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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १२० मागधी व्याकरणम् . ॥ ढुंढिका ॥ ई. ११ भ्रुकुटि ७१ भ्रुकुटि-सर्वत्र रखुक् अनेन उ ६ कगचजेति कलुक् टोडः अंत्यव्यंग सबुक् जिउडी ॥ ११० ॥ टीकाभाषांतर. भृकुटी शब्दना आदि उकार नो ईकार श्राय. सं. भृकुटी- तेने सर्वत्र रलुक् आ चालता सूत्रथी उ नो ई थाय पछी कगचज० टोडः अंत्यव्यं० ए सूत्रोथी भिउडी रूप सिद्ध श्रायः ॥ ११ ॥ पुरुषे रोः॥ ११॥ पुरुषशब्दे रोरुत र्जवति ॥ पुरिसो। परिसं ॥ १११ ॥ मूल भाषांतर. पुरुष शब्जना रुकारनी अंदर रहेला उकार नो इकार थाय. सं. पुरुष तेनुं पुरिसो एवं रूप थाय. सं. पौरुषं तेनुं पउरिसं एवं रूप थाय. ॥ १११ ॥ ॥ ढुंढिका ॥ पुरुष ७१ रु ६१ पुरुष अनेन रु रि शषोः सः षः सः अतः से?ः पुरिसो। पौरुष पन पौरादौ च पौस्थाने पड अनेन रु रि शषोः सः क्वीबे सम् पनरिसं ॥ १११॥ टीका भाषांतर. पुरुष शब्दना रुकार नी अंदर रहेलो उकारनो ई थाथ. सं. पुरुष तेने आ चालता सूत्रथी रुनो रि थाय पी शषोः सः अतः से?: ए सूत्रोथी पुरिसो एवं रूप थाय. सं. पौरुष तेने पउ पौरादौच ए सूत्रथी पौ स्थाने पउ आ देश थाय. पनी या चालता सूत्रथी रुनो रि थाय पी शषोः सः क्लीबे सम् ए सूत्रोथी पउरिसं ए रूप सिह थाय. ॥ १११॥ ई: दुते ॥१२॥ हुतशब्दे श्रादेरुत ईत्वं जवति ॥ बीअं ॥ ११ ॥ मूल भाषांतर. क्षुत शब्दना आदि उकारनो ईकार श्राय. सं. क्षुतं तेनुं छी एवं रूप थाय. ॥ ११ ॥ ॥द्वंढिका॥ ईः ११ कुत ७१ कुत-- बोऽदयादौ दः अनेन लुबी कगचजेति तलुक् ११ क्लीबे सम्० मोनु बीअं ॥ ११ ॥ टीका भाषांतर. क्षुत शब्दना आदि उकारनो ईकार थाय. सं. क्षुत तेने छोऽक्ष्यादौ श्रा चालता सूत्रे उनो ई वाय. पठी कगचज क्लीवेसम् मोनु० ए सूत्रोथी छीअं एवं रूप सिद्ध थाय. ॥ ११ ॥ For Private and Personal Use Only
SR No.020570
Book TitlePrakrit Vyakaranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarmadashankar Damodar Shastri
PublisherNarmadashankar Damodar Shastri
Publication Year1904
Total Pages477
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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