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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सहस्रश्लोकात्मक स्तोत्रों के समान शतकस्वरूप स्तोत्रों की रचना भी अनेक कवियों ने की है। अध्यर्धशतक : ले. मातृचेट। यह एक प्राचीन बौद्धस्तोत्र है। जिनशतकालंकार : ले. समन्तभद्र। सूर्यशतक : मयूरकवि । देवीशतक : ले. आनंदवर्धनाचार्य। गीतिशतक : ले. सुंदरार्य। अंबाशतक : ले. सदाक्षर, ई. 17 वीं शती। अंबुजवल्ली शतक : ले. वरदादेशिक, ई. 17 वीं शती। इन्होंने वराहशतक भी लिखा है। देव्यायशतक ले. रमणापति। रसवतीशतक : ले. धरणीधर । रामशतक : ले. सोमेश्वर । ईश्वरशतक : ले. अवतार । मीनाक्षीशतक : हनुमत्शतक, मालिनीशतक और लक्ष्मीनृसिंहशतक इन चारों स्तोत्रों के लेखक हैं परिथियुर कृष्णकवि। सुदर्शनशतक : ले. कूरनारायण । कालिकाशतक और आत्मनिवेदनशतक : दोनों के लेखक हैं बटुकनाथ शर्मा । कोमलाम्बाकुचशतक ले. सुंदराचार्य, ई. 20 वीं शती। शारदाशतक, विज्ञप्तिशतक, महाभैरवशतक, हेटिराजशतक, योगिभोगिसंवादशतक : इन पांच शतकों के लेखक हैं श्रीनिवासशास्त्री; तंजौरनिवासी, ई. 19 वीं शती। नृसिंहशतक और नखशतक : दोनों के लेखक हैं तिरुवेंकट तातादेशिक । पद्मनाभशतक : ले. त्रिवांकुरनरेश रामवर्मकुलशेखर, ई. 19 वीं शती। गुरुवायुरेशशतक, व्याघ्रालयेशशतक और द्रोणाद्रिशतक : तीनों के लेखक- त्रिवांकुरनरेश केरलवर्मा, ई. 19-20 वीं शती। गणेशशतक : ले. अंबिकादत्त व्यास। रामवल्लभराजशतक : ले. बेल्लंकोण्ड रामराय। कृष्णशतक : ले. वाक्तोलनारायण मेनन । सूर्यशतक और मारुतिशतक : ले. रामावतारशर्मा। शूलपाणिशतक : ले. कस्तूरी श्रीनिवासशास्त्री। राधाप्रियशतक : ले. राधाकृष्ण तिवारी (सोलापुर निवासी)। कटाक्षशतक : ले. गणपतिशास्त्री। वीरांजनेयशतक : ले. श्रीशैलदीक्षित। रक्षाबन्धनशतक : ले. विमलकुमार जैन (कलकत्तानिवासी)। युगदेवताशतक : ले. श्रीधर भास्कर वर्णेकर। विषय श्रीरामकृष्ण परमहंस) बाललीलाशतक (अपरनाम वात्सल्यरसायनम्) : ले. श्रीधर भास्कर वर्णेकर । उपरनिर्दिष्ट शतकात्मक स्तोत्र काव्यों की रचना आधुनिक कालखण्ड में हुई है। इनके अतिरिक्त दशक, अष्टक षट्पदी जैसे लघुस्तोत्रों की संख्या अगण्य है जिनमें कुछ स्तोत्र सर्वत्र छपे हैं। शंकराचार्यकृत शिवमानसपूजास्तोत्र के अनुसार अन्यान्य देवताओं के भी मानसपूजास्तोत्र लिखे गये हैं। कुछ सुप्रसिद्ध प्राचीन स्तोत्र शिवमहिम्नःस्तोत्र : ले. पुष्पदन्त नामक गन्धर्व । मद्रास की कितनी ही हस्तिलिखित प्रतियों में कुमारिलभट्टाचार्य ही इनके कर्ता लिखे गये हैं। सुभगोदयस्तुति : ले. गौडपादाचार्य (शंकराचार्य के दादागुरु) । ललितास्तवरत्न और त्रिपुरसुन्दरी महिम स्तोत्र दोनों के रचयिता दुर्वास माने जाते हैं। सौन्दर्यलहरी : ले. शंकराचार्य । शिवस्तोत्रावली : ले. उत्पलदेव। इसमें शिवपरक 21 स्तोत्रों का संग्रह है। अर्धनारीश्वरस्तोत्र ले. राजतंरगिणीकार कल्हणकवि। दीनाक्रन्दनस्तोत्र : ले. लोष्टककवि । स्तुतिकुसुमांजलि : जगद्धरकृत। 38 शिवस्तोत्रों का संग्रह। इसकी श्लोकसंख्या 1415 है। (मालतीमाधव और वेणीसंहार के टीकाकार जगद्धर इनसे भिन्न है)। आनंदमंदाकिनी : ले. मधुसूदन सरस्वती। कृष्णकर्णामृत : ले. लीलाशुक । रामचार्यस्तव : ले. रामभद्रदीक्षित। तंजौर नरेश शहाजी (प्रथम ई. 17-19 वीं शती) के सभाकवि। इन्होंने रामभक्ति परक रामबाणस्तव, विश्वगर्भस्तव (या जानकीजानिस्तोत्र) वर्णमालास्तोत्र और रामाष्टप्रास इन पांच स्तोत्र काव्यों में प्रभुरामचंद्र की स्तुति की है। वरदराजस्तव : ले. अप्पय्य दीक्षित । गंगालहरी या पीयूषलहरी : ले. पंडितराज जगन्नाथ। इनकी करुणालहरी, अमृतलहरी (यमुनास्तुति), लक्ष्मीलहरी, सुधालहरी (सूर्यस्तुति) ये अवांतर 4 लहरियां भी स्तोत्रकाव्यों में प्रसिद्ध हैं। जैन स्तोत्र जैन धर्म के प्राचीनतम स्तोत्र प्राकृत भाषा में मिलते हैं। बाद में संस्कृत भाषा में दार्शनिक तथा आलंकारिक शैली में अनेक स्तोत्र लिखे गये। दार्शनिक स्तोत्रों में उल्लेखनीय स्तोत्र हैं: समन्तभद्रकृत स्वयंभूस्तोत्र, देवागमस्तोत्र, युत्तयनुशासन और जिनशतकालंकार। आचार्य सिद्धसेनकृत द्वात्रिशिकाएं। आचार्य हेमचंद्र कृत अयोगव्यवच्छेद-द्वात्रिंशिका और अन्ययोगव्यवच्छेद द्वात्रिंशिका। इसी प्रकार के दार्शनिक स्तोत्र वेदान्ती आचार्यों ने भी लिखे हैं। व्याख्याओं की सहायता से ये स्तोत्र दार्शनिक प्रकरणग्रन्थों के समान उद्बोधक होते हैं। 252 / संस्कृत वाङ्मय कोश - ग्रंथकार खण्ड For Private and Personal Use Only
SR No.020649
Book TitleSanskrit Vangamay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreedhar Bhaskar Varneakr
PublisherBharatiya Bhasha Parishad
Publication Year1988
Total Pages591
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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