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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुदर्शिनी टीका अ० २सू० १०-१३ मृषावादिना जीवघातकवचननिरूपणम् २२७ 'पीयह ' पिवत मदिरादिकं — दासीदासभयगभाइल्लगा' दासीदासभृतकभा. गिकाः दास्य सेविकाः दासाः असिद्धाः, भृतका भृत्या-भक्तदानादिना पोपिताः, भागिकाः धनादेश्चतुर्थादि भागग्राहकाः 'सिस्सा य' शिष्याश्च प्रसिद्धाः 'पेसकनणो' प्रेष्यकजना कार्ययोजनेषु प्रेषणीयो जनः 'कम्मकरा' कर्मकरा= नियतकालं कर्मकुर्वन्ति ये ते कर्मकराः, किंकराश्व प्रश्नपूर्वककार्यकारिणः 'एए' एते 'सयणपरिजणे ' स्वजनपरिजनाश्च स्वजनाः मातापितृभ्रात्रादयः, परिजनाः =सम्बन्धिनः ‘कीस' कस्मात् कारणात् 'अच्छंति' आसते कार्य परित्यज्योपविष्टाः सन्ति 'भे' भवतां ' भारिया' भारिकाः भारवाहिनः 'कम्म' कर्म ‘करेंतु' कुर्वन्तु, तथा 'गहणाई वणाई ' गहनानि वनानि 'खित्तखिलभूमिवल्लराई' क्षेत्र देह ) मांसादिको अपने स्वजन संबंधियों के लिये दिया करो, ( पीयह ) मदिरादि का पान किया करो, ( दासीदास भयगभाइल्लगा य सिस्सा य पेसकजणो कम्मकरा किंकरा य एए सयणपरिजणा य कीस अच्छंति ) ये तुम्हारे दासी, दास, भृत्य भागीदार, शिष्यजन, प्रेष्यकजन, कर्मकर और किंकर तथा स्वजन परिजन किस कारण से अपने २ काम कोछोड़ कर बैठे हुए हैं। इनमें कठिन शब्दोका अर्थ इस प्रकार है-अपने घर पर ही जो भोजनादि से पुष्ट किये जाते हैं वे भृत्य हैं। कोई प्रयोजन वश जो कामके लिये भेजे जाते हैं वे प्रेष्यकजन हैं। नियत कालतक जो मजूरी करते हैं वे कर्मकर हैं । प्रश्नपूर्वक पूछकर काम करनेवाले जन किंकर हैं। माता पिता भाई आदि स्वजन सम्बन्धीजन आदि परिजन हैं। (भे भारीया कम्मं करेंतु) तुल भारिक-अपने भारढोने वाले मनुष्यों सेUN६ ४२वी, तथा "विक्केहय” वेयो, भने “पचह" मनात (मात विशे३) राधे। “ सयणस्स देह" मांस आदि तमासमा समाधान मानभा पारसे। " पीयह" महि! (६३) माहि पान ४, "दासीदासभयगभाइल्लगा य सिस्सा य पेसकजणो कम्मकरा किंकरा य एए सयणपरिजणा य कीस अच्छति ” मे तमा। દાસી, દાસ, નૃત્ય, ભાગીદાર, શિષ્યજન, પ્રેષકજન, કર્મક કિકર અને સ્વજન પરિજન કયા કારણે પિત પિતાનાં કામે છેડીને બેઠા છે! ઉપરના સૂત્રમાં આવેલ કઠિન શબ્દના અર્થ આ પ્રમાણે છે--પિતાને ઘેર જ ભોજનાદિ આપીને જેમનું પિષણ કરાય છે, તે લેકતે ભૂત્ય કહે છે. કેઈ પ્રયોજનથી જેમને કઈ કામે મેકલાય છે તેમને શ્રેષ્ય જન કહે છે. નકકી કરેલા સમય સુધી જે મજૂરી કરે છે તેમને કકર-કારીગર કહે છે. પૂછી પૂછીને કામ કરનારા સેવકને કિકર કહે છે. માતા પિતા ભાઈ આદિ સ્વજન ગણાય છે, સંબંધીઓને પરિજન કહે છે. "भे भारिया कम्मं करेंतु" तमे ला!ि-मा५ ला२ पडन ४२ना२। पासे For Private And Personal Use Only
SR No.020574
Book TitlePrashnavyakaran Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalalji Maharaj
PublisherJain Shastroddhar Samiti
Publication Year1962
Total Pages1002
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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