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संस्कृत-प्राकृत-हिन्दी एवं अंग्रेजी शब्द कोश
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without happiness, to be not
helped अप्रशस्तक-अप्पसत्थउ (वि०) अप्रसन्न, वीमारी।
मिथ्याचारी। व्याकुल। Notpraised, not
quite, not appeased अप्रशस्तध्यानम्-अप्पसत्थज्झाणं (नपुं०) .
आर्त-रौद्र परिणाम युक्त ध्यान। • पापस्रव के कारण भूत ध्यान। Notquite, medicate,
medicate coming of sin cause अप्रशस्तनिदानम्-अप्पसत्थ-णिदाणं (नपुं०) .
उत्तम रूप, कुल जाति आदि की इच्छा। . उत्तम पद, तीर्थपद, गणधर, आचार्य, आदि पद की कामना। Expected of great beautiful family, caste etc,
expected of great pada अप्रशस्त-नि:सरणम्-अप्पसत्थ-णिस्सरणं (नपुं०)
अभीष्ट स्थान तक न फैलना। Not
advancing of great place अप्रशस्त-प्रतिसेवना-अप्पमत्थ- पडिसेवणो (स्त्री०)
बल/शक्ति, रूप/वर्ण आदि की वृद्धि के लिए प्रासक्त प्रतिसेवना है। Eating for
powerful life अप्रशस्त-भावः-अप्पसत्थ-भावो (पु०) खोटे भाव,
मिथ्या परिणाम। पाप परिणाम। Sinful
nature अप्रशस्त-रागः-अप्पसत्थ-रागो (पु०) मिथ्या
परिणामों के प्रति राग। • विकथाओं के प्रति अनुराग। Loved in sinful nature,
loved to faultful stores अप्रशस्त-वात्सल्यम्-अप्पसत्थ-वच्छल्लो (नपुं०)
गृहस्थों के प्रति प्रेम। अवसाद/खेद जन्य स्थानों के प्रति वात्सल्य। Loved for homely
man अप्रशस्त-विहायोगतिः-अप्रसत्थ-विहायोगइ (पु.)
• निन्दनीय गमन। • प्रतिकूल गति करना। • उछल-कूद या अप्रमार्जित भाव से इधर-उधर
गमन करना। Going of fault अप्रशान्त-अप्पसंत (पु०) दुःख, व्याकुल, व्यथित।
अप्रसन्न। Unhappiness, pained
अप्रसङ्गः-अप्पसंगो (पु०) अनुपयोगी कारण, उपयुक्त
समय का न होना। अचानक अनायास। Being
no quite अप्रसन्न-अप्पसण्ण (वि०) असंतुष्ट । हर्वाभाव। खेद।
दुःखी। Unhappiness, pained अप्रसह्य-अप्पसहिज्ज (वि०) असहनीय। खेदजनक।
व्याकुलित करने वाली। Unforcibly,
agitatful अप्रसिद्धः-अप्पसिद्ध (वि०) असामान्य, अविख्यात।
अज्ञात, लोगों के द्वारा अमान्य। तुच्छ। Unadorned, unknown, not will
known faultful अप्रस्तावित-अप्पत्थाविउ (वि०) असंगत, अमान्य।
प्रमाण परीक्षण से रहित । अप्रासंगिक असर्थक। Unconsideration, without pra
mana, unproposed अप्रस्तुत-अप्पत्थुअ (वि०) लज्जित, निंदनीय।
असंगत। अमान्य। Unsuitable to the time, not to the point irrelevant. . जिसकी प्रशंसा न की गई हो। Unproposed, not reasonable, uncontextual, Not being, praise,
not present अप्रस्तुत-प्रशंसा-अण्णत्थुअ- प्रसंसा (स्त्री०)
अर्थालंकार का एक भेद, जिसमें अप्रस्तुत कथन द्वारा प्रस्तुत का बोध कराया गया हो। . समासोक्ति अलंकार में-अप्रस्तुतात्/वाच्यात्अप्रस्तुत वाक्य से प्रस्तुतस्य गम्यत्वे-प्रस्तुत का कथन किया जाता है। चातकस्त्रिचतुरान् पयः कणान् याचते जलधरं पिपासितः। सोऽपि पूरयति-भूयसा ऽम्भसा चित्रमत्रमहतामुदारताः।। अप्रस्तुत से प्रस्तुत-प्यास से व्याकुल पपीहा मेघ से तीन-चार जल की बूंदे मांगता है। यहाँ चातक और जलधर कार्य साम्य के कारण अप्रस्तुत हैं। A figure of speech incase
relevant matter's अप्रहत-अप्पहअवि०) परत भूभागा अनुपजाऊ।
खनन मुक्त भू भाग। उसर, बंजर। Unploughed land
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