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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ६८ मागधी व्याकरणम्. तिस्पर्किन् सर्वत्ररलुक् अनेनवा दीर्घः प पा प्रत्यादौ मः तड स्पस्य फः स्पफ श्रनादौ द्वित्वं द्वितीयपूर्वस्य प सर्वत्ररलुक् अक्की वे दीर्घः अंत्यव्यंज० सलुक् पाडिप्फद्धी पडिप्फी । अस्पर्शः ११ अनेन श्रा स्पशः फासफंस० स्पस्थाने फंस अतः सेर्डीः आफं सो परकीय कीयस्य केरके श्रनेन वा दीर्घः क्वीबे स्म मो० पारकेरं पारकं ॥ प्रवचनं सर्वत्ररलुक् श्रनेन दीर्घः प पा कगचजेति चलुक् श्रवर्णो नोणः पावयणं । चतुरंतं १९ श्रनेन च चा कगचजेति तलुक् क्ली बेस्म मोनु० चारंतं ॥ ४४ ॥ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir टीका भाषांतर. समृद्धि बे आदि जेने ते समृद्ध्यादि कहेवाय. समृद्धि इत्यादि शब्दोमां श्रादिकारने दीर्घ श्राय. सं० समृद्धि प्रसिद्धि तेने इत्कृपा दौ० सर्वत्ररलुक् चालता सूत्रे विकल्पे दीर्घ अक्लीबे दीर्घः अंत्यव्यं० सलुक् इत्यादि सूत्रो लागी सामिडी समिडी पासिडी पसिद्धी ए रूप सिद्ध थाय. सं० प्रकट तेने सर्वत्र रलुक् चालता सूत्रे दीर्घ विकटुपे कगचजेति लुक् अवर्णो० टोडः क्लीवे सम मोनु० ए सूत्रो लागी पायडं पयर्ड रूप सिद्ध थाय. सं० प्रतिपत् तेने सर्वत्ररलुक् चालता सूत्रे विकल्पे दीर्घ प्रत्यादौड: पोवः स्त्रियामाद् अवर्णो० अंत्यव्यंसलुक पाडिवआ पडिवआ सं० प्रसुत तेने सर्वत्ररलुक् चालता सूत्रे वा दीर्घ कगडडप० अनादौद्वित्वं अतः सेड: ए सूत्रोथी पासुत्तो पत्तो रूप सिद्ध थाय. सं० प्रतिसिद्धिन् तेने सर्वत्ररलुक् चालता सूत्रे वा दीर्घ प्रत्यादौड : अक्लीबे सौ दीर्घः अंत्यव्यं • पाडिसिडी पडिसिडी सिद्ध था. सं० सदृक्ष तेने दृशः क्विप् टक् सक् आगम थाय. पबी हरि ए सूत्र लागे पबी चालता सूत्रे वा दीर्घ क्षः खः क्व० अनादौ द्वित्वं द्वितीयपूर्व० अतः सेडः ए सूत्रोलागी सारिच्छो सरिच्छो रूप सिद्ध थाय. सं० मनखिन् तेने या चालता सूत्रथी विकरूपे दीर्घ वक्रादावंतः अनुखारेण नोणः अंत्यत्र्यं० सर्वत्र वलुक् अक्लीबे सौदी अंत्यव्यं० ए सूत्रोलागी माणंसी मणंसी रूप सिद्ध याय. एवीज रीते सं० मनखिनी ना माणंसिणी मणंसिणी रूप सिद्ध थाय. सं० अभिजाति तेने चालता सूत्रे दीर्घ खघथध० कगचज० अक्लीबे दीर्घः अंत्यव्यं • आहिआई अहिआई संस्कृत प्ररोह तेने सर्वत्ररलुक् चालता सूत्रे दीर्घ अतः सेड : ए सूत्रोथी पारोहो परोहो रूप थाय. सं० प्रवासि तेने सर्वत्ररलुक् चालता सूत्रे दीर्घ प्रवासीक्षौ अंत्यव्यं० अक्लीबे● अंत्यव्यं० ए सूत्रोथी पावासू पवासू रूप सिद्ध थाय. सं० प्रतिस्पर्द्धिन् तेने सर्वत्ररलुक् चालता सूत्रे दीर्घ प्रत्यादौडः स्पस्यफः अनादौडि द्वितीयपू० सर्वत्ररलुक् अक्लीबेसौदीर्घः अंत्यव्यं० पाडिप्फडी पडिप्फडी रूप याय. सं. अस्पर्श तेने चालता सूत्रे वा दीर्घ स्पशः फासफंस० अतः सेडः ए सूत्रोथी आफंसो रूप सिद्ध थाय. सं० परकीय तेने कीयस्यकेरक्के चालता सूत्रे वा दीर्घ क्लीबे सम मोनु० For Private and Personal Use Only
SR No.020570
Book TitlePrakrit Vyakaranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarmadashankar Damodar Shastri
PublisherNarmadashankar Damodar Shastri
Publication Year1904
Total Pages477
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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