SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 143
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २४० मागधी व्याकरणम्. सं. परामृष्ट- तेने चालता सूत्रथी मृ नो मु थाय. पनी ष्टस्यानु० अनादौ ए सूत्रोथी परमुट्ठो रूप थाय. सं. स्पृष्ट तेने चालता सूत्रे उ थाय पनी कगटड ष्टस्यानु० अनादौ० द्वितीय पूर्व० अतासेडों: ए सूत्रोथी पुट्टो रूप थाय. सं. प्रवृष्ट तेने चालता सूत्रधी वृनो वु वाय. पळी सर्वत्ररलुक् कगचज० ष्टस्यानु० अनादौ द्वित्वं द्वितीय० अतःसेझैः ए सूत्रोथी पउट्ठो रूप थाय. सं. पृथिवी तेने चालता सूत्रे उ थाय. पग पथि पृथिवी खघथ० कगचज० सर्वत्र रलुक् क्लीवे दीर्घः अंत्यव्यंज० ए सूत्रोथी पुहई रूप श्राय. सं. प्रवृत्ति तेने चालता सूत्रथी वृनो वु थाय. पठी कगचज० सवत्र रलुकू अक्लीवे दीर्घः अंत्यव्यंज ए सूत्रोथी पउत्ती रूप थाय. सं. प्रावृष तेने सर्वत्र लुक् चालता सूत्रे उ कगचज दिप्रावृषोः अतःसे?: ए सूत्रोथी पाउसो रूप थाय. सं. प्रावृत तेने सर्वत्र रलुक् चालता सूत्रे उ कगचज. अतःसे?ः ए सूत्रोथी पाउओ रूप थाय. सं. भृति तेने चालता सूत्रे भृनो भु कगचज क्लीबेसम् अंत्यव्यंज० ए सूत्रोथी भुई रूप थाय. सं. प्रभृति तेने सर्वत्र चालता सूत्रे उ खघथ० प्रत्यादौडः अंत्यव्यंज० ए सूत्रोथी पहुडि रूप थाय. सं. प्राभृत तेने सर्वत्र चालता सूत्रे उ खघथ० प्रत्यादौडः क्लीवेसम् ए सूत्रोथी पाहुडं रूप श्राय. सं. परभृत तेने चालता सूत्रे उ खघथ० कगचज. अतःसेडों: ए सूत्रोथी परहुओ रूप थाय. सं. निभृत तेने चालता सूत्रथी उ पनी कगचज० क्लीबसूम् मोनु० ए सूत्रोथी निहुरं रूप थाय. सं. निवृत तेने चाखता सूत्रथी उ थाय. कगचज़० क्लीये सम् ए सूत्रोथी निउअं रूप थाय. एवीरीते विवृत संवृत वृत्तांत निवृत्त अने निवृत्ति तेनां विउअं संवुअंवुत्तंतो निव्वुअं निव्वुई एवां रूप थाय. सं. वृंद तेने चालता सूत्रे उ थाय. पड़ी क्लीवेसम्० मोनु० ए सूत्रोथी वुन्दं रूप थाय. सं. वृन्दावन तेने चाखता सूत्रे उ थाय. नोणः अतःसे?ः ए सूत्रोथी वुन्दावणो रूप थाय. सं. वृद्ध तेने चालतासूत्रथीउ थाय. पी दिग्धविदग्ध वृद्धिवृद्धेढः अनादौद्रित्वं द्वितीय० अत:से?: ए सूत्रोथी वुदो रूप थाय. एवीरीते वुट्टी रूप थाय. तेने अक्लीवे दीर्घः ए सूत्र लागेने. सं. वृषभ तेने चालता सूत्रे उ थाय. पजी कगचज शषोः सः खघथ० अतः सेझैः ए सूत्रोथी उसहो रूप थाय. सं. मृणाल तेने चालता सूत्रे उ थाय. पठी कीबेसम् मोनु० ए सूत्रोथी मुणालं रूप थाय. सं. झजु- तेने चालता सूत्रे उ थाय. अक्लीबे दीर्घः अंत्यव्यं० ए सूत्रोथी उज्जू रूप थाय. सं. जामातृक तेने चालता सूत्रथी उ थाय कगचज. अतःसे?ः ए सूत्रोथी जामाउओ रूप श्राय. सं. मातृक तेने चालता सूत्रथी उ थाय. कगचज. अंत्यव्यं० ए सूत्रथी माउओ थाय. सं. नातृक तेने सर्वत्र रलुक् चाखता सूत्रे उ थाय. कगचज. अतःसे?: ए सूत्रोथी भाउओ रूप वाय. सं. पितृक तेने चालता सूत्रथी उ थाय. कगचज. अतःसे?ः ए सूत्रोथी पिउओ रूप थाय. सं. पृथ्वी तेने चालता सूत्रे उ थाय. तन्वीतुल्येषु० खघथ० अंत्यव्यं ए सूत्रोथी पुहुवी रूप थाय. ॥ १३१ ॥ For Private and Personal Use Only
SR No.020570
Book TitlePrakrit Vyakaranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarmadashankar Damodar Shastri
PublisherNarmadashankar Damodar Shastri
Publication Year1904
Total Pages477
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy