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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir का चितिकलाविलासमताप्रवालम्, विष्णुश्राद्धपद्धति हैं इनके धर्मशास्त्रविषयक ग्रंथ । निवासी। "ब्रह्मविद्या" मासिक के सम्पादक श्रीनिवास शास्त्री नारायण भट्टपाद - समय 1560-1666 ई. । कवि, व्याकरणकार के बन्धु । पाण्डित्य तथा कवित्व के लिये "भट्टश्री" और और मीमांसक। अपरनाम भट्टात्रि। मेलकुत्तूर (मलबार) के "बालसरस्वती' की उपाधियां प्राप्त। असाधारण वक्तृत्व । रचनाएंनिवासी। केरल में जन्म। पिता- मातृदत्त। पुत्र- कृष्णकवि। सुन्दरविजयम् (महाकाव्य), गौरीविलास (चम्पू), चिन्तामणि नम्बुद्रि ब्राह्मण। विवाहोपरान्त शिक्षा का प्रारम्भ। एक कथा (आख्यायिका), आचार्यचरितम् (गद्य) नाटकदीपिका के अनुसार गुरु का वातविकार इन्होंने अपने योगसामर्थ्य से (नाट्यशास्त्रीय प्रबंध, 12 भाग) विमर्श (साहित्यशास्त्रीय प्रबन्ध, वयं पर लिया। गुरुवायूर के श्रीकृष्ण की स्तुति में रचित 6 भाग) और काव्यमीमांसा (2 अध्याय)। इनका प्रधान सहस्र श्लोकों का नारायणीयम् नामक भक्तिस्तोत्र अत्यंत लोकप्रिय लेखन है 91 नाटक (पुराण के रोचक विषयों पर)। 10 है। भट्टोजी दीक्षित, इनकी प्रशंसा सुन मिलने गए, परंतु नाटक मद्रास तथा चिदम्बरम् में प्रकाशित। नाट्यनामावलि : उनकी (106 वर्ष की आयु में) मृत्यु होने से भेंट न हो सकी। त्रिपुरविजयम् (12 अंक), मैथिलीयम्। 10 अंकी नाटक :रचनाएं - (1) पांचालीस्वयंवरचम्पू, (2) राजसूयचम्यू, कलिविधूनन, चित्रदीप, बालचन्द्रिका, मुक्तमन्दार, कृतकयौवत, (3) द्रौपदीपरिणयचम्पू, (4) सुभद्राहरणचम्पू, (5) मधुमाधवीयम, अवकीर्णकौशिकम्, माकन्दमकरन्दम्, ब्रह्मविद्या, दूतवाक्यचम्पू, (6) किरातचम्पू, (7) भारतयुद्धचम्पू, (8) दृष्टरोहितम्। (9 अंकी नाटक) मुग्धबोधनम्, भट्टभासीयम्, स्वर्गारोहणचम्पू, (9) मत्स्यावतारचम्पू, (10) नृगमोक्षचम्पू, बालचन्द्रिका, मृकण्डकोदय। (8 अंकी नाटक) रक्तसारसम् (11) गजेन्द्रमोक्षचम्पू, (12) स्यमन्तकचम्पू, (13) अमृतमन्थनम्, मैथिलीविजयम्, विश्ववीरव्रतम्, वीरवैश्वानरम्। (7 कुचेलवृत्तचम्पू, (14) अहल्यामोक्षचम्पू, (15) अंकी नाटक) सामन्तसोविदल्लम्, सुदतीसमितिंजयम्, निरनुनासिकचम्पू, (16) दक्षयागचम्पू, (17) पार्वतीस्वयंवरचम्पू, भामाभिषङ्गम, चितिनिग्रहम्, गूढकौशिकम्, मदालसा, (18) अष्टमीचम्पू, (19) गोष्ठीनगरवर्णनचम्पू, (20) मन्दारिकाविलासम्, महिलाविलासम्, रत्नमाला, वरगुणोदयम्, कैलासवर्णनचम्पू, (21) शूर्पणखाप्रलापचम्पू, (22) हारहैमवतम्, कलिविजयम्, मुक्ताप्रवालम्, भग्नाशकम्, नलायानीयचम्पू और (23) रामकथाचम्पू। अयश्चणकम्, कनकाङ्गी, कांचनमाला, प्रौढपरपन्तपम्, मारुतिमैरावणम्, लवणलक्ष्मणम्, क्लान्तकौन्तेयम्, व्यत्यस्तभक्तम्, ___ इनमें से क्र. 2 व 9 प्रकाशित । अन्य रचनाएं- प्रक्रियासर्वस्व विजययादवम्, जैत्रजैवातृकम्, शूरमयूरम्।। 