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उबरानो
काम की घात प्रघाति नहीं दिन राति नहीं रति रंग उबीठे ।
देव उबरानी - वि० [हिं० बना] ऊबी हुई, उचटी हुई । उदा० घेर घबरानी उबरानी ही रहति घन आनँद आरति राती साधनि मरति है ।
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घनानन्द
उबारक- संज्ञा, पु० [हिं० उ = और + बारक = बार + एक ] एक बार और एक से अधिक बार दुबारा पुनः । उदा० त्यों न करें करतार उबारक ज्यों चितई वह बारब धूटी ।
रबोधना
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केशव -क्रि० प्र० [सं० उद्विदध] १. उलझना, फँसना, २. धँसना, गड़ना । उदा० १. बीधी बात बातन, सगीधीगात गातन, उबीधी परजंक में निसंक अंक हितई ।
देव
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आजु भिरंगी पिये मदमत्त, फिर,
उत्साह भरी उमदानी ।
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बाचे प्रेम पद्धति उमाचे न उर आँच सहि शूल परि रही है ।
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बड़वानि
बिहारी
बेनी प्रवीन उमहना- क्रि० प्र० [हिं० उमंग ] उमंगित होना उल्लसित होना, प्रसन्न होना ।
उदा० माया रूप प्रोपी बुद्धि बिधि की बिलोपी जिन गोपी ते तिहारे गुन गाइ व्रज उमही । - देव उमाचना- क्रि० स० [सं० उन्मंचन] निकालना,
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उभाड़ना, उत्पन्न करना, ऊपर उठाना । उदा० लाज बस बाम छाम छाती पे मानौं, नाभि त्रिबली तैं दूजी उमांची री ।
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उमंगंत
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उबरेना- -क्रि उरगना० स०: [बुं०] गाय चराना, गाय को चराने ले जाना । उदा० खोलि खोलि खरिकन के फरकन गायें श्रानि उबेरी । बक्सी हंसराज उभवाना- क्रि० प्र० [सं० उन्मद ] उन्मत्त जैसी चेष्टा करना, मतवाला होना । उदा० वे ठाढ़े उमदाहु उत, जल न बुझ
छली के नलिनि -द्विजदेव अनंग - देव
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मद
उमात्यो - वि० [सं० अन + मत्त ] निर्मंद, रहित, जिसका नशा उतर जाय । उदा० जाके मद मात्यौ सो उमात्यो ना कहूँ है कोई । - देव
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उमीदे - वि० [फा० उम्मीद] उम्मीदवार माशांवान्, आशान्वित ।
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उदा० सुजस बजाज जाके सौदागर सुकवि चलेई - देव श्राव दसहूँ दिसान के उमीदे हैं । उरकना -- क्रि० प्र० [हिं० रुकना ] रुक जाना, ठहर जाना ।
उदा० लाडिले कन्हैया, बलि गई बलि मैया, बोलि ल्याऊँ बलभैया, भाई उर पे उरकि -देव
जाइ ।
उबाठना
उरग - संज्ञा, पु० [?] १. ऋण मोचन, कर्जा से मुक्ति या छुटकारा २. सर्प । उरगावत रजपूत उरग सोचि पचि ।
उदा० १.
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-क्रि० ० प्र० [हिं० उरग] १. पाना, मुक्त होना २. स्वीकार करना [सं० उरगी करण ] ।
उदा० १. उरग्यौ सुरग्यौ त्रिबली की गली गहि नाभि की सुन्दरता संधिगौ । ठाकुर २. जो दुख देइँ तो ले उरगी यह सीख सुनौ । केशव उरगाना - क्रि० स० [ ? ] ऋण मोचन करना, कर्ज से छुटकारा देना, कर्ज से मुक्त करना । उदा० उरगावत रजपूत उरग बिन जात सोचि पचि । केशव उरबसी- -संज्ञा, स्त्री [ ? ] १. गले का एक आभूषरण, धुकधुकी २. उर्वशी नामक अप्सरा । उदा० तो पर वारों उरबसी सुनि राधिके सुजान । तू मोहन के उरबसी ह्न उरबसी समान ॥ - बिहारी होत अरुनोत यहि कोत मति बसी आजु, कौन उरबसी उरबसी करि आए हो । - दूलह क्रि० सं० [सं० उद्बहून, प्रा० उब्बहन ] शस्त्र चलाना, फेंकना, हथियार खींचना । उदा० है न मुसक्किल एक रती नरसिंह के सीस पै सांग उबाहिबो । - बोधा उबीठनः— क्रि ० स० [सं० अव + इष्ट ] प्ररुचिकर होना, ऊब जाना, घबरा जाना ।
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उबाहना
बिन जात केशव
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छुटकारा ३. सहना
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