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अलंग
अलिक
पलंग-अव्य० [सं० प्रल । अंग] ओर तरफ। अलबेल-संज्ञा, पु० [हिं० अलबेला, सं अलभ्य] उदा० ऊपर अटारी सजि बैठी है पलंग पर,
मन मौज, अल्हड़पन, लापरवाही । जौन-सी अलंग फॅदफंदे की देवाल है।
उदा० क्यों न पाये कंत अलबेल में अलेल में ह्व', -बेनीप्रवीन
रहे रिस-रेल में, के बैठे भूप मेल में । लेन आयो कान्ह कोऊ मथुरा अलंग ते ।
-ग्वाल -दास अलस-वि० [सं० अ+हिं० लसना = शोभित अलकत-संज्ञा, पु० [सं० अलक्त] अलक्त, लाख होना] शोभाहीन, कांतिहीन, आकर्षगहीन । से निर्मित एक प्रकार का लाल रंग जिसे स्त्रियाँ
उदा० बने बह बनक के, घने मनि कनक के, पैर में लगाती हैं।
अलस रवि छवि करै कलस कलकै । उदा० केसर निकाई किसलय की रताई लिये
-देव झाही नाहीं जिनकी धरत अलकत है। अलहन-संज्ञा, पु० [सं० अ+लभन] दुर्भाग्य,
-हरिलाल बुरा कर्म । अलगार--वि० [फा० अलग़ारों] बहुत अधिक, उदा० आस धरें पाली कति आधी रात ह गई ज्यादा।
पै अजहूँ न पाए आली अपनो अलहनो । उदा० 'ग्वाल कवि' मंसा बिहार की अपार पार,
-सुन्दर ह्व रही सवार भौंर भीर अलगार पै । प्रलापना-क्रि० अ० [सं० पालापन] तान
-वाल लगाना, गाना । अलमारन-वि० [फा० अलगारों] १. बहुत उदा० कान ह्र तान को रूप दिखावति जान जब अधिक, अतिशय, २. तेजी के साथ, तीव्र गति
कछू लागे अलापन । से ।
-घनानन्द उदा० २. नरबर ढिग नौरंग खहँ मंडे ।
अलाम-वि० [अ० अल्लामा] झूठा, असत्यवादी, तहँ अलगारन धाइ पहूँचे ।
प्रलापी, बात बनाने वाला।
-लाल कवि उदा० अापके कलाम को सलाम है अलाम राज अलगु-संज्ञा, पु० [बु०] दोष, आरोप ।।
ऐसे दगाबाज ते मिजाज मैं मिलावी ना । उदा० जो कोऊ तुम्हरी कान्हर की ये बातें सुनि
-नंदराम पावें। तो या व्रज के लोग लुगाई सबरे प्रलार-संज्ञा, पु० [सं० अलात] अलाव, प्रांव, अलगु लगावें।
प्राग का ढेर, भट्ठी ।
-बक्सी हंसराज | उदा० तान पान परी कान वृषभान नंदनी केअलगोजा-संज्ञा, स्त्री [अ०] एक प्रकार की
तच्यो उर प्रान पच्यो बिरह अलार है। वंशी।
-रघुनाथ उदा० अलगोजे बज्जत छिति पर छज्जत सुनि
अलि-संज्ञा, पु० [सं०] १. वृश्चिक राशि, २. धुनि लज्जत कोइ रहैं। -पद्माकर
विच्छ ३. भ्रमर ४. सहेली ।
उदा०१. सिंह कटि मेखला स्यों कुभ कूच मिथन अलच्छी-संज्ञा, स्त्री० [सं० प्र + लचमी ] प्रलषमी, दरिद्रा, गरीबी।
त्यों मुखवास अलि गुंजै भौहैं धनु सीक है। उदा० पिपासाचा धा धा द्र बीना बजावं अलच्छी
-दास अलज्जी दुऔ गीत गावै ।
-केशव
अलिक-संज्ञा, पु० [सं०] ललाट, माथा ।
उदा० किलकत अलिक जु तिलक चिलक मिस, पलप-संज्ञा, स्त्री० [देश] बहुत बड़ा संकट,
भौंहनि में बिभ्रमनि भावभेद दीने हैं। दुर्घटना ।
--केशव उदा० पल पल पूंछत बिपल दुग मृग नैनी आये चिबुक उचाइ चारु पोंछति कपोलन अंगोछत, न कमल नैन, प्राई धौं अलपरी ।
अलिक दोहू अलक दुधाही के ।
-देव
-देव
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