीरराघव : श्रीशैल श्रीनिवास : वेंकटरंगा : तिरुमल कोणाचार्य : योगीन्द्रनाथ : सुकुमार : लक्ष्मण सोमयाजी : रामदेव : रामचंद्र : हरिनाथ : शम्भुकालिदास : श्रीपादपुत्र देवरदीक्षित संस्कृत वाङ्मय कोश ग्रंथकार खण्ड / 79
SR No.020649
Book TitleSanskrit Vangamay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreedhar Bhaskar Varneakr
PublisherBharatiya Bhasha Parishad
Publication Year1988
Total Pages591
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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