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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इन्होंने "जातकाभरण' नामक फलितज्योतिष के एक महत्त्वपूर्ण ग्रंथ की रचना की है जिसमें दो हजार श्लोक हैं। ढुण्डिराज व्यास यज्वा - पिता- लक्ष्मण। गुरु- त्र्यंबक। निवास- स्वामीमलै। रचना "शाहविलासम्", यह संगीत प्रधान काव्य शाहजी भोसले का चरित्र वर्णन करता है। कवि की अन्य रचनाएं- "अभिनव-कादम्बरी' (काव्य) तथा विशखादत्त के "मुद्राराक्षस'' पर विद्वन्मान्य टीका। ढोक, भास्कर केशव - महाराष्ट्रीय। "श्रीकृष्णदौत्य' नामक नाटक के रचयिता। तपतीतीरवासी- इन्होंने अपने मूल नाम का निर्देशन करते हुए तपतीतीरवासी इस नाम से ही अपना निर्देश किया है। ग्रन्थ-समर्थ रामदास स्वामी कृत मनाचे श्लोक नामक महाराष्ट्र के लोकप्रिय ग्रंथ का मनोबोध नाम से अनुवाद । तपेश्वरसिंह- गया के निवासी, वकील । रचना-पुनर्मिलनम् जिसमें राधा- माधव का पुनर्मिलन चित्रित है। अतिरिक्त रचना-हरिप्रिया (खण्डकाव्य, 108 श्लोक)। तपोवनस्वामी- मलबार-निवासी। "ईश्वरदर्शनम्' या "तपोवनदर्शनम्" नामक काव्य में कवि ने आत्मचरित्र लिखा है। 1950 ई. में लिखित यह काव्य त्रिचूर में प्रकाशित । संस्कृत साहित्य में आत्मचरित्रपर ग्रंथ अतीव दुर्लभ है। अतः इनका ग्रंथ विशेष उल्लेखनीय हैं। ताम्पुरान- केरलनिवासी। 19 वीं शती। चार रत्तनाएं- (1) किरातार्जुन, (2) सुभद्राहरण, (3) दशकुमारचरित और (4) जरासन्धवध । व्यायोग। ताम्हन, केशव गोपाल (म.म.)- मारिस कालेज (नवीन नाम, नागपूर महाविद्यालय) के भूतपूर्व प्राचार्य। रचनाएंकविता-संग्रह (स्वरचित 24 काव्यों का संग्रह) जिसमें देवता स्तोत्र, श्रीरामस्तव, श्रीरामाष्टक, श्रीरामयष्टिकम्, श्रीरामस्तुति, तथा स्थानीय प्रमुख व्यक्तियों की स्तुति प्रासादिक भाषा में लिखी है। ताराचन्द्र (या ताराचरण)- ई. 19 वीं शती। वाराणसी नरेश के राजपण्डित। म.म. प्रमथनाथ तर्कभूषण के पिता। कृतियां- (काव्य)- कनकलता, शृंगार-रत्नाकार, काननशतकम् (निसर्ग-वर्णनपरक) और रामचन्द्रजन्म (भाण)। तारानाथ तर्कवाचस्पति- ई. 1822-1885 1 बंगाली। कृतियांआशुबोध व्याकरण, शब्दार्थ-रत्न, वृत्तरत्नाकर-विवृत्ति । कुमारसम्भव, मालविकाग्निमित्र, वेणीसंहार, विक्रमोर्वशीय, तथा मुद्राराक्षस, महावीरचरित आदि नाटकों की टीकाएं। तिग्मकवि- पिता-जग्गू। स्थान- इन्द्रपालयम्। रचनासुजनमनःकुमुदचन्द्रिका (अपने पितामह के जनमनोभिराम नामक तेलुगु कथासंग्रह का अनुवाद । तिरश्ची- एक सूक्त-द्रष्टा। आंगिरस कुलोत्पन्न होने के कारण इन्हें तिरश्ची आंगिरस कहते हैं। इनके नाम पर ऋग्वेद में 8-95 यह इन्द्र-सूक्त हैं। उन्होंने स्वयं को एक सिद्धहस्त सूक्तकार बताया है। तिरुमल कवि- तिरुमलनाथ तथा त्रिमलनाथ नामों से भी