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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आदिपुराण (अपरनाम-ऋषभनाथचरित) और उत्तरपुराण- ले. भट्टारक सकलकीर्ति । कर्णामृतपुराण:- ले. केशवसेन और प्रभाचंद्र। पार्श्वनाथ काव्य और रायमल्लाभ्युदय :- ले. उपाध्याय पद्मसुंदर ( ये अकबर के दरबार में सभासद थे ) चतुर्विंशति-जिनेन्द्र संक्षिप्त-चरितानिः- ले. अमरचंद्रसूरि (अध्याय -24। श्लोक-1802। महापुरुषचरित : ले. मेरुतुंग। इसमें ऋषभ, शान्ति, नेमि, पार्श्व और वर्धमान इन पाँच तीर्थकारों के चरित्र हैं। लधुत्रिषष्टि शलाकापुरुषचरित : ले. मेघविजय उपाध्याय । हेमचन्द्राचार्य कृत ग्रंथ का यह संक्षेप है। पर्व 10 । श्लोक 5000। लघुमहापुराण (अपरनाम - लघुत्रिषष्टिलक्षण-महापुराण : ले. चंद्रमुनि । त्रिषष्टि-शलाकापुरुषचरित्र : ले. विमलसूरि। 2) ले. वज्रसेन । इन पुराणात्मक संस्कृत ग्रन्थों के अतिरिक्त संस्कृत में तीर्थंकरों के जीवनचरित संबंधी स्वतंत्र महाकाव्य भी लिखे गये हैं। उनमें निम्ननिर्दिष्ट काव्य उल्लेखनीय हैं। परमानन्द महाकाव्य (अपरनाम जिनेन्द्रचरित) : ले. अमरचन्द्रसुरि। इसकी रचना वीसलदेव (ई. 13 वीं शती) के मंत्री पद्म के अनुरोध पर की गई, अतः इसका नाम “पद्यानन्द" रखा गया। इसमें ऋषभ, भरत और बाहुबलि के चरित्र वर्णित हैं। आदिनाथ चरित : ले. विनयचन्द्र । अन्य एक विनयचन्द्र द्वारा लिखित मल्लिनाथचरित, मुनिसुव्रतनाथचरित तथा पार्श्वचरित उपलब्ध हैं। आदिनाथ पुराण (अपरनाम ऋषभनाथ चरित्र) : ले. सकलकीर्ति । अजितनाथपुराण : ले. अरुणमणि । यह मौलिक रचना न होकर आदिपुराण, हरिवंशपुराण आदि ग्रन्थों में उद्धृत अंशों का संकलन है। संभवनाथचरित्र : ले. मेरूतुंगसूरि। (मेरुतुंग नामके तीन सूरि माने जाते हैं।) पद्यप्रभचरित्र : ले. सिद्धसेन सूरि।। चन्द्रप्रभचरित : ले. वीरनन्दी (ई. 11 वीं शती) 2) ले. असंग कवि। 3) ले. देवेन्द्र। श्लोक 5325)। 4) ले, सर्वानन्द सूरि। सर्ग 13। श्लोक 7141) ई. 14 वीं शती। 5) ले. भट्टारक शुभचन्द्र, सर्ग 12) 6) ले. पंडिताचार्य। 7) ले. शिवाभिराम। 8) ले. दामोदर। श्रेयांसनाथचरित : ले. मानतुंगसूरि। सर्ग 13। 2) ले. भट्टारक सुरेन्द्रकीर्ति । वासुपूज्यचरित : ले. वर्धमानसूरि। ई. 14 वीं शती। सर्ग 4। श्लोक 5494 । विमलनाथचरित (गद्यकाव्य) : ले. ज्ञानसागर। ई. 17 वीं शती। विमलपुराण : ले. कृष्णदास। सर्ग 101 श्लोक 23641 अनन्तनाथपुराण : ले. वासवसेन । धर्मनाथचरित : ले. नेमिचन्द्र। धर्मशर्माभ्युदय : ले. हरिचन्द्र। शान्तिनाथपुराण : ले. असंग कवि। सर्ग 161 श्लोक 25001 लघुशान्तिपुराण : ले. असंग कवि। सर्ग 121 शान्तिनाथचरित : ले. माणिक्यचन्द्र सूरि । सर्ग 8 श्लोक, 5574। इन्होंने गम्मटकृत काव्यप्रकाश पर संकेत नामक टीका लिखी है। शान्तिनाथ महाकाव्य : ले. मुनिभद्रसूरि । शान्तिनाथचरित : ले. अजितप्रभसूरि। सर्ग 6। श्लोक 48551 3) ले. भावचन्द्रसूरि। 4) मुनिभद्रसूरि सर्ग 191 5) ले. ज्ञानसागर। 6) ले. उदयसागर। 7) वत्सराज 8) ले. हर्षभूषणगणि। 9) ले. कनकप्रभ। 10) रत्नशेखरसूरि। 11) ले. शान्तिकीर्ति, 12) ले. गुणसेन। 13) ले. ब्रह्मदेव। 14) ले. ब्रह्मजय सागर और 15) ले. श्रीभूषण । शान्तिनाथराज्याभिषेक : ले. धर्मचन्द्रगणि। शान्तिनाथविवाह : ले. आनन्दप्रमोद । शान्तिनाथचरित : ले. मेघविजय गणि। इसमें लेखक ने, श्रीहर्षकृत नैषधीयचरित के पादों की पूर्ति करते हुए शान्तिनाथ का चरित्र प्रस्तुत किया है। मल्लिनाथचरित : ले. विनयचन्द्रसूरि। सर्ग 8 श्लोक 4355। इस काव्य में श्वेताम्बर जैन मान्यता के अनुसार मल्लिनाथ को सी माना है। 2) ले. भट्टारक सकलकीर्ति (सर्ग 7, श्लोक 874) 3) शुभवर्धनगणि, 4) विजयसूरि । 5) भट्टारक प्रभाचंद्र। संस्कृत वाङ्मय कोश - ग्रंथकार खण्ड/195 For Private and Personal Use Only
SR No.020649
Book TitleSanskrit Vangamay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreedhar Bhaskar Varneakr
PublisherBharatiya Bhasha Parishad
Publication Year1988
Total Pages591
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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