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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इन शब्दकोशों के अतिरिक्त विविध शास्त्रीय कोश अर्वाचीन काल में मिर्माण हुए जैसे :कोश कर्ता धातुरूपचन्द्रिका - व्ही.व्ही.उपाध्याय धातुरत्नाकर (आठ भागों में) - श्रीधरशास्त्री पाठक अष्टाध्यायी शब्दानुक्रमणिका - श्रीधरशास्त्री पाठक महाभाष्य शब्दानुक्रमणिका संस्कृतधातुरूपकोश - कृ. भा. वीरकर संस्कृत शब्दरूपकोश तिङ्न्तार्णवतरणिकोश प्रत्ययकोश - गुंडेराव हरकरे (हैदराबाद निवासी)। न्यायकोश - भीमाचार्य झलकीकर। मीमांसाकोश (चार भाग) - केवलानंद सरस्वती निघण्दुमणिमाला (या वैदिककोश)- मधुसूदन विद्यावाचस्पति । गोज्ञानकोश :- पं. श्रीपाद दामोदर सातवळेकर। उसमें गोमाता विषयक वैदिक मंत्रों का संकलन किया है। ऐतरेय ब्राह्मण-आरण्यक कोश :- केवलानंद सरस्वती। कौषीतकी ब्राह्मण- आरण्यक कोश :वैदिक कोष :- (ब्राह्मण-वाक्यों का संग्रह):- हंसराज । सामवेदपादनाम् अकारादिवर्णानुक्रमणिका- स्वामी- विश्वेश्वरानंद और स्वामी नित्यानंद । धर्मकोश :- (व्यवहारकाण्ड)-3 भागों में तर्कतीर्थ- लक्ष्मणशास्त्री जोशी। धर्मकोश :- (उपनिषत्कांड) (चार भागों मे)- तर्कतीर्थ लक्ष्मणशास्त्री जोशी। स्मृतितत्त्वम्ः रघुनंदन भट्टाचार्य। इसमें 28 स्मृतियों का संग्रह है। स्मृतीनां समुच्चय :- 27 स्मृतियों का संग्रह। पुराणविषय अनुक्रमणिका : यशपाल टंडन । पुराणशब्दानुक्रमणिका - (3 भागों में। डी. आर. दीक्षित)। महाभारतशब्दानुक्रमणिका - गणितीय कोश :- डॉ. व्रजमोहन । भरतकोश- नाट्यसंगीत विषयक पारिभाषिक शब्द कोश । भारतीय राजनीति कोष (कालिदास खंड) ले- वेंकटशशास्त्री जोशी। वैदिकपदानुक्रमकोष (सात भागों में) ले. विश्वबन्धुशास्त्री। सर्वतंत्रसिद्धान्त- पदार्थ-लक्षणसंग्रहवैदिकशब्दार्थ पारिजातकौटिलीय अर्थशास्त्र पदसूची/ 3 भागों में- . पुरातन जैनवाक्यसूची बृहत्स्तोत्ररत्नाकर-500 स्तोत्रों का संग्रह। जैनस्तोत्र रत्नाकरकहावत रत्नाकर-संस्कृत हिंदी और अंग्रेजी कहावतों का संग्रह। शब्दकोश निर्मिति के क्षेत्र में पुणे के डेक्कन कॉलेज द्वारा एक महत्त्वपूर्ण उपक्रम सन 1942 से डॉ. सुमंत मंगेश को के नेतृत्व में चलता रहा है। इस महान् कोश में ई-पू. 14 वीं शती से ई-18 वीं शती तक संस्कृत भाषा में निर्मित सर्वांगीण वाङ्मय प्रकार के दो हजार ग्रंथों से पांच लक्ष शब्दों का संग्रह, उनकी व्युत्पत्ति, यथाकाल हुआ अर्थान्तर तथा विविध ग्रन्थों में उनके प्रयोग इत्यादि अनेक प्रकार की जानकारी के साथ, किया जा रहा है। इस कार्य में यूरोप तथा जापान के अनेक विद्वान विना वेतन सहकार्य देते है। कोशनिर्मिति की दिशा में आधुनिक काल में जो विशेष महत्त्वपूर्ण कार्य हुआ, इस प्रकार का कार्य प्राचीन काल में नहीं हो सका। वह कार्य याने प्राचीन हस्तलिखित ग्रंथसंग्रहों की सूचियां बनाना। जर्मन पंडित मैक्समूलर ने कहा है कि सारे संसार में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जहाँ हस्तलिखित ग्रंथों में विपुल ज्ञानभंडार भरा हुआ 258 / संस्कृत वाङ्मय कोश - ग्रंथकार खण्ड For Private and Personal Use Only
SR No.020649
Book TitleSanskrit Vangamay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreedhar Bhaskar Varneakr
PublisherBharatiya Bhasha Parishad
Publication Year1988
Total Pages591
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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