ज्ञात। पिता- बोम्मकण्ठि गंगाधर। आन्ध्र-प्रदेशी। "कुहनाभैक्षव प्रहसन' के प्रणेता (सन् 1750)। तिरुमलाचार्य- ई. 17 वीं शती। गोत्र-शंठमर्शन। तेलंगना में गडबल के निवासी। आश्रयदाता-पालभूपाल। रचनाकल्याणपुरंजन (नाटक)। तिरुवेंकटतातादेशिक- नेलोर-निवासी। रचनाएं- नृसिंहशतकम्, नखरशतकम् और स्तुतिमालिका। तुलजराय (तुलाजी राजे भोसले)- तंजौर के नरेश। ई. 1729 से 1735। रचनाएं-संगीत-सारामृत और नाट्यवेदागम । तेजोभानु (पं)- रावलपिण्डी-निवासी। जन्म- 1880 ई.। पिता- पं.विष्णुदत्त। पंजाब में संस्कृत-प्रचार का महत् कार्य किया। ख्यातिप्राप्त रचनाएं- विप्रपंचदशी, श्रीचन्द्रचरितम्, स्ततिमुक्तावली, नीतिशतकम्, वैराग्यशतकम्। इस शतकत्रय के लेखन से “अभिनवभर्तृहरि" की उपाधि प्राप्त । तोटकाचार्य- ई. 8 वीं शती। आद्य शंकराचार्यजी के चतुर्थ शिष्य। मूल शुभनाम आनंदगिरि, किन्तु बाद में केवल "गिरि" नाम से ही पहचाने जाने लगे। शांकरभाष्य के व्याख्याकार आनंदगिरि और ये आनंदगिरि दोनों भिन्न हैं। आद्य शंकराचार्यजी ने इन्हें बदरीनारायण के ज्योतिर्मठ का पीठाधिकारी नियुक्त किया था। तोटकाचार्य के नाम पर अनेक ग्रंथ हैं। उनकी प्रमुख रचना है- तोटकश्लोक। कालनिर्णय नामक ग्रंथ भी इन्हींका बताया जाता है। इनके श्रुतिसारसमुद्धरण नामक ग्रंथ में 179 श्लोक तोटक छंद में हैं जिनमें अत्यंत सुबोध रीति से अद्वैतवेदान्त का प्रतिपादन किया गया है। इसी के कारण इन्हें तोटकाचार्य यह उपाधि प्राप्त हुई। त्यागराज- जन्म तिरुवारुर में, ई. स. 1758 में, वैदिक ब्राह्मण कुल में। पिता- रामब्राह्मण, । माता-पिता का बालपन में देहान्त । कौटुंम्बिक पीडा का अनुभव। असीम रामभक्ति। भक्तिपरक गीत-रचना (आशुरचना)। देश में तथा बाहर भी प्रसिद्धि। उत्तरायुष्य में संन्यास । मृत्यु ई. 1846 में। प्रारम्भ की गीत-रचना संस्कृत में हुई है। इनके गीत दक्षिणभारत में अत्यंत लोकप्रिय हैं। त्यागराज मखी (राजूशास्त्रिगल)- मन्नारगुडी (तामिलनाडू) के शिवाद्वैत सिद्धान्त के समर्थनार्थ "न्यायेन्दुशेखरः" की रचना की। त्रिलोचनदास- ई. 13 वीं शती। अमरकोश के टीकाकार। त्रिलोचनादित्य- ई. 14 वीं शती। दिवाकर (ई. 1385) और चरित्रवर्धन नामक टीकाकारों द्वारा उल्लेख। रचना- नाट्यालोचन और लोचनव्याख्यांजन। त्रिविक्रम- ई. 11 वीं शती। गौड ब्राह्मण। अनहिलवाड संस्कृत वाङ्मय कोश - ग्रंथकार खण्ड / 331 For Private and Personal Use Only
SR No.020649
Book TitleSanskrit Vangamay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreedhar Bhaskar Varneakr
PublisherBharatiya Bhasha Parishad
Publication Year1988
Total Pages591
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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