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उलदना
(
२६ )
-
उसारनी
उपदमा १० स. ह. उलटना] अला. २८ जबलि चुदाई की ।
उलवना-क्रि० स० [हिं० उलटना] उँडेलना,
उवनि लुनाई को लवनि की सी लहरी । उलटना, ढालना, बरसाना ।
-देव उदा० उलदत मद अनुमद ज्यों जलधि-जल, उवारे-संज्ञा, पु० [हिं० ओहार] पर्दा, पालकी बल हद भीम कद काहू के न प्राह के । या रथ पर ऊपर से लगाया जाने वाला वस्त्र ।
-भूषण उदा० चारि ढाक के थंम निवारे, लै तुम्बा सरजू जल पानी।
घर तें बांई ओर उवारे। -सोमनाथ उलदत मुहरै सब कोई जानी।
उवाहना-क्रि० स० [सं० उद्वाहु ] हथियार -रघुराज
उठाना, चलाना । उलरना-क्रि० अ० [सं० उद्+लव"=डोलना] उदा० झुक झुक उवात खग्ग मुंड बरषत वर्षा झपटना, टूटना ।।
इम ।
-बोधा उदा० कह गिरिधर कवि राय बाज पर उलरे
उसटाना-क्रि० स० [सं० उद् + सरण] उखाड़ना धुधकी । समय समय की बात बाज कहूँ
हटाना, भगाना । घिरवै फुदकी।
-गिरिधर
उदा० बह ढाल ढक्कन सों ढकेलि अरिंद उसटाए उलहना-क्रि० अ० [सं० उल्लंघन] हरा-भरा
भले ।
-पदमाकर होना, प्रफुल्लित होना, फूलना, प्रस्फुटित होना ।
उसरना-क्रि० अ० [सं० उद्+सरण] निकउदा० देवजू अनंग अंग होमि के भसम संग अंग
लना, उद्भूत होना २. हटना, दूर होना, अंग उलयौ अखैबर ज्यों कुंड मैं ।
स्थानान्तरित होना । -देव
उदा० उसरि उरोज गिरि हरिद्वार हिरदै तें उलाक-संज्ञा, पु० [? ] संदेश वाहक, हर
राख्यौं जिहिं सागर गहीर नाभि झपिकै। कारा, पत्र ले जाने वाला ।
-देव उदा० उरज उलाकनिहूँ आगम जनायो पानि, बसन सँभारिबे की तऊ न तलास सी ।
उसलता-क्रि० अ० [हिं० उसरना] हटना, स्थान
भ्रष्ट हो जाना, स्थानांतरित होना। -दास
उदा० ऐल-फैल खैल मैल खलक में गैल गैल उलाहित-क्रि० वि० [बुं०] शीघ्र, जल्दी । ।
गजन की ठेल पैल सैल उसलत हैं। उदा० १. देव दुहँ करि के सुख संग उलाहित ही
-भूषण उठि अंग अंगौछे ।
---देव २. देवरानी जिठानी सबै जगतीं
उसल फुसल-संज्ञा, पु० [हिं० उथल-पुथल ] खड़को सुनि हैं न गहौ बहियाँ ।
उथल-पुथल, उलट फेर । हमैं सोवन देउ उलाइत का
उदा० ऐरे दसकंध, बीस प्रांखिन सौं अंध देखि, हरि धीर धरी हिरदय महियाँ ।।
एक कपि लंका कीनी उसल-फुसल है । -ठाकुर
-सूरति मिश्र उलीचना--क्रि० स० [हिं० उल्लुंचन] फेंकना,
उससना-क्रि० स० [सं० उत् + सरण ] १.
खिसकना, टलना २ सांस लेना। डालना, छोड़ना, उलचना ।
उदा० १. वैसिये सु हिलिमिल, वैसी पिय संग उदा० रंग सौ मांचि रही रस फागु पूरी गलियाँ त्यों गुलाल उलीच में ।
-ठाकुर
अंग, मिलत न कहूँ मिस, पीछे उससति जाति ।
-रसकुसुमाकर उलेखना--क्रि० स० [हिं० उरेखना] उरेखना,
२. एक उसांस ही के उससे सिगरेई सुगंध खींचना, चित्र बनाना, अंकित करना ।
विदा करि दीन्हें ।
-केशव उदा० ताहि कहै बस आन बधू के, सु तू बिन मीतिहिं चित्र उलेखै। -कुमारमणि
उसारना-क्रि० स० [सं० उत्सारण] १. हटाना,
तोड़ना, दूर करना २. निमूल करना, उखाड़ना उवनि-संज्ञा, पु० [सं० उदय प्रा० ऊपन ]
३. निछावर करना, बरसाना [हिं० पौसाना] उदय, निकलना, प्रकट होना ।
उदा० १. आनंदघन सों उघरि घुसँगी उसरि उदा० चन्द से बदन भानु भई वृषभानु जाई, |
पैज की पाजै ।
-घनानंद
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