________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
सम्यक्त्व-कौमुदी
स्त्रियोंने उदयश्री आर्यिकाके पास जिन-दीक्षा ली। किसीकिसीने श्रावकोंके व्रत लिये। सबने बड़ा उग्र तप किया। कोई मोक्ष गया, कोई सर्वार्थसिद्धि गया, तथा कोई किसी स्वर्गमें गया और कोई किसीमें । ___ इस प्रकार गौतमस्वामीने श्रेणिकसे सम्यक्त्व-कौमुदीकी कथाएँ कहीं। उन्हें सुनकर सबको दृढ़ सम्यक्त्वकी प्राप्ति हुई । ग्रन्थकार कहते हैं-तब भव्यजनो, तुम भी इन कथाओंको सुनकर या पदकर सम्यक्त्व ग्रहण करो न ? जिससे तुम्हारा संसार-भ्रमण छूट सके और तुम मोक्षका सुख प्राप्त कर सको।
देखो, यह जीव धर्म-साधनसे स्वर्ग लाभ करता है और पापसे नकोंमें जाता है। ज्ञानसे इसे मोक्ष मिलता है और अज्ञानसे कर्मोंका बन्ध होता है । इसलिए जो किसी भी प्रकारका सुख चाहते हैं, जैसे-धन-दौलतका, कामभोगका, सौभाग्य प्राप्तिका, पुत्र-लाभका, राज्य-वैभवका या और किसी प्रका. रका, तो उन्हें धर्म प्राप्ति के लिए पूर्णपने यत्न करना चाहिए । वयोंकि धर्मसे जब स्वर्ग-मोक्षका भी सुख मिल सकता है तव उससे और साधारण सुख क्या न मिलेंगे ? मिलेंगे-और अवश्य मिलेंगे। धर्मका लक्षण ही ऐसा है कि " जो दुःखोंसे छुड़ाकर सुखमें स्थापित करे ।" वह पवित्र धर्म संसारके जीवोंका कल्याण करे, यह मनोकामना है।
म
समाप्त।
For Private And Personal Use Only