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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्राचीन सुभाषित संग्रह :सुभाषित - सं. विद्याधर । ई. 12 वीं शती। बंगाल में मालदा जिले के निवासी। श्लोक- 1739। सदुक्तिकर्णामृत - सं. श्रीधरदास। ई. 13 वीं शती। श्लोक- 23801 सूक्तिमुक्तावली- सं. जल्हण। ये देवगिरी (महाराष्ट्र) के यादवंशीय राजा कृष्ण (ई. 13 वीं शती) के हस्तिवाहिनी पति थे। इन्होंके नाम भानुकवि ने यह संग्रह बनाया है। प्रसन्नसाहित्यरत्नाकर- सं. नन्दन पंडित ई. 15 वीं शती। शार्गधरपद्धति- सं. शाङ्गंधर। ई. 14 वीं शती। श्लोक 46161 सुभाषितावली- सं. वल्लभदेव। काश्मीरनिवासी। ई. 15 वीं शती। श्लोक- 3528 । पद्यावली- सं. रूपगोस्वामी। इसमें कृष्ण परक 386 श्लोकों का संग्रह है। सूक्तिरत्नहार- सं. कलिंगराय। ई. 14 वीं शती। सूक्तिरत्नाकर- सं. सिद्धचन्द्रमणि। ई. 13 वीं शती। प्रस्तावरत्नाकर- सं. हरिदास ।ई. 16 वीं शती। सुभाषितहारावली. सं. हरिदास। सूक्तिसुन्दर- सं. सुंदरदेव ई. 17 वीं शती। पद्यतरंगिणी- सं. व्रजनाथ। पद्यवेणी- सं. वेणीदत्त ई. 17 वीं शती। पद्यरचना- सं. लक्ष्मणभद्र अंकोलकर, ई. 17 वीं शती। श्लोक- 7561 पद्यामृततरंगिणी- सं. हरिभास्कर, ई. 17 वीं शती। श्लोक 301 । श्लोकसंग्रह- सं. मणिराम दीक्षित। 17 वीं शती श्लोक 16,061 शंगारालाप- स. रामयाज्ञिक। ई. 16 वीं शती। इस में शृंगारमय 1 सहस्र से अधिक श्लोकों का संग्रह है। सूक्तिमालिका-सं. नारोजी पंडित । ई. 16 वीं शती। श्लोक-- एक सहस्र से अधिक, जिनमें 238 श्लोक दशावतार वर्णन परक हैं। विद्याधरसहस्रक- सं. विद्याधर मिश्र। मिथिलानिवासी। पद्यमुक्तावली- सं. घाशीराम (2) गोविंदभट्ट। सुभाषित सुधानिधि- सं. सायणाचार्य। ई. 14 वीं शती। श्लोक 11181 । पुरुषार्थ-सुधानिधि- सं. सायणाचार्य। इसमें महाभारत, पुराणों उपपुराणों के सुभाषितों का संकलन तथा आख्यानों का संक्षेप एकत्रित किया है। अध्यायसंध्या- धर्मस्कन्ध- 45, अर्थस्कन्ध 23, कामस्कन्ध-14, मोक्षस्कन्ध- 191, पद्यावली- सं. मुकुंदकवि, (2) विद्याभूषण, (3) रूपगोस्वामी। प्रसतावचिन्तामणि- सं. चंद्रचूड। प्रस्तावतरंगिणी- सं. श्रीपाल। प्रस्तावमुक्तावली- सं. केशवभट्टी। प्रस्तावसारसंग्रह- सं. रामशर्मा । प्रस्तावसार- सं. साहित्यसेन । सुभाषितकौस्तुभ- सं. वेंकटाध्वरी। सुभाषितावली- सं. सकलकीर्ति । सुभाषितरत्न कोश- सं. कृष्णभट्ट। सुभाषितरत्नावलीसं. उमामहेश्वरभट्ट। सारसंग्रह- सं. शम्भुदास। सारसंग्रहसुधार्णव- सं. भट्टगोविंदजित् । सुभाषितनीति- सं. वेंकटनाथ। सुभाषितपदावली। सं. श्री निवासाचार्य । सुभाषितमंजरी- सं. चक्रवर्ती वेंकटाचार्य । सुभाषितसर्वस्वसं. गोपीनाथ । सूक्तिवारिधि- सं. पेदुभट्ट। सूक्तिमुक्तावली- सं. विश्वनाथ । सूक्तावली- सं. लक्ष्मण । सुभाषितसुरद्रम- . (1) केलाडी बसवप्पानायक (2) खंडेराय बसवयतीन्द्र। सुभाषितरत्नाकर- सं. (1) मुनिवेदाचार्य, (2) कृष्ण (3) उमापति, (4) के.ए. भाटवडेकर । सुभाषितरंगसार- सं. जगनाथ। सभ्यालंकरण- सं. गोविंदजित् । बुधभूषण- छात्रपति संभाजी (शिवाजी महाराज के पुत्र) सभ्यभूषणमंजरी- सं. गौतम । पद्यतरंगिणी- सं. व्रजनाथ । जैन संस्कृत साहित्य के सुभाषित संग्रह प्रायः धार्मिक तथा नैतिक सदाचार एवं लोकव्यवहार विषयक हैं। इन में उल्लेखनीय ग्रंथ हैं :- अमितगतिकृत सुभाषित रत्नसन्दोह। अर्हद्दासकृत भव्यजन- कण्ठाभरण। सोमप्रभकृत सूक्तिमुक्तावली काव्य । नरेन्द्रप्रभकृत विवेकपादप तथा विवेककलिका । मल्लिषेणकृत सज्जनचित्तवल्लभ। सोमप्रभकृत शृंगार-वैराग्यतरंगिणी। राजशेखरकृत उद्देश्यतरंगिणी। हरिसेनकृत कपूप्रकर। दर्शन विजयकृत अन्योक्तिशतक। हंसविजयगणिकृत अन्योक्तिमुक्तावली। धनराजकृत धनदशतकत्रय (विषयशंगार, नीति, वैराग्य) तेजसिंहकृत दृष्टान्तशतक। ये सारे सुभाषित' ग्रंथ एककर्तृक हैं, अर्थात् इनमें अन्यान्य कवियों के काव्यों का संग्रह नहीं है। श्रीशंकराचार्यकृत विवेकचूडामणि का स्वरूप अध्यात्मपरक सुभाषितसंग्रह के समान ही है। जगन्नाथपंडितराजकृत भामिनीविलास में उनके शृंगार, करुण, मान्त रसमय तथा अन्योक्तिपरक सुभाषितों का संग्रह मिलता है। विठ्ठलपंत (विठोबा अण्णादप्तरदार) कृत सुश्लोकलाघव में महाराष्ट्र के अनेक ऐतिहासिक संतों की प्रशंसा वैशिष्यपूर्ण शैली में की है। श्लोक संख्या 500 से अधिक। श्री. ग. जो. जोशी कृत काव्यकुसुमगुच्छ, श्री. अर्जुनवाडकर कृत कण्टाकांजलि, महालिंगशास्त्रीकृत व्याजोक्तिरत्नावली, और द्राविडार्यासुभाषित संस्कृत वाङ्मय कोश - ग्रंथकार खण्ड / 255 For Private and Personal Use Only
SR No.020649
Book TitleSanskrit Vangamay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreedhar Bhaskar Varneakr
PublisherBharatiya Bhasha Parishad
Publication Year1988
Total Pages591
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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