6 अंकी नाटक(व्याकरण) और मानमेयोदय (मीमांसा)। मुग्धमन्थरम् राजीविनी, शशिशारदीयम, मंजुलमन्दिरम्, काममंजरी, नारायण कवि - समय 17-18 वीं शती। "विक्रमसेनचंपू" सुभद्राहरणम्, मन्दारमाला, पुष्करराघवम्, क्रूरसापत्यम, नामक काव्य ग्रंथ के रचयिता। इन्होंने अपने चंपू काव्य में शिशुविनिमयम्, शिवदूतम्, विद्राणमाधवम्, बालप्राहुणिकम्। 5 जो परिचय दिया है, उसके अनुसार ये मरहठा शासन के अंकी नाटक = प्राज्ञसामन्तम्, मुष्टिपाथेयम्, त्रिबदरम, बिल्हणीयम, सचिव तथा गंगाधर अमात्य के पुत्र थे। इनके भाई का नाम भीमरथी, प्रसन्नपार्थम, कान्तिमती, भट्टराजीयम्, मूढकौशिकम्, भगवंत था। इनके चंपू काव्य में प्रतिष्ठानपुर के राजा विक्रमसेन सीताहरणम्, स्तब्धपाण्डवम्, क्लिष्टकीचकम्, प्लुष्टखाण्डवम्, की काल्पनिक कथा गुंफित की गयी है। धृष्टधौरेयम्, निरुद्धानिरुद्धम्, श्येनदूतम्, विद्धवेदनम्, नारायणराव चिलुकुरी (डा.) - ई. 20 वीं शती। शिक्षा विष्टब्धचापलम्, दूतवीरम्, मनोरमा, बद्धबाडवम्, मुक्तमन्दरम्। एम.ए., पीएच.डी. एल.टी.। अनन्तपुर (कर्नाटक) की प्रभुत्व 4 अंकी नाटक = मुक्तावली। 3 अंकी = तरंगिणी, स्वैराचार कलाशाला में संस्कृत तथा कन्नड के अध्यापक। मधविधनम, बहबालिशम्। 2 अंकी = शोभावती। 1 अंकी "विश्वकलापरिषद" से अनेक उपाधियां प्राप्त । "विक्रमाश्वत्थामीय" = शरभविजयम्, मुक्तकेशी, मणिमेखला, महिषासुरवधम्। नामक व्यायोग के प्रणेता। इनके अतिरिक्त 21 महाप्रबंध तथा कतिपय प्राथमिक शिक्षा नारायण विद्याविनोद - ई. 16 वीं शती। पूर्वग्राम (बंगाल) के लिये उपयुक्त पुस्तकें भी इनके नाम पर हैं। के निवासी। अभिधानतंत्र के कर्ता जटाधर के पौत्र । कृति । शब्दार्थ-सन्दीपिका (अमरकोश पर वृत्ति)। नारायणशास्त्री कांकर - ई. 20 वीं शती। जयपुर निवासी। "नराणां नापितो धूर्तः" तथा "स्वातंत्र्ययज्ञाहुति" नामक एकांकियों नारायणशास्त्री - समय लगभग वि. सं. की 18 वीं शती। के प्रणेता । इनके द्वारा रचित कुछ स्तोत्र काव्य भी प्रकाशित हैं। "महाभाष्यप्रदीप" की व्याख्या के लेखक। माता पिता का नाम अज्ञात । नल्ला दीक्षित के पुत्र नारायण दीक्षित इनके जामात नारायणस्वामी - पिता- मण्डोय नारायण। गुरु- नृसिंहसूरि । सन् 1750 के लगभग "कैतवकलाचन्द्र" (भाण) का लेखन थे। गुरु- धर्मराज यज्वा (नल्ला दीक्षित के भाई)। किया। नारायण शास्त्री - जन्म 1860 ई.। मृत्यु 1911। पिता- नारायणाचार्य ने ताण्ड्य भाष्य पर भाष्य लिखा है, ऐसा मैसूर रामस्वामी यज्वा। माता- सीतांबा । तंजौर जिलान्तर्गत नेडुकावेरी सूचिपत्र (1922) से स्पष्ट होता है। 352 / संस्कृत वाङ्मय कोश - ग्रंथकार खण्ड For Private and Personal Use Only
SR No.020649
Book TitleSanskrit Vangamay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreedhar Bhaskar Varneakr
PublisherBharatiya Bhasha Parishad
Publication Year1988
Total Pages591
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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