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जेनामार्य अनवसेदिलाकर-जय-यासीलालजी महाराजलिचितया प्रदक्षिन्याख्यया व्याख्यया समस्कृतं
हिन्दीगुर्जर भाषानुवादसहितम्॥ मनव्याकरण-सूत्रम् ॥ PRASHNAVYAKARANA SUTRAM
नियोबा संस्कृत-पाकृतज्ञ-जैनागमनिष्णात-मिपन्याख्यानि
पण्डितमुनि श्रीकन्हैयालालजी महाराजा
मदारक
पालि(मारवाडोनिवासी-अष्टिनः श्रीमाः मुकनचन्दजी बालिया महाशय तथा अ. सो. तदर्मगली सुकनवाई गदत्त द्रव्यसाहायेन अ० मा०० स्वा० जेनसास्रोबारसमितिममुखा
अधि-धीशान्तिलाल-मालदासमाई-महोदयः
अपना भाति पशि
और संपलू विसंबर
2014
सिदीयम
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