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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कढीयो ( १९५) कणी कढीणो-(न०) १. देवता के निमित्त बनाया ३. सुमेरु पर्वत । कनकगिरि । ४. लंका हुप्रा पकवान । २. खाने से पूर्व देवता के का किला । लंकागढ़ । निमित्त परोसा हुआ पकवान । ३. तली करणलाल-(न0) दाडिम । अनार । हई भोजन सामग्री। करणवार-(न०) कणवारिये का काम । कढी बिगाड़-दे० खुड़ी बिगाड़। २. करणवारिये का पारिश्रमिक । ३. एक करण-(न०) १. दाना। नग। अनाज । ___ कर । जागीरदार की एक लाग । ३. धूलिकरण । रजकरण । ४. बूद । कतरा। करणवारियो-(न०) जागीरदार या राज्य ५. मोती हीरा आदि रत्नकरण। ६. हिम्मत । साहस । ७. प्रौटण । किण । के राजस्व विभाग की ओर से खेती की कणक-(न०) १. सफेद गेहूं। २. सोना। पैदावार की निगरानी रखने और उसके कनक। अनुसार कृषकों से राजस्व रूप में अनाज करण-कण-(कि०वि०) १. अलग-अलग । लेने आदि का काम करने वाला एक निम्न २. टुकड़े-टुकड़े। कर्मचारी। राजस्व विभाग का एक चपरासी। कणकती-(ना०) कंदोरा । करधनी । करणदोरो । कंदोरो। करणसारी-दे० करणारी। करणकी-(ना०) चावलों के टुकड़े। करणसारो-(न०) अनाज भरने के लिये कणगती-दे० कणकती। मिट्टी का बना एक कोठा । कोठीलो । करण-गूगळ-(न०) दानेदार बढ़िया गूगल । कए कणाद ऋषि-(न०) वैशेषिक दर्शन के कणचाळ-(न०) युद्ध । प्रणेता ऋषि । करणछणो-(क्रि०) १. क्रुद्ध होकर अाक्रमण करणारी-(ना०) भींगुर । करणसारी। करना । २. काटना । ३. रोना। ४. दुख कणारो-दे० कणसारो। पाना। ५. पीड़ा के कारण कराहना। करणावळ-(न०) १. नाज का ढेर । २. भिक्षा ६. टट्टी फिरने के समय जोर करना। __ में प्राप्त विविध प्रकार के अन्नकण । करणजो-(न०) १. करदा । कूड़ा। अनाज की भिक्षा । २. लाक्षा । लाख । कणां-(क्रि०वि०) कब । कद । कदै। करी। कणणाट-(ना०) १. सिंह का क्रोधपूर्ण करणांई-(क्रि०वि०) कभी । कराई । दहाड़ना । २. वीरों की हुकार । कणांकलो-(क्रि०वि०) कभी का। करांकलो। कणदोरो-(न०) करधनी । कंदोरो। कबहरो। कणपारण-(वि०)१. ठोस बुना हुआ (वस्त्र)। करिगयर-(न०) कनेर का पौधा । करणेर । २. दृढ़ । मजबूत । कड़पाण। कणियागिर-दे० करणयगिर। कणबरण-(ना०) कणबी की स्त्री। कणियागरो-(न०) १. जालोर का किला। करणबी-(न०)१. एक कृषक जाति । २. इस २. जालोर का अधिपति । ३. सोनगरा जाति का मनुष्य । राजपूत । सोनगरा चौहान । (वि०) करणय-(न०) सोना । कनक । जालोर का निवासी । जालोर वाला। करणयगढ़-(न०) १. जालोर का किला। करिणयाचल-दे० करणयगिर । ___कनकगढ़ । २. लंका। कणी-(ना०) १. चावल के छोटे टुकड़े। कणय गिर--(न०) १. जालोर का पर्वत । २. हीरा, माणिक आदि किसी रत्न का कनकगिरि । २. जालोर का दुर्ग। छोटा टुकड़ा। रत्नकरण । ३. टुकड़ा । For Private and Personal Use Only
SR No.020590
Book TitleRajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
PublisherPanchshil Prakashan
Publication Year1993
Total Pages723
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size12 MB
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