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सम्यक्त्व-कौमुदी
चढ़ाई की । लक्ष्मीमतीने तब अगत्या कहा-अच्छा जाइए, जो होना होगा वह तो होगा ही। भगदत्तको प्रयाण करते समय कई शुभ शकुन हुए । दही, दूर्वा, अक्षत-पात्र, कमल-पुष्प युक्त जलभरे घड़े और पुत्रवती स्त्रियाँ आदि सामने दिखाई पड़ीं। । उधर किसीने आकर जितारिसे कहा-महाराज, भग. दत्त सेना लेकर आप पर चढ़ आया है । उसके लिए कोई उपाय कीजिए । यह सुन जितारिने उस मनुष्यसे कहा-संसारमें ऐसा कौन मनुष्य है जो मेरे ऊपर चढ़ाई कर सके ? सिंह पर हरिणने, राहु पर चंद्रमा और सूर्यने, बिलावपर चूहोंने, गरुड़ पर साँपने, कुत्ते पर बिल्लीने, यमराज पर प्राणियोंने और सेना पर कौओंने कभी चढ़ाई की हो, यह बात न कभी देखी गई और न सुनी गई । बात यह है कि जबतक सूर्यका उदय नहीं होता है तभीतक अंधकार रहता है । जितारि यह कह ही रहा था कि भगदत्तने छुपे हुए आकर बनारसको चारों ओरसे घेर लिया। जितारिने जब भगदत्तकी सेनाका कोलाहल सुना तब उसने भी अपनी सब सेना लेकर बड़े वेगसे भगदत्तका साम्हना किया । जितारिको प्रयाण करते समय कई अपशकुन हुए-जैसे अकाल वृष्टि, भूमिका काँपना, प्रचण्ड उल्काका गिरना आदि । ये अशुकन क्या हुए मानों मैत्री-भावसे राजाको युद्ध करनेके लिए मना करने लगे । इन अपशकुनोंको देखकर मंत्री ने कहा-महाराज, मेरी समझमें तो भगदत्तके साथ राजकु
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