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जज्जला
जमेजाम
उदा. हीरा मनि मानिक की काँच और पोतिन २. यमराज । को मोतिन की गात की जगात हौं लगायो
| उदा० १. कम न गोबिंद तें, जु जम ना त्रिलोक - रसखानि जाकी, न्हात जमुना में, ते न लेत जम नामै
--- ग्वाल जज्जला-वि० [सं० जाज्वल] ज्वलित, जलती
जमकातर-संज्ञा, स्त्री० [सं० यमनकर्तरी]
यम का छुरा या खांड़ा। उदा० कैबा भेख भिक्षुक की ड्योढ़ी बीच प्राइ पाइ
उदा. ज्याइ लई पिय प्याइ पियूष, गई जिय की सबद सुनाया दुपहर जज्जला मैं हैं ।।
जमकातर टूट सी।
-देव -दास जटना-क्रि० अ [हिं० जुटना] जुड़ना ।
जमविसा संशा, स्त्री० [सं० यमदिशा] यमराज उदा० करौ सु ज्यौं चित चरन जटै।।
__ की दिशा, दक्षिण दिशा । - घनानन्द
उदा. मलय समीर परलै कों जो करत अति जम
की दिसा तें पायो जम ही को गोतु है । जवुभूभुज-संशा, पु० [सं० यदु-भूभुज = राज
-भूषण यदुराज] यदुराज, श्रीकृष्ण ।
जमल-वि० [सं० यमल] युग्म, दो, जोड़ा । उदा. दूभुज पकरि जदूभृभूज सों जोरे, मुख
उदा० पात से उदर पर तेरी रोमराजी कैधौं जमल पीयुख निचोरे, चित चोरे स्रम सीकरें।
उरोजन को ठई मृदु बास है। -.देव
-बलभद्र
जमान-संशा, स्त्री० [अ० जमा] पूजी, मूलधन जपटना-क्रि० प्र० [हिं० झपटना ] झपटना,
२. धन, रुपया पैसा । टूटना ।
उदा० महाबीर सत्रसाल नंदराव भावसिंह हाथ मैं उदा. भूषन भनत काली हुलसी असीसन की सीसन
तिहारे खग्ग जीति का जमान है ! कौं ईस की जमाति जोर जपटैं।
-मतिराम -भूषण जमजाई-संज्ञा, स्त्री० [सं० यम- जाया] यम
जमींदोज-संशा, पु० [फा०] १. एक प्रकार का राज की स्त्री, मृत्यु ।।
खेमा २. धराशायी होना, गिरना, नीचे की ओर
प्राना (क्रि०) । उदा० जमजाई जामिनी जुगत सम जाती क्यों।
-देव उदा० १. रगमगे मखमल जगमगे जमींदौज और
सब जे वे देस सूप सकलात हैं। ---गंग जफरी --- संज्ञा, स्त्री० [अ० जफर] विजय प्राप्त
२. अजब अनठे बिधि किलेद्व बनाये हैं सो करने वाली, विजयिनी।
ऊँचे होत मावत न होत जिमीदोज हैं। उदा० नैननि निहारि जानी रंभा रति मनजानी, उर जानी पाई अति प्रानन्द की जफरी ।
-ग्वाल -बेनी प्रवीन
जमुरंद- संज्ञा, पु० [फा० जमुर्रद] एक कीमती जफा-संज्ञा, स्त्री० [फा० ] अत्याचार, जुल्म,
रत्न, पन्ना ।
उदा. बिलौर की बारादरी जगै जोति जमुर्रद की सख्ती । उदा० बात उजागर सोच कहा जो घटेगी जफा
कुरसी बजै बीन ।
-पजनेस सो कढ़ तखरी में ।
-ठाकुर
जमूरे-संज्ञा, स्त्री० [फा० जमूरक] एक प्रकार जबत-संशा, पु० [अ० जाब्ता] कानून, कायदा,
की छोटी तोप । व्यवस्था, नियम ।
उदा० लिए तुपक जरजार जमूरे। -चन्द्र शेखर उदा० दारासाह बजत रन छाज्यौ । जबत पात जमेजाम-संशा, पु० [फा० जामजाम] एक विशेष साही को मांज्यी।
-लालकवि प्याला जिसे ईरान के शासक जमशेद ने संसार जबराना-क्रि० स० [फा० ज़बर] जोर दिखाना, का हाल जानने के लिये बनाया था। ऐसा बल प्रदर्शित करना ।
अनुमान है कि उस प्याला में कोई मादक वस्तू उदा० सोच बड़ो मन में उपज्यो तन मैं बड़ी पिलायी जाती रही, जिसे पीकर पीने वाला बिह्वलता जबरायो।
___ -रघुनाथ वास्तविक बातें बता देता था। जम--संज्ञा, पु० [अ० ज़म] १. निन्दा, बुराई उदा या जमेजाम या सीसा सिकन्दरी या दुरवीन
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