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जमेस
जलूस लै देखिबो कीजै ।
-पजनेस
स्तम्भन] जल के प्रभाव का स्तंभन या रुकावट, जमेस - संज्ञा, पु० [सं० यम+ईश] यमराज ठहराव । मृत्यु का एक देवता।
उदा० बिरह बिथा जल परस बिन बसियतू मो उदा० तारक जमेस की, विदारक कलेस की है,
मन ताल । कछु जानत जल थंभ बिधि तारक हमेस की है, तनया दिनेस की।
दुर्बोधन लौं, लाल ।
-बिहारी -ग्वाल जलप-संज्ञा, स्त्री० [सं० जल्प] कथन उक्ति, जर-संज्ञा, पू० [सं० ज्वर| ज्वर, बुखार, ताप २. प्रलाप बकवाद । उदा० बिछुरै ते बलबीर धरि न सकति धीर, उपजी उदा० काल की कुमारी सी सहेली हितकारी लगे । बिरह पीर ज्यौं जरनि जर की।
गात रसबारी मानो गारी की जलप है। -आलम
-दास जरजार--संज्ञा, स्त्री० [सं. ज्वाल जाल] एक
२. जल्पति जकाति कहरत कठिनाति माति, प्रकार की तोप ।
मोहति मरति बिललाति बिलखाति है। उदा० लिए तुपक जरजार जमूरे। --चन्द्रशेखर
- दास जरब-संशा, स्त्री० [फा. जरब] चोट, पाघात ।
जलपना-क्रि० अ० [सं० जल्पन] डींग मारना, उदा० जोबन जरब महा रूप के गरब गति, मदन
प्रलाप करना, व्यर्थ की बात करना । के मद मद मोकल मतंग की।
उदा० कबि आलम आलस ही जलपै किलक कुच -मतिराम खीन भई कलता।
- आलम जरवाफ- संशा, पु० [फा० ज़रबफ़त] जरी का | जलाक
। जलाक-संज्ञा, स्त्री० [?] लू, भीषण गरमी । काम किया हुआ रेशमी वस्त्र ।
उदा० कहै पद्माकर त्यों जेठ की जलाकै तहाँ उदा० भूमत झुलमुलात भूलें जरबाफन की जकरे
पावै क्यों प्रबेस बेस बेलिन की बाटी है। जंजीरें जोर करत जिकिरिहै। -भूषण
-पद्माकर अरबीला-वि० [फा० जरब+ईला (प्रत्य॰)] जलाजले--संज्ञा, स्त्री० [हिं, झलाझल] झालर । चमकीला, भड़कीला ।।
उदा० सोने की सिंदूख साजि सोने की जलाजले जु उदा० नीले जरबीले छुटे, केस सिवार समाज । के
सोने ही की घाँट घन मानहु बिभात के। लपट्यो बृजराज रंग, कै लपट्यो रसराज ।
-केशव -भूपति कवि
जलाहल- संज्ञा, पु० [देश॰] दूर तक प्रसरित जरा-संज्ञा, पु० [सं० जाल] जाल, सूत का वह जल, अत्यधिक जल । फंदा जिसमें मछलियां फँसाई जाती हैं।
उदा० 'द्विजदेव' संपा की कुलाहल चहूँघा नभ, सैल उदा. दीन ज्यों मीन जरा की भई, सुफिरै फरक
ते जलाहल कौ जोगु उमहतु है। -द्विजदेव पिंजरा की चिरी ज्यों ।
-देव
वे नद चाहतु सिंधु भये अब सिंधु ते ह्व हैं जरूल्यो-वि० [सं० जटिल] गभुमारे बाल वाले।
जलाहल भारे ।
-तोष कवि उदा० आनंदघन चिरजीवौ महरि को जीवन-प्रान
जलूलत-वि० [अ० जलालत] तेज । __जरूल्यौ हो।
-घनानंद
उदा० फैलत अनु फूलत भरै जलूलत चित नहि जरैलुन--वि० [हिं० जलना] जलने वाले, ईर्ष्यालु
भूलत रँग रँग के।
-पद्माकर उदा० बोधा जरैलुन के उपहास अंगेजु कै कुँजनि
जलस-वि० [फा०]१. तड़क-भड़क २. ज्योति, जाइबे ही है।
-बोधा
प्रकाश, चमक ३. सिंहासनारोहण, धूमधाम की जरौट-वि० [हिं० जड़ना] जड़ाऊ ।
सवारी । उदा० कोउ कजरौट जरोट लिये कर कोउ मुरछल
उदा० १. भूषन जवाहिर जलूस जरबाफ जाल, कोउ छाता ।
-रघुराज
देखि देखि सरजा की सुकवि समाज के । जलजाल-संज्ञा, पु० [सं०] समुद्र, सागर ।
..- भूषण उदा० जलजाल काल कराल माल उफाल पार
आपुही सुनार घर जाइ के जड़ाऊदार धरा धरी।
-केशव
जेवर जलूस के बनावने बतावती । जलथंभ - संज्ञा, पु० [सं० जलथंभ-रुकावट-1
-नंदराम